उत्तर प्रदेश के बाहुबली मुख्तार अंसारी इन दिनों पंजाब की जेल में बंद हैं. सूबे की योगी सरकार मुख्तार अंसारी को यूपी लाने के लिए कोर्ट में जद्दोजहद कर रही है. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दाखिल कर मुख्तार अंसारी ने कहा है कि वो एक ऐसे परिवार का हिस्सा है जिसका देश के स्वतंत्रता आंदोलन में अहम भूमिका रही है. उनके परिवार से राज्यपाल और देश के उपराष्ट्रपति रहे हैं.
पूर्वांचल के डॉन मुख्तार अंसारी पर भले ही दर्जनों मुकदमे दर्ज हों, लेकिन उनके पारिवारिक इतिहास काफी गौरवशाली रहा है. मुख्तार अंसारी के दादा आजादी से पहले इंडियन नेशनल कांग्रेस के अध्यक्ष रहे. दादा का नाम भी मुख्तार अंसारी था, जिन्होंने देश की आजादी में अहम रोल अदा किया था. गाजीपुर का जिला अस्पताल उन्हीं के नाम पर है. वहीं, मुख्तार अंसारी के चाचा हामिद अंसारी देश के उप-राष्ट्रपति रहे और भाई अफजल अंसारी मौजूदा समय में सांसद हैं.
दादा आजादी के आंदोलन के नायक
गाजीपुर जिले में ही नहीं बल्कि पूर्वांचल के कई जिले में मुख्तार अंसारी के परिवार का सम्मान है. मऊ में अंसारी परिवार की इस इज्जत की एक वजह और है और वो है इस खानदान का गौरवशाली इतिहास. खानदानी रसूख की जो तारीख इस घराने की है वैसी शायद ही पूर्वांचल के किसी खानदान की हो. बाहुबली मुख्तार अंसारी के दादा डॉ. मुख्तार अहमद अंसारी स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन के दौरान 1926-27 में इंडियन नेशनल कांग्रेस के अध्यक्ष रहे. वो देश के राष्ट्रपित महात्मा गांधी के बेहद करीबी माने जाते थे. 1930 में जब गांधी जी ने नमक पर कर लगाए जाने के विरोध में सत्याग्रह किया था, तो मुख्तार अंसारी उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े थे.
नाना थे नौशेरा युद्ध के नायक
मुख्तार अंसारी के दादा की तरह नाना भी देश की नामचीन हस्तियों में से एक थे. शायद कम ही लोग जानते हैं कि महावीर चक्र विजेता ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान अंसारी बाहुबली मुख्तार अंसारी के नाना थे. जिन्होंने 1947 की जंग में न सिर्फ भारतीय सेना की तरफ से नौशेरा की लड़ाई लड़ी बल्कि हिंदुस्तान को जीत भी दिलाई. हालांकि, वो खुद इस जंग में हिंदुस्तान के लिए शहीद हो गए थे. उन्हें महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था.
मुख्तार अंसारी के चाचा उपराष्ट्रपति
अंसारी परिवार की इसी विरासत को मुख्तार अंसारी के पिता सुब्हानउल्लाह अंसारी ने आगे बढ़ाया. कम्युनिस्ट नेता होने के अलावा अपनी साफ सुथरी छवि की वजह से सुब्हानउल्लाह अंसारी को 1971 के नगर पालिका चुनाव में निर्विरोध चुना गया था. इतना ही नहीं भारत के पिछले उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी भी मुख्तार के रिश्ते में चाचा लगते हैं. वो उपराष्ट्रपति से पहले विदेश सेवा में थे और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के वीसी भी रहे हैं. इसके अलावा देश के जाने-माने पत्रकार जावेद अंसारी भी रिश्ते में उनके भाई लगते हैं.
