असम के सियासी इतिहास में पहली बार कोई गैर-कांग्रेसी गठबंधन लगातार दूसरी बार सरकार बनाने जा रहा है. बीजेपी गठबंधन को राज्य की 126 सीटों में से 76 सीटें मिली हैं जबकि कांग्रेस गठबंधन को 49 सीटों से संतोष करना पड़ा है. ऐसे में बीजेपी ने भले ही असम की सियासी जंग को फतह कर लिया हो, लेकिन मुख्यमंत्री की कुर्सी पर कौन बैठेगा इसे लेकर तस्वीर साफ नहीं है. ऐसे में सवाल उठता है कि बीजेपी सत्ता की कमान सर्बानंद सोनोवाल और हेमंत बिस्वा सरमा में से किसे सौंपेगी?
बता दें कि असम विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने इस बार मुख्यमंत्री चेहरे के तौर पर अपने किसी भी नेता को प्रोजेक्ट नहीं किया था. बीजेपी पार्टी गुटबाजी से बचने के लिए चुनाव में किसी चेहरे को आगे करने के बजाय सामूहिक नेतृत्व के साथ उतरी थी. हालांकि, 2016 में असम विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी ने सोनोवाल को सीएम का चेहरा घोषित किया था, तब वह केंद्र की मोदी सरकार में मंत्री थे. वहीं, अब सर्बानंद के मुख्यमंत्री रहते हुए बीजेपी दोबारा से सत्ता में वापसी करने में सफल रही है. ऐसे में पार्टी के लिए मुख्यमंत्री का चुनाव करना आसान नहीं होगा, क्योंकि हेमंत बिस्वा सरमा भी एक बड़ा चेहरा बनकर उभरे हैं.
असम की सियासत में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए हेमंत बिस्वा सरमा का राजनीतिक कद पार्टी में काफी बढ़ा है. माना जाता है कि सरमा ने कांग्रेस भी केवल इसलिए छोड़ी थी क्योंकि तरुण गोगोई के आगे वे मुख्यमंत्री नहीं बन पा रहे थे. ऐसे में हेमंत बिस्वा सरमा की राजनीतिक महत्वाकांक्षा जगजाहिर है. सरमा ने पांच साल पहले बीजेपी ज्वाइन की थी तब वो चाहते थे कि पार्टी उन्हें सीएम कैंडिडेट पेश करे, लेकिन बीजेपी ने ऐसा नहीं किया. वहीं, बीजेपी बाहर से आए किसी नेता को मुख्यमंत्री बनाकर कलह को जन्म नहीं देना चाहती थी. इसीलिए सर्बानंद सोनेवाल को सीएम का चेहरा बनाकर बाद में सत्ता की कमान सौंपी.
पांच साल के बाद असम के सियासी हालात काफी बदल गए हैं. सोनेवाल के ऊपर आरोप लगता रहा है कि वो विधायकों और क्षेत्रीय नेताओं के साथ कोई समन्वय नहीं बना पा रहे हैं. वहीं, हेमंत बिस्वा सरमा ने खुद को बीजेपी में न केवल स्थापित किया है बल्कि शीर्ष नेतृत्व तक यह संदेश पहुंचाने में सफल रहे हैं कि असम के साथ-साथ पूर्वोत्तर के राज्यों में भाजपा की मजबूती के लिए वो ट्रंप कार्ड हैं.
आजतक के एग्जिट पोल में भी असम में मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर सबसे ज्यादा लोगों ने हेमंत बिस्वा सरमा के प्रति अपना विश्वास जताया है. साथ ही असम में पिछले और इस बार चुनाव में बीजेपी के प्रदर्शन में हेमंत बिस्वा सरमा की भूमिका काफी अहम रही है. ऐसे में मुख्यमंत्री के नाम पर फैसला करने के लिए बीजेपी के सामने हेमंत बिस्वा सरमा और सर्बानंद सोनोवाल में किसी एक को इनकार करना होगा.
बीजेपी के सामने अब परेशानी यह है कि अगर पार्टी सरमा को खुश करने के लिए उन्हें सीएम की कुर्सी पर बैठाती है, तो सर्बानंद सोनोवाल खेमा नाराज हो जाएगा. वहीं, अगर सर्बानंद सोनेवाल की ताजपोशी होती है तो हेमंत बिस्वा सरमा रूठ सकते हैं. इस तरह से पार्टी को टूट का सामना भी करना पड़ सकता है. कांग्रेस इस मौके को भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी. इसीलिए बीजेपी के लिए सीएम के चेहरे का फैसला करना आसान नहीं है. ऐसे में देखना होगा कि असम की सत्ता की कमान बीजेपी किसे सौंपती है?