लोकसभा में नागर विमानन मंत्रालय की अनुदान मांगों पर हुई चर्चा का जवाब नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने दिया. सिंधिया ने एक तरफ अपनी नीति के बारे में बताया कि सरकार की नीति विनिवेश या निजिकरण की नहीं है लेकिन एयर इंडिया का निजीकरण क्यों किया गया है इसकी भी वजह भी बताई.
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि सरकार पर आरोप लगे कि एयरपोर्ट का विनिवेश किया जा रहा है और यह सरकार एयरपोर्ट बेच रही है. उन्होंने समझाते हुए कहा कि हमारी नीति विनिवेश की नहीं है. उन्होंने कहा कि जिन 6 हवाई अड्डों का संदर्भ दिया गया है, वह विनिवेश या निजाकरण के आधार पर निजी कंपनियों को नहीं दिए गए हैं, बल्कि उन्हें 50 साल के लिए लीज पर दिया गया है.
50 साल के बाद एयरपोर्ट फिर से सरकारी संपत्ति बन जाएंगे
उन्होंने निजीकरण और लीज़ में अंतर समझाते हुए कहा कि निजीकरण में आप अपने संसाधनों को बेच देते हैं, जो वापस कभी नहीं आते और लीज़ का मतलब होता है कि आप कुछ सालों के लिए किराए पर दे देते हैं. निजीकरण में केवल एक बार भुगतान होता है जबकि लीज में, आपको अपने संसाधन का मूल्य तो मिलता ही है साथ ही हर साल किराया भी मिलता है. निजीकरण में 'बिल्ड, ऑपरेट एंड ओन्ड मॉडल' चलाया जाता है जबकि लीज में देने पर 'बिल्ड, ऑपरेट, ओन्ड एंड ट्रांसफर बैंक' का मॉडल चलता है. सिंधिया ने कहा कि 50 साल बाद एयरपोर्ट फिर से सरकारी संपत्ति बन जाएंगे.
सिंधिया ने बताया कि एयरपोर्ट लीज पर इसलिए दिए गए क्योंकि वर्तमान एयरपोर्ट अथॉरिटी के अंतर्गत अगर अगले दो साल के मुनाफे का आकलन करें तो इन 6 एयरपोर्ट से हर साल एएआई को 550 करोड़ रुपए की कमाई होती लेकिन लीज के बाद इन 6 एयरपोर्ट से हर साल 904 करोड़ रुपए की कमाई होगी, यानी 64 प्रतिशत ज़्यादा कमाई.
उन्होंने बताया कि 2013-14 में हमारे देश में करीब हवाई यात्रा करने वाले 6.7 करोड़ यात्री थे, 2018-19 में हमने उसे दोगुना करके साढ़े 14 करोड़ कर दिया. 2013-14 में हमारे देश में 400 प्लेन थे जो 2018-19 में बढ़ कर 710 हो गए हैं.
2013-14 में हमारे देश में हवाई यात्रा करने वाले 6.7 करोड़ यात्री थे, 2018-19 में हमने उसे दोगुना करके साढ़े 14 करोड़ कर दिया।
— SansadTV (@sansad_tv) March 23, 2022
2013-14 में हमारे देश में 400 प्लेन थे जो 2018-19 में बढ़ कर 710 हो गए: #LokSabha में नागर विमानन मंत्री @JM_Scindia#BudgetSession @MoCA_GoI pic.twitter.com/AOcX7yyRFn
फिर एयर इंडिया का निजीकरण क्यों किया गया?
नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने लोकसभा में कहा कि एयर इंडिया देश के नवरत्नों में से एक था. निजी क्षेत्र से इसकी शुरुआत हुई थी. इसका राष्ट्रीयकरण किया गया और इसे कई साल सफलतापूर्वक चलाया गया. आज जो एयर इंडिया की स्थिति हुई वो क्यों हुई इसे समझने की ज़रूरत है.