मुख्तार अंसारी के दोनों बेटे इंटरनेशनल खिलाड़ी
एक तरफ जहां सालों की खानदानी विरासत है तो वहीं दूसरी तरफ कई संगीन इल्ज़ामों से घिरे माफिया डॉन मुख्तार अंसारी हैं. जिन्होंने इस शानदार विरासत पर पैबंद लगाया है. मगर इस खानदान की अगली पीढ़ी से मिलेंगे तो फिर हैरानी होगी. मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी शॉट गन शूटिंग के इंटरनेशनल खिलाड़ी हैं. टॉप शूटरों में शुमार अब्बास न सिर्फ नेशनल चैंपियन रह चुके हैं. बल्कि दुनियाभर में कई पदक जीतकर देश का नाम रोशन कर चुके हैं.
अब इस विरासत को आगे बढ़ाने की ज़िम्मेदारी अब्बास अंसारी की ही है, जिन्होंने 2017 में बसपा से चुनाव लड़े थे, लेकिन जीत नहीं सके. मुख्तार अंसारी के बड़े भाई अफजाल अंसारी पांच बार लेफ्ट पार्टी से विधायक रहे हैं और फिलहाल तीसरी बार गाजीपुर से सांसद हैं और उनके दूसरे भाई सिबगतुल्ला अंसारी दो बार विधायक रहे चुके हैं. हालांकि, इस बार वो चुनाव नहीं जीत सकते थे.
यूपी के मऊ की कहानी भी बहुत अजीब है. बीते 5 बार से जो उनका विधायक है. वो पिछले 13 सालों से जेल में ही बंद है. मर्डर, किडनैपिंग और वसूली जैसी दर्जनों संगीन वारदातों के आरोप में मुखतार अंसारी के खिलाफ 40 से ज़्यादा मुकदमे दर्ज हैं. फिर भी दबंगई इतनी है कि जेल में रहते हुए भी न सिर्फ चुनाव जीतते हैं बल्कि अपने गैंग को भी चलाते हैं. 2005 में मुख्तार अंसारी पर मऊ में हिंसा भड़काने के आरोप लगे. साथ ही जेल में रहते हुए बीजेपी नेता कृष्णानंद राय की 7 साथियों समेत हत्या का इल्ज़ाम भी अंसारी के माथे पर लगा.
पूर्वांचल में कायम है दबदबा
मऊ में दंगा भड़काने के मामले में मुख्तार ने गाजीपुर पुलिस के सामने सरेंडर किया था. और तभी से वो जेल में बंद हैं. पहले उन्हें गाजीपुर जेल में रखा गया. फिर वहां से मथुरा जेल भेजा गया. फिर मथुरा से आगरा जेल और आगरा से बांदा जेल भेज दिया गया. उसके बाद से आजतक मुख्तार को बाहर आना नसीब नहीं हुआ. लेकिन फिर भी पूर्वांचल में उनका दबदबा कायम है. वो जेल में रहकर भी चुनाव जीतते रहे.
गरीबों के लिए रॉबिन हुड
ठेकेदारी, खनन, स्क्रैप, शराब, रेलवे ठेकेदारी में अंसारी का कब्ज़ा है. जिसके दम पर उसने अपनी सल्तनत खड़ी की. मगर ये रॉबिन हुड अगर अमीरों से लूटता है, तो गरीबों में बांटता भी है. ऐसा मऊ के लोग कहते हैं कि सिर्फ दबंगई ही नहीं बल्कि बतौर विधायक मुख्तार अंसारी ने अपने इलाके में काफी काम किया है. सड़कों, पुलों, अस्पतालों और स्कूल-कॉलेजों पर ये रॉबिन हुड अपनी विधायक फंड से 20 गुना ज़्यादा पैसा खर्च करता है. हालांकि, योगी सरकार के सत्ता में आने के बाद उनकी उलटी गिनती शुरू हो गई है. उनके तमाम कारोबार खत्म हो गए हैं और उनके करीबी लोगों पर प्रशासन ने नकेल कस रखी है.