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चुनाव से पहले CM बदलने का दांव कितना सफल होता है? BJP कई बार कर चुकी ऐसा

दिल्ली चुनाव में आम आदमी पार्टी नए मुख्यमंत्री के साथ चुनाव मैदान में जाएगी, केजरीवाल के इस्तीफे के ऐलान के साथ ही यह तय हो गया है. बीजेपी ऐसा कई बार कर चुकी है. जानिए जहां चुनाव से पहले बीजेपी ने सीएम बदले, वहां चुनाव नतीजे कैसे रहे?

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Manohar Lal Khattar, Teerath Singh Rawat, Vijay Rupani
Manohar Lal Khattar, Teerath Singh Rawat, Vijay Rupani

केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दो दिन में इस्तीफा देने का ऐलान कर दिया है. केजरीवाल ने कहा है कि आम आदमी पार्टी के विधायक नया मुख्यमंत्री चुनेंगे. दिल्ली में सियासी हलचल के बीच यह तय हो गया है कि आम आदमी पार्टी नए मुख्यमंत्री के साथ चुनाव मैदान में जाएगी. ये पहला मौका नहीं है जब किसी प्रदेश या केंद्र शासित प्रदेश में चुनाव से ठीक पहले मुख्यमंत्री बदला गया हो. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) तो एंटी इनकम्बेंसी की काट के लिए सीएम बदलने, सीएम फेस घोषित किए बगैर चुनाव मैदान में उतरने का दांव आजमाती रही है. चुनाव से पहले सीएम बदलने का दांव कितना सफल होता है?

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दिल्ली

चुनाव से ठीक पहले सीएम बदलने का दांव बीजेपी ने 1998 के दिल्ली चुनाव से ठीक पहले चला था. पार्टी ने तब विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा को हटाकर उनकी जगह सुषमा स्वराज को सीएम बनाया था. दिल्ली की पांचवी और पहली महिला मुख्यमंत्री सुषमा तब 53 दिन तक सीएम पद पर रहीं. बीजेपी सुषमा स्वराज की अगुवाई में ही चुनाव मैदान में उतरी और तब पार्टी हार गई थी. 1993 के चुनाव में 70 सदस्यों वाली दिल्ली विधानसभा की 49 सीटें जीतने वाली बीजेपी 15 सीटें ही जीत सकी थी. 

गुजरात

गुजरात के 2022 चुनाव से पहले 2021 में ही बीजेपी ने सूबे की सत्ता का चेहरा बदल दिया था. 2017 के चुनाव में बीजेपी की जीत के बाद विजय रुपाणी को मुख्यमंत्री बनाया गया था. सरकार का कार्यकाल 2022 में पूरा होना था और इसी साल चुनाव होने थे लेकिन पार्टी ने 2021 में ही सीएम बदल दिया. बीजेपी ने गुजरात सरकार की कमान भूपेंद्र पटेल को सौंप दी. पार्टी का यह प्रयोग सफल भी रहा. बीजेपी विधानसभा चुनाव में डेढ़ सौ से अधिक सीटें जीत प्रचंड विजय के साथ सूबे की सत्ता में वापसी कर ली थी.

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उत्तराखंड

बीजेपी ने उत्तराखंड चुनाव से ठीक पहले तीरथ सिंह रावत की जगह पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बना दिया था. 2017 चुनाव जीतकर उत्तराखंड की सत्ता पर काबिज हुई बीजेपी ने जब तीरथ को सीएम पद से हटाया, वह चार माह के सीएम थे. तीरथ से पहले त्रिवेंद्र सिंह रावत सीएम रहे थे. पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बनाने का दांव सही साबित हुआ और बीजेपी ने लगातार दूसरी बार चुनाव जीतकर सरकार बनाई. उत्तराखंड राज्य गठन के बाद ऐसा पहली बार हुआ जब किसी पार्टी ने लगातार दूसरी बार सरकार बनाई हो.

कर्नाटक

कर्नाटक में 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने 2021 में ही सीएम बदल दिया था. पार्टी ने सीएम बीएस येदियुरप्पा की जगह बसवराज बोम्मई को मुख्यमंत्री बना दिया था. दक्षिण में बीजेपी का प्रवेश द्वार कहे जाने वाले कर्नाटक की सत्ता बरकरार रखने के लिए शीर्ष नेतृत्व ने भी एड़ी-चोटी का जोर लगाया लेकिन मात मिली. कर्नाटक चुनाव में विपक्षी कांग्रेस को जीत मिली थी और बीजेपी को चुनावी बाजी हारकर सूबे की सत्ता से बाहर होना पड़ा था. कर्नाटक में बीजेपी का सीएम बदलने वाला फॉर्मूला फेल हो गया था.

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त्रिपुरा

बीजेपी ने सत्ता के नेतृत्व परिवर्तन का फॉर्मूला लेफ्ट का गढ़ रहे त्रिपुरा में भी सफलतापूर्वक आजमाया. बीजेपी ने 2018 के चुनाव में जीत के साथ पूर्वोत्तर के इस राज्य में पहली बार सरकार बनाई थी. सूबे में बीजेपी की सरकार बनी और बिप्लब देब सीएम बनाए गए. 2023 के चुनाव से पहले पार्टी ने बिप्लब की जगह माणिक साहा को मुख्यमंत्री बना दिया. सत्ता के नेतृत्व परिवर्तन का ये दांव त्रिपुरा में भी सफल रहा और बीजेपी लगातार दूसरी बार सरकार बनाने में सफल रही.

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हरियाणा

किसी राज्य में चुनाव से पहले सीएम बदलने का सबसे ताजा प्रयोग हरियाणा में देखने को मिला जहां बीजेपी ने लगातार दो बार के सीएम मनोहरलाल खट्टर को पद से हटाकर सरकार की कमान नायब सैनी को सौंप दी थी. ये परिवर्तन लोकसभा चुनाव से ठीक पहले हुए था और आम चुनाव के नतीजों पर इसका सकारात्मक असर देखने को नहीं मिला था. बीजेपी को 10 में से पांच सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था. हरियाणा में फिलहाल विधानसभा चुनाव हो रहे हैं. सूबे में बीजेपी का ये दांव कितना सफल रहता है ये 8 अक्टूबर की तारीख बताएगी जब हरियाणा चुनाव के नतीजे आएंगे.

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