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हैदराबाद: मंसूबा नेशनल पार्टी बनने का, लेकिन अपने ही घर की आधी से कम सीटों पर लड़ रहे ओवैसी

असदुद्दीन ओवैसी अपनी पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन AIMIM को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिलाने के लिए फिक्रमंद हैं. यही वजह है कि वो अपनी पार्टी को देश के दूसरे राज्यों में विस्तार और अपनी उपस्थिति दर्ज कराने का भी ऐलान किया है, लेकिन अपने ही गृहराज्य तेलंगाना और शहर हैदराबाद के सीमित दायरे में चुनाव लड़ रहे हैं. ओवैसी की AIMIM ने हैदराबाद नगर निगम GHMC के चुनाव में 150 में से महज 51 सीटों पर चुनाव लड़ रही है.

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AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी
AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी
स्टोरी हाइलाइट्स
  • हैदराबाद 150 निकाय सीट पर एक दिसंबर को चुनाव
  • AIMIM ने सिर्फ 51 पार्षद सीटों पर उतारे प्रत्याशी
  • देश के दूसरे राज्यों में AIMIM का समीकरण क्या रहा

बिहार विधानसभा चुनाव में पांच सीटें जीतने के बाद असदुद्दीन ओवैसी अपनी पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिलाने के लिए फिक्रमंद हैं. यही वजह है कि ओवैसी ने अपनी पार्टी को देश के दूसरे राज्यों में विस्तार और अपनी उपस्थिति दर्ज कराने का भी ऐलान किया है, लेकिन अपने ही गृहराज्य तेलंगना और शहर हैदराबाद के सीमित दायरे में चुनाव लड़ रहे हैं. ओवैसी की AIMIM ने हैदराबाद नगर निगम (GHMC) के चुनाव में आधी से भी कम सीटों पर ही अपने उम्मीदवार उतारे हैं. 

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ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम (GHMC) की कुल 150 सीटों पर चुनाव हो रहे हैं, जहां एक दिसंबर को वोटिंग होनी है. असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM पार्टी महज 51 नगर निगम पार्षद की सीटों पर ही किस्मत आजमा रही है. AIMIM के ज्यादातर उम्मीदवार पुराने हैदराबाद इलाके की पार्षद सीटों पर ही चुनाव लड़ रहे हैं. इस तरह ओवैसी ने हैदराबाद के सिर्फ 33 फीसदी नगर निगम की सीट पर ही अपने उम्मीदवार उतारे हैं. वहीं, बीजेपी, कांग्रेस और टीआरएस ने सभी 150 निगम पार्षद सीटों पर अपने-अपने प्रत्याशी उतार रखे हैं. 

केसीआर और बीजेपी के सभी सीटों पर चुनाव लड़ने के चलते असदुद्दीन ओवैसी को अपने मजबूत गढ़ पुराने हैदराबाद के इलाके में ही इस बार कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. केसीआर और कांग्रेस ने पुराने हैदराबाद इलाके की कई सीटों पर मुस्लिम प्रत्याशी उतारे हैं तो बीजेपी ने सभी सीटों पर हिंदू कैंडिडेट उतारकर जबरदस्त घेराबंदी की है. यही वजह है कि ओवैसी और उनके छोटे भाई अकबरुद्दीन ओवैसी अपने प्रत्याशियों को जिताने के लिए दिन रात एक किए हुए हैं.

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बता दें कि ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम देश के सबसे बड़े नगर निगमों में से एक है. यह नगर निगम 4 जिलों में है, जिनमें हैदराबाद, रंगारेड्डी, मेडचल-मलकजगिरी और संगारेड्डी आते हैं. इस पूरे इलाके में 24 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं और तेलंगाना की 5 लोकसभा सीटें आती हैं. इन्हीं लोकसभा सीट में से एक पर असदुद्दीन ओवैसी खुद चौथी बार सांसद हैं. इसके अलावा उनकी पार्टी के सात विधायक भी इसी इलाके से चुनकर तेलंगाना विधानसभा में पहुंचे हैं. इसके बावजूद ओवैसी ने हैदराबाद नगर निगम चुनाव में सिर्फ 51 प्रत्याशी ही उतारे हैं, जिसे लेकर बीजेपी लगातार सवाल खड़े कर रही है. 

2016 में नगर निगम चुनाव का समीकरण 

2016 के ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम चुनाव में टीआरएस ने 150 वार्डों में से 99 वार्ड में जीत दर्ज की थी, जबकि असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने 44 जीता था. वहीं, बीजेपी महज तीन ही नगर निगम वार्ड में जीत दर्ज कर सकी थी और कांग्रेस को महज दो वार्डों में ही जीत मिली थी. इस तरह से ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम पर केसीआर की पार्टी ने कब्जा जमाया था. 

तेलंगाना में ओवैसी का सीमित दायरा 

असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने हैदराबाद के नगर निगम चुनाव ही नहीं बल्कि तेलंगाना विधानसभा चुनाव में भी सभी सीटों कभी चुनाव नहीं लड़ा. ओवैसी की पार्टी ने अभी तक जितने भी चुनाव हुए हैं, उनमें एक दर्जन से ज्यादा सीटों पर कभी चुनाव नहीं लड़े हैं. 2018 के तेलंगाना विधानसभा चुनाव में ओवैसी ने 11 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे, जिनमें से 7 जीते थे. इससे पहले 2014 में उन्होंने महज आठ सीटें लड़ी थी और सभी जीती थी, लेकिन 2018 में उन्होंने अपनी राजेंद्र नगर सीट गवां दी थी, जहां ओवैसी और उनके परिवार का खुद का घर है और वोट है. 2014 और 2019 में आंध्र प्रदेश के किसी भी सीट पर अपनी पार्टी के प्रत्याशी ओवैसी ने नहीं उतारे हैं. 

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AIMIM का देश के बाकी राज्य का समीकरण 

दिलचस्प बात यह है कि असदुद्दीन ओवैसी भले ही हैदराबाद और तेलंगाना में सीमित दायरे में चुनाव लड़ते हों, लेकिन देश के दूसरे राज्यों में खुलकर किस्मत आजमाते हैं. 2019 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 44 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, जिनमें से दो जीते थे. ऐसे ही बिहार विधानसभा चुनाव में ओवैसी ने इस बार 21 विधानसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे, जिनमें से 5 जीते हैं. इससे पहले यूपी के 2017 विधानसभा चुनाव में 38 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. दिसंबर 2019 के झारखंड विधानसभा चुनाव में ओवैसी ने 81 सीटों में से 16 पर चुनाव लड़ा था, लेकिन एक भी सीट नहीं जीत सके थे. 

बिहार चुनाव के बाद उन्होंने पश्चिम बंगाल में चुनाव लड़ने का ऐलान किया है और राजस्थान में भी अपनी पार्टी के विस्तार करना चाहते हैं. इसके पीछे ओवैसी की असल वजह अपनी पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्ज दिलाना है. राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त करने के लिए केंद्रीय चुनाव आयोग की तीन शर्त होती हैं, जिनमें से किसी एक को पूरा करना होता है. पहली लोकसभा चुनाव में कम से कम तीन राज्यों से कुल सीटों की दो प्रतिशत सीट चाहिए. दूसरी शर्त है कि पार्टी के पास चार लोकसभा सीट हों और चार राज्यों में कम से कम छह प्रतिशत वोट मिले हों. इसके अलावा कम से कम चार राज्यों में उसे स्टेट पार्टी की मान्यता प्राप्त हो. 
 

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