पश्चिम बंगाल की बहरामपुर लोकसभा सीट से अपनी हार के एक दिन बाद वरिष्ठ कांग्रेस नेता और 5 बार के सांसद अधीर रंजन चौधरी ने अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर आशंका जताई है. उन्होंने कहा कि मैं नहीं जानता कि अब मेरा राजनीतिक भविष्य कैसा होगा. एक बंगाली टीवी चैनल से बात करते हुए अधीर रंजन ने कहा कि उन्हें इस बात की भी आशंका है कि उनका कठिन समय आने वाला है. उन्होंने कहा कि इस सरकार (टीएमसी) से लड़ने के प्रयास में मैंने अपनी आय के सोर्स की उपेक्षा की है. मैं खुद को बीपीएल सांसद कहता हूं. राजनीति के अलावा मेरे पास कोई और हुनर नहीं है. इसलिए आने वाले दिनों में मेरे लिए मुश्किलें खड़ी होंगी और मुझे नहीं पता कि उनसे कैसे पार पाया जाएगा.
बता दें कि बहरामपुर लोकसभा सीट से टीएमसी कैंडिडेट यूसुफ पठान ने जीत हासिल की है, जबकि अधीर रंजन चौधरी 85022 वोटों से चुनाव हार गए हैं. एक ओर जहां यूसुफ पठान को 524516 वोट मिले तो वहीं अधीर रंजन को 439494 वोट मिले. अधीर रंजन चौधरी की हार के साथ ही कांग्रेस ने बहरामपुर पर अपनी राजनीतिक पकड़ खो दी है, जो बंगाल के अंतिम बचे कांग्रेस के गढ़ों में से एक था. कांग्रेस ने बंगाल में सिर्फ एक मालदा दक्षिण सीट जीती है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि वह जल्द ही अपना सांसद आवास खाली करने के लिए दिल्ली जाएंगे. उन्होंने कहा, मेरी बेटी फिलहाल पढ़ाई कर रही है और कभी-कभी अपनी पढ़ाई के लिए दिल्ली जाती है. मुझे वहां एक नया घर ढूंढना होगा, क्योंकि मेरे पास कोई घर नहीं है.
चुनाव के बाद ममता बनर्जी की इंडिया ब्लॉक के साथ निकटता पर बोलते हुए चौधरी ने कहा कि उन्होंने कभी भी विपक्षी मंच पर टीएमसी की मौजूदगी पर आपत्ति नहीं जताई, लेकिन इस बात से सहमत हैं कि उन्होंने बनर्जी के साथ गठबंधन का विरोध करते हुए पार्टी के आलाकमान के सामने अपनी बात रखी. यह पूछे जाने पर कि क्या वह राज्य पीसीसी प्रमुख के पद पर बने रहेंगे, इस पर अधीर रंजन ने कहा कि मैंने चुनाव में अपनी हार स्वीकार कर ली है. मैं अपने नेताओं से इस पद के लिए मुझसे अधिक योग्य किसी व्यक्ति को खोजने का आग्रह करते हुए अपना पद छोड़ना चाहता था, लेकिन सोनिया गांधी के अनुरोध पर मैंने ये फैसला वापस ले लिया है. मुझे अभी तक अपने नेताओं से कोई कॉल नहीं आया है. एक बार जब मुझे कॉल आएगा तो मैं अपनी इच्छा अपनी पार्टी के सामने दोहराऊंगा.
अधीर रंजन ने कहा कि बहरामपुर में प्रचार करने के लिए किसी नेता को न भेजना पार्टी का फैसला है और इस बारे में उन्हें कोई टिप्पणी नहीं करनी है. उन्होंने कहा कि जब राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा मुर्शिदाबाद पहुंची तो हमने उसमें हिस्सा लिया. हमारे पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने एक बार मालदा में प्रचार किया, लेकिन बहरामपुर कभी नहीं आए. यह हमारे केंद्रीय नेतृत्व का निर्णय था, जिसके बारे में मुझे कुछ नहीं कहना है.
चुनाव के बाद हिंसा और तृणमूल की ओर से राज्य में कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर हमले की गंभीर आशंका जताते हुए अधीर रंजन चौधरी ने ममता बनर्जी से अपने समर्थकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि उन्होंने बंगाल जीत लिया है, अब हमारे कार्यकर्ताओं को निशाना बनाने का क्या मतलब है? मुझे आपका विरोध करने के लिए जितना चाहें उतना दंडित करें, लेकिन मेरे कार्यकर्ताओं को छोड़ दें.