असम में जब विधानसभा चुनाव का प्रचार चल रहा था, तब बीजेपी की रैलियों में एक गाना गूंजा करता था और वो गाना था- "आहिसे, आहिसे, हिमंतो आहिसे." इसका मतलब हुआ "आएगा, आएगा, हिमंत आएगा." इस चुनाव में बीजेपी ने मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित नहीं किया था. पार्टी असम के मौजूदा सीएम सर्बानंद सोनोवाल को ही आगे रखकर चुनाव लड़ रही थी. इसका एक कारण ये भी बताया जाता है कि चुनाव से पहले ही हिमंत बिस्व सरमा ने सीएम पद की दावेदारी ठोक दी थी.
चुनाव में बीजेपी किसी भी तरह की गुटबाजी नहीं चाहती थी. इसलिए उसने सीएम पद का चेहरा घोषित नहीं किया. उसी वक्त से इस बात के कयास लगाए जाने लगे थे कि राज्य में अब बीजेपी चेहरा बदलने के मूड में आ गई है. बीजेपी की रैलियों में गूंजते गाने इस बात की आहट थे कि बीजेपी चुनाव जीती तो सीएम बदलना तय है. हालांकि, कोई भी इस बात को खुलकर कहने से बच रहा था. चाहे पार्टी हो या पार्टी के नेता.
विधानसभा चुनाव के नतीजे आए आज एक हफ्ता पूरा हो गया और हफ्तेभर से सीएम पद को लेकर जारी सस्पेंस भी खत्म हो गया. बीजेपी विधायक दल की बैठक में उसी नेता को चुना गया, जिसके नाम पर शुरू से ही कयास लगाए जा रहे थे. हिमंत बिस्व सरमा असम के मुख्यमंत्री पद की रेस जीत गए हैं. उन्हें बीजेपी विधायक दल की बैठक में नेता चुन लिया गया है. हिमंत बिस्व सोमवार को मुख्यमंत्री पद की शपथ ले सकते हैं.
सीएम की रेस में कैसे जीते हिमंत बिस्व ...
इसका कारण है हिमंत बिस्व सरमा की जमीनी पकड़ और लोकप्रियता. दोनों ही मामलों में हिमंत बिस्व, सर्बानंद सोनोवाल से कहीं आगे हैं. हिमंत बिस्व सरमा के पक्ष में एक बात ये भी गई कि उनके पास प्रशासनिक अनुभव के साथ-साथ रणनीतिक कौशल भी है. हिमंत बिस्व को पूर्वोत्तर का 'चाणक्य' कहा जाता है. तभी तो जैसे ही हिमंत बिस्व कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए, वैसे ही अगले विधानसभा चुनावों में बीजेपी की सरकार बन गई और कांग्रेस पिछड़ गई.
इन सबके अलावा जो सबसे जरूरी जिस फैक्टर ने काम किया, वो ये कि पूर्वोत्तर में हिमंत बिस्व बीजेपी के 'संकटमोचक' माने जाते हैं. इस बात को पार्टी भी मानती है. सूत्र बताते हैं कि हिमंत बिस्व 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते थे. तब उन्हें पार्टी हाईकमान ने ये कह कर रोक दिया था कि उनकी असम और नॉर्थ ईस्ट में ज्यादा जरूरत है.
इसके अलावा हिमंत बिस्व सरमा के इस रेस में जीतने की एक बड़ी वजह उनकी विजिबिलिटी भी है. पिछली सरकार में वो स्वास्थ्य मंत्री थे, लेकिन हर जगह नजर आते थे. हिमंत कांग्रेस सरकार में भी एक्टिव थे और वो जो भी काम करते हैं उनका काम सबको नजर आता है.
कौन हैं असम के नए सीएम हिमंत बिस्व सरमा?
हिमंत बिस्व सरमा का जन्म 1 फरवरी 1969 को गुवाहाटी के गांधी बस्ती, उलूबरी में हुआ. उनके पिता कैलाश नाथ शर्मा थे, जिनकी मौत हो चुकी है. माता मृणालिनी देवी हैं. पत्नी का नाम रिनिकी भुयान है. उनके दो बच्चे हैं. उन्होंने 1990 में ग्रेजुएशन और 1992 में पॉलिटिकल साइंस में पोस्ट ग्रेजुएशन किया. 1991-1992 में कॉटन कॉलेज गुवाहाटी के जनरल सेक्रेटरी रहे. सरकारी लॉ कॉलेज से एलएलबी किया और गुवाहाटी कॉलेज से पीएचडी की डिग्री हासिल की.
1996 से 2001 तक उन्होंने गुवाहाटी हाईकोर्ट में प्रैक्टिस की. उसके बाद राजनीति में उतर आए. 2001 में असम के जालुकबारी से पहली बार जीते. 2006 में दूसरी और 2011 में तीसरी बार चुने गए. 2016 के चुनाव से एक साल पहले कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आ गए. 2016 और 2021 में फिर बीजेपी की टिकट पर जालुकबारी सीट से जीतकर आए.