बीटीसी और विधानसभा चुनावों से पहले असम में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है. बोडोलैंड पीपल्स फ्रंट के इकलौते राज्यसभा सांसद विश्वजीत दैमारी और विधायक इमैनुएल मोशाहरी 20 हजार कार्यकर्ताओं के साथ रविवार को भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए.असम में बीजेपी की सरकार है. बीपीएफ सरकार में सहयोगी दल भी है. यह पार्टी के लिए बड़ा झटका है. यह और तब हो जाता है जब बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल के साथ-साथ राज्य में आम चुनाव भी होने वाले हों.
इससे पहले विस्वजीत दैमारी ने रविवार को ही राज्यसभा के पद से इस्तीफा दे दिया. उनका कहना था कि ''वह बीपीएफ पार्टी की तरफ से राज्यसभा सांसद थे. ऐसे में जब उन्होंने पार्टी छोड़ दी तो राज्यसभा सांसद रहने का मतलब ही नहीं है.'' इसके अलावा उन्होंने कहा कि वह अब भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता हैं और वह तुरंत प्रभाव से भाजपा के लिए काम करना शुरू करना चाहते हैं. यही नहीं विश्वजीत दैमारी का दावा है कि आने वाले समय में कई हजार कार्यकर्ताओं के साथ बीपीएफ केंद्रीय समिति के कई सदस्य भी बीजेपी में शामिल होंगे.
दरअसल दिसंबर 7 से 10 के बीच राज्य में बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल का 40 सीटों पर चुनाव होने वाला है. ऐसे में बीपीएफ के लिए मुश्किल यह है कि उसके दोनों प्रभावी नेताओं ने असम के वित्त मंत्री हेमंत बिस्वा शर्मा की मौजूदगी में 20 हजार कार्यकर्ताओं के साथ बीजेपी का दामन थाम लिया है. विधायक इमानुएल मोशाहरी ने बीजेपी में शामिल होने के बाद कहा, ''आने वाले बीटीसी चुनाव में बीपीएफ पार्टी बुरी तरह हारने वाली है. बोडोलैंड टेरिटोरियल डिस्ट्रिक्ट के चार जिलों कोकरझार, चिरांग, उदलगुरी, बाक्सा में पार्टी का सफाया होने वाला है. पिछले 17 सालों में बीपीएफ लोगों के आशाओं को पूरा करने में विफल रही.''
अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए मोशाहरी कहते हैं कि बोडोलैंड टेरेटोरियल एरिया में एंटी इंकम्बेंसी का भी फैक्टर है. यहां बीपीएफ की अब वो प्रसिद्धि भी नहीं रही. बीपीएफ का प्रभाव अब पहले जैसा नहीं रहा. काउंसिल के अगले चुनाव में बीजेपी पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आ रही है. मोशाहरी ने बीपीएफ पार्टी पर आरोप लगाते हुए कहा कि बीपीएफ ने यहां कोई विकास नहीं किया जबकि पार्टी यहां पर 17 साल सत्ता में रही है.
दरअसल बीजेपी और बीपीएफ गठबंधन में काफी दिनों से टकराव चल रहा है. बीजेपी के अंदरखाने यह खबर है कि शायद अगले आम चुनावों में बीजेपी बीपीएफ के बिना ही चुनावों में उतरे. 2021 के आम चुनावों से पहले गठबंधन के टूट जाने के पूरे आसार बनते दिखाई दे रहे हैं.