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दक्षिणेश्वर मंदिर पहुंचे शाह, कहा- बंगाल में हो रही तुष्टिकरण की राजनीति

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के पश्चिम बंगाल दौरे का आज दूसरा दिन है. अमित शाह आज कोलकाता में मतुआ समुदाय के पार्टी कार्यकर्ता के घर पर खाना खाएंगे. मतुआ समुदाय के लोग बांग्लादेश से शरणार्थी बनकर आए थे.

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स्टोरी हाइलाइट्स
  • बंगाल के दो दिवसीय दौरे पर हैं अमित शाह
  • आज कोलकाता में अमित शाह का कार्यक्रम
  • अमित शाह ने ममता सरकार पर साधा निशाना

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के पश्चिम बंगाल दौरे का आज दूसरा दिन है. अमित शाह आज दक्षिणेश्वर मंदिर में पूजा करने के लिए सुबह 10 बजे पहुंचे. दक्षिणेश्वर मंदिर में दर्शन के बाद अमित शाह ने कहा कि यह ठाकुर रामकृष्ण और विवेकानंद की जमीन है, लेकिन दुर्भाग्य से इस जमीन को तुष्टिकरण की राजनीति से कलंकित किया जा रहा है. मैंने मोदी जी के नेतृत्व में बंगाल की भलाई के लिए मां काली से प्रार्थना की.

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इसके बाद वह दोपहर तक बंगाल इकाई के साथ संगठनात्मक बैठक करेंगे. फिर अमित शाह आज कोलकाता में मतुआ समुदाय के पार्टी कार्यकर्ता के घर पर खाना खाएंगे. मतुआ समुदाय के लोग बांग्लादेश से शरणार्थी बनकर आए थे.

बंगाल में मतुआ समुदाय की आबादी 70 लाख से ज्यादा है. गुरुवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बिरसा मुंडा को श्रद्धांजलि से अपने पश्चिम बंगाल दौरे की शुरुआत की थी. इसके बाद उन्होंने बांकुरा में आदिवासी कार्यकर्ता के घर पर खाना खाया और बीजेपी के कार्यकर्ताओं के साथ मीटिंग की. बंगाल दौरे पर पहुंचे अमित शाह ने ममता सरकार पर जमकर हमला बोला है.

आजतक के साथ इंटरव्यू में केंद्रीय गृह मंत्री अमित  शाह ने कहा कि बंगाल की जनता को परिवर्तन की जल्दी है. अमित शाह ने कहा कि बंगाल में 100 से ज्यादा बीजेपी कार्यकर्ताओं की हत्या हो चुकी है और 75 से ज्यादा मामलों में कोई गिरफ्तारी नहीं की गई. राजनीतिक दल से ज्यादा पब्लिक सत्ता परिवर्तन का इंतजार कर रही है.

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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ममता सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि बंगाल में हत्या के मामले में पोस्टमॉर्टम के लिए भी कोर्ट जाना पड़ता है. शाह के मुताबिक, ममता सरकार के खिलाफ पूरे बंगाल में गुस्सा है और जनता को मोदी पर भरोसा है. उन्होंने कहा कि बंगाल पुलिस राज्य में बीएसएफ का सहयोग नहीं करती है, इसलिए यहां पर घुसपैठ बढ़ रही है.

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अमित शाह ने कहा कि जब तक स्थानीय पुलिस का सहयोग नहीं मिलता, तब तक यह संभव नहीं है. भारत और बांग्लादेश की सीमा भौगोलिक रूप से बहुत कठिन बॉर्डर है. बहुत सारी नदियां हैं, नाले हैं, ऊंची-नीची पहाड़ की चोटियां हैं. जब तक स्थानीय प्रशासन का सहयोग नहीं मिलता, अकेला बीएसएफ नहीं कर सकता. क्योंकि बीएसएफ का दायरा सीमित है.

 

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