55,000 करोड़ कर्ज लेकर 111 एयरक्राफ्ट खरीदे
उन्होंने कहा कि 2005-06 में जिस एयर इंडिया की कैपेबिलिटी केवल 14 करोड़ के मुनाफे की थी, उस एयर इंडिया के द्वारा 68 एयरक्राफ्ट बोइंग की खीरीदी के मसौदे पर हस्ताक्षर किया गया और 43 एयरक्राफ्ट एयरबस पर हस्ताक्षर हुए. जिस कंपनी की क्षमता 15 करोड़ मुनाफे की हो उस कंपनी के द्वारा एयर इंडिया और एयर इंडिया एक्सप्रेस के द्वारा 111 एयरक्राफ्ट खरीदे जा रहे थे. 2005 के पहले जो एयर इंडिया 15 करोड़ का प्रॉफिट बनाती है और जो इंडियन एयरलाइंस 50 करोड़ का प्रॉफिट बनाती है, वह 55,000 करोड़ का कर्ज लेती है और 111 एयरक्राफ्ट खरीदे जाते हैं. इसके साथ ही, 111 एयरक्राफ्ट में से 15-20 B777300ER ज़रूरत से ज़्यादा खरीदे जाते हैं और 5 एयरक्राफ्ट B300200EK 2013-14 में बेची जाती हैं.
हर कंपनी का डेब्ट टू इक्विटी रेशियो देखा जाता है. जिस कंपनी का लेवरेज पहले ही 5:1 है, उसमें आप 55 हजार करोड़ का कर्ज लेते हो और दोनों कंपनियों का मर्जर करते हो. तो 2005 में, जो प्रॉफिट मेकिंग कंपनियां थीं वो मर्जर के बाद हर साल 3,300 करोड़ का नुक्सान उठाने लगीं.
कंपनियों के मर्जर के बाद हर दिन 20 करोड़ का लॉस
सिंधिया ने बताया कि 2007-08 से 2020-21 तक हर साल 3000-7500 करोड़ का लॉस एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस के मर्जर को हुआ. यानी 20 करोड़ का नुकसान प्रति दिन. इसके साथ-साथ 2004-05 में जो बाइलैटरल्स का लिबरलाइजेशन किया गया, 51 मिलियन की बाइलैटरल्स क्षमता थी, उसे बढ़ाकर 180 मिलियन किया गया. खाड़ी देशों, दक्षिण एशियाई देशों को 200-200 प्रतिशत बढ़ाया गया और यूरोपियन देशों को 400 प्रतिशत बढ़ाया गया, जबकि भारतीय कैरियर्स के पास इतनी क्षमता नहीं थी.
एयर इंडिया में बन गई 2 लाख 50 हजार करोड़ की खाई
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि एयरलाइंस की जो स्थिति हुई वो इस प्रकार है- 14 साल का लॉस 85 हजार करोड़, भारत सरकार की इक्वीटी की इन्फ्यूज़न 44 हजार करोड़, सरकारी ग्रांट 50 हजार करोड़, मिलाकर 190 हजार करोड़ हो गया. और वर्तमान का नेट कर्ज था 66 हजार करोड़, तो 2 लाख 50 हजार करोड़ की खाई एयर इंडिया में उत्पन्न हो गई थी.
उन्होंने कहा कि यह पैसा भारत सरकार का नहीं है यह भारत के 135 करोड़ लोगों का पैसा है. इसके बाद ही यह फैसला लिया गया कि इस घाटे को बंद करना ही होगा और इसका विनिवेश करना ही होगा ताकि भारत सरकार और भारत की जनता के पैसे का संरक्षण किया जाए, उसका सदुपयोग किया जाए. इसीलिए इस कंपनी का विनिवेश किया गया.
एयर इंडिया के कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित
कर्मचारियों की स्थिति पर भी उन्होंने कहा कि शेयर होल्डर एग्रीमेंट में यह लिखा गया है कि एक साल तक किसी भी कर्मचारी को निकाला नहीं जाएगा. एक साल के बाद अगर किसी को हटाना है तो केवल वीआरएस स्कीम के तहत निकाला जाएगा.