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कांग्रेस में शामिल हुईं आंध्र प्रदेश के CM जगन मोहन की बहन वाईएस शर्मिला, पार्टी का भी किया विलय

तेलंगाना में हाल के विधानसभा चुनावों के दौरान, शर्मिला ने के. चंद्रशेखर राव के नेतृत्व वाले बीआरएस के कथित भ्रष्ट और जनविरोधी शासन को समाप्त करने के लिए कांग्रेस को अपना समर्थन देने की घोषणा की थी. उन्होंने स्पष्ट किया कि वह तेलंगाना में इसलिए चुनाव नहीं लड़ीं, क्योंकि इससे वोटों का बंटवारा होता. 

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आंध्र के मुख्यमंत्री जगन मोहन की बहन वाईएस शर्मिलाकांग्रेस पार्टी में शामिल हो गईं. (PC: X/@INC)
आंध्र के मुख्यमंत्री जगन मोहन की बहन वाईएस शर्मिलाकांग्रेस पार्टी में शामिल हो गईं. (PC: X/@INC)

वाईएसआर तेलंगाना पार्टी की संस्थापक वाईएस शर्मिला गुरुवार को कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गईं. वह बुधवार देर रात राष्ट्रीय राजधानी पहुंची थीं. शर्मिला को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी ने पार्टी दफ्तर में आयोजित कार्यक्रम में सदस्यता दिलाई. उन्होंने इस दौरान वाईएसआर तेलंगाना कांग्रेस के कांग्रेस में विलय की भी घोषणा की और कहा कि उन्हें जो भी जिम्मेदारी दी जाएगी वह उसे निभाएंगी. 

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शर्मिला ने कहा, 'आज मैं वाईएसआर तेलंगाना पार्टी का कांग्रेस पार्टी में विलय करते हुए बहुत खुश हूं. मुझे बेहद खुशी है कि वाईएसआर तेलंगाना पार्टी आज से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का हिस्सा बनने जा रही है'. इसके बाद वह कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी के आवास पर उनसे मुलाकात की. कांग्रेस की सराहना करते हुए वाईएस शर्मिला ने कहा कि यह देश की सबसे बड़ी धर्मनिरपेक्ष पार्टी है, क्योंकि यह अटूट रूप से सभी समुदायों की सेवा करती है और सभी वर्गों के लोगों को एकजुट करती है. 

पत्रकारों से बात करते हुए उनके पति अनिल कुमार ने कहा, 'हम कांग्रेस परिवार का हिस्सा बनना चाहते थे. वह पार्टी के फैसलों का पालन करेंगी. इसका (शर्मिला के कांग्रेस में शामिल होने से) आंध्र प्रदेश की राजनीति पर असर पड़ेगा'. शर्मिला अविभाजित आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत वाईएस राजशेखर रेड्डी की बेटी और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी की छोटी बहन हैं. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी को प्रधानमंत्री के रूप में देखना उनके पिता का सपना था और उन्हें इसमें योगदान देकर खुशी होगी. 

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तेलंगाना में हाल के विधानसभा चुनावों के दौरान, शर्मिला ने के. चंद्रशेखर राव के नेतृत्व वाले बीआरएस के कथित भ्रष्ट और जनविरोधी शासन को समाप्त करने के लिए कांग्रेस को अपना समर्थन देने की घोषणा की थी. उन्होंने स्पष्ट किया कि वह तेलंगाना में इसलिए चुनाव नहीं लड़ीं, क्योंकि इससे वोटों का बंटवारा होता. इस चुनाव में कांग्रेस ने 119 में से 64 सीटें जीतकर पहली बार तेलंगाना में पूर्ण बहुमत हासिल किया. भारत राष्ट्र समिति, जिसने 10 वर्षों तक तेलंगाना पर शासन किया, ने 38 सीटें जीतीं. रेवंती रेड्डी को कांग्रेस ने तेलंगाना का मुख्यमंत्री बनाया.

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