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राम जी करेंगे बेड़ा पार... हिंदुत्व की राजनीति के लिए जरूरी हुआ अयोध्या का ठप्पा

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अयोध्या में भव्य राममंदिर का सपना साकार हो रहा है, इस दौरान अयोध्या सियासत के केंद्र में आ गई है. सत्तापक्ष से लेकर विपक्ष तक के नेता रामलला के दरबार में माथा टेकने पहुंच रहे हैं.

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उद्धव ठाकरे, राज ठाकरे, अरविंद केजरीवाल
उद्धव ठाकरे, राज ठाकरे, अरविंद केजरीवाल
स्टोरी हाइलाइट्स
  • राज ठाकरे 5 जून को अयोध्या में रामलला के दर्शन करेंगे
  • आदित्य ठाकरे 10 जून को अयोध्या पहुंच रहे हैं
  • सतीष मिश्रा, केजरीवाल रामलला के दर पर दस्तक दे चुके हैं

सियासत के केंद्र में रहने वाली अयोध्या फिर से उसी भूमिका में है. समय बदला, परिस्थितियां बदलीं और सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अयोध्या का भूगोल भी बदल रहा है. राम मंदिर का निर्माण यहां तेजी पर है. इसके बाद अयोध्या नगरी आज ऐसा केंद्र बन गई है, जहां हिंदुत्व की धारा में डुबकी लगाकर सियासी वैतरणी पार करने की चाह रखने वाले नेताओं के लिए हाजिरी लगाना पहली शर्त बन गया है. अयोध्या में जहां अब तक बीजेपी और उसकी विचारधारा से जुड़े नेता ही दिखाई देते थे वहां अब वे पार्टियां और नेता भी हाजिरी लगाते दिख रहे हैं जो अब तक अयोध्या जाने या खुद को राम भक्त बताने से परहेज करते रहे रहे.

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महाराष्ट्र में हिंदुत्व के एजेंडे को धार देने में जुटे महाराष्‍ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे ने भी हाजिरी की तैयारी कर ली है. तारीख 5 जून तय की गई है. इस सियासी दांव को कुंद करने के लिए मुख्‍यमंत्री उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्‍य ठाकरे ने भी 10 जून को रामलला के दर्शन के लिए अयोध्या पहुंचने का ऐलान कर दिया है. महाराष्‍ट्र से अयोध्‍या की राह पकड़ने वाले राज ठाकरे और आदित्य ठाकरे दोनों के अपने-अपने सियासी मकसद हैं. मराठी अस्मिता का दांव फेल होने के बाद अब राज ठाकरे हिंदुत्व की राह पर चलने की कोशिश कर रहे हैं. मस्जिदों के लाउडस्‍पीकर को हटाने को लेकर उन्होंने मोर्चा खोल रखा है. अपनी हिंदुत्‍ववादी छवि मजबूत करने के लिए उन्होंने अयोध्या दौरे की भी प्लानिंग की है. राज ठाकरे 5 जून को अयोध्या पहुंचेगे. 

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चाचा के पीछे-पीछे आएंगे आदित्य ठाकरे
महाराष्ट्र में हिंदुत्व के मुद्दे पर उद्धव सरकार लगातार घिरती जा रही है. राज ठाकरे के अयोध्या प्लान के बाद मुख्‍यमंत्री उद्धव ठाकरे के बेटे और राज्य के पर्यटन मंत्री आदित्‍य ठाकरे 10 जून को रामलला के दर्शन के लिए अयोध्‍या पहुंचेंगे. शिवसेना नेता संजय राउत भले ही आदित्‍य ठाकरे के अयोध्‍या जाने के पीछे किसी तरह का राजनीति मकसद होने से इनकार कर रहे हों, लेकिन अयोध्या में जिस तरह के पोस्टर लगे हैं वो बिल्कुल उलट कहानी कह रहे हैं. 

उद्धव ठाकरे ने भी किया था अयोध्या दौरा
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने साल 2019 में बीजेपी से नाता तोड़कर अपनी वैचारिक विरोधी एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाई. उसके बाद से ही लगातार बीजेपी हिंदुत्व के मुद्दे पर उन्हें घेरने में जुटी है. इसकी काट के लिए अपनी सरकार के 100 दिन पूरे होने के मौके पर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे सपरिवार अयोध्या पहुंचे थे. अयोध्या में रामलला के साथ ही उन्होंने हनुमानगढ़ी के दर्शन किए थे. हालांकि, उद्धव ठाकरे 2018 से तीन बार अयोध्या का दौरा कर चुके हैं. 

अयोध्या में रामलला के दर पर बसपा
बसपा के महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा ने 2022 यूपी चुनाव के लिए ब्राह्मण सम्मेलन शुरू किया था, जिसकु आगाज अयोध्या में रामलला के दर्शन से हुआ. तब सतीश चंद्र मिश्रा ने कहा था कि हम राम की पूजा करते हैं, उन पर राजनीति नहीं करते. अगर भाजपा कहती है कि राम उनके हैं तो यह उनकी संकीर्ण सोच है, भगवान श्री राम सबके हैं, जितना उनके हैं उससे अधिक हमारे हैं. 

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आम आदमी पार्टी की तीर्थ यात्रा योजना
आम आदमी पार्टी ने यूपी चुनाव अभियान की शुरुआत अयोध्या से की थी. आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह और दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने अयोध्या में रामलला और हनुमान गढ़ी में पूजा अर्चना कर चुनावी बिगुल फूंका तो दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी अयोध्या पहुंचकर हिंदुत्व कार्ड चला था. केजरीवाल ने अयोध्या में राम जन्मभूमि और हनुमानगढ़ी मंदिर में पूजा-अर्चना की, जिसके बाद उन्होंने बुजुर्गों के लिए अयोध्या की मुफ्त तीर्थयात्रा की घोषणा की. 

अखिलेश यादव का अयोध्या दौरा
सुप्रीम कोर्ट का राम मंदिर के पक्ष में फैसला आने के बाद से सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव भी इस मुद्दे पर नरम पड़ गए हैं. अखिलेश ने यूपी चुनाव की भले ही शुरुआत अयोध्या से न की हो, लेकिन अपनी पार्टी के उम्मीदवारों के लिए यहां प्रचार किया था. उन्होंने राम की पैड़ी से रोड शो का भी नेतृत्व किया और हनुमान गढ़ी मंदिर में पूजा की. इस दौरान उन्होंने कहा था कि राम मंदिर जब बनकर तैयार हो जाएगा तो अपने परिवार के साथ वे रामलला के दर्शन करने आएंगे. अखिलेश यादव चुनाव प्रचार के दौरान राम जन्मभूमि भले ही न गए हों, लेकिन साधु-संतों को अपने पक्ष में एकजुट कर बीजेपी के हिंदुत्व के दांव को काउंटर करने की कोशिश उन्होंने भरपूर की थी.

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