
देश की राजनीति में अहम भूमिका निभाने वाले गांधी परिवार से जुड़े राहुल लगभग दो दशक पहले जब राजनीति में आए थे, उस समय उनकी छवि एक हैंडसम युवक की थी, जिनके गालों पर पड़ने वाले डिंपल भी सुर्खियां बटोरते थे. लेकिन वक्त के साथ-साथ उनकी छवि में बदलाव आया और उनकी छवि एक नॉन-सीरियस नेता के तौर पर गढ़ दी गई.
राजनीति में कई उतार-चढ़ाव से होते हुए राहुल ने जब पिछले साल कन्याकुमारी से भारत जोड़ो यात्रा शुरू की थी, तो शुरुआत में उसे बेशक गंभीरता से नहीं लिया गया. लेकिन अब जब यह यात्रा अपने मुकाम पर पहुंच गई है तो यह देखना लाजिमी होगा कि क्या विपक्ष द्वारा गढ़ी गई अपनी छवि को वह तोड़ने में कामयाब रहे हैं या नहीं?
राहुल गांधी की अगुवाई में कांग्रेस की कन्याकुमारी से कश्मीर तक की 4000 किलोमीटर की यह यात्रा खूब चर्चा में रही. उससे भी ज्यादा चर्चा उनकी उस बेतरतीब दाढ़ी की रही, जिसकी तुलना कभी सद्दाम हुसैन, कार्ल मार्क्स और कभी फॉरेस्ट गम्प से की गई. एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस यात्रा ने कुछ हद तक राहुल की छवि के मेकओवर में मदद की है.
दरअसल, राहुल गांधी की इस भारत जोड़ो यात्रा का अघोषित मकसद उनकी छवि बदलना था, जिसके लिए कांग्रेस पार्टी ने पूरी कोशिश भी की. इस यात्रा के बहाने राहुल गांधी एक ऐसे नेता के तौर पर उभर कर सामने आए जो कह सकता है कि वह देश की नब्ज को समझते हैं.दक्षिण से लेकर उत्तर तक राहुल गांधी पदयात्रा करते अपनी व्यक्तिगत छवि बेहतर बनाने की कोशिश की है, लेकिन क्या वह अपनी छवि को बदल पाए हैं. ऐसे में जानते हैं कि एक्सपर्ट की क्या राय है...
'राहुल दाढ़ी में गंभीर नेता दिख रहे हैं'
विज्ञापन इंडस्ट्री के दिग्गज प्रह्लाद कक्कड़ ने एक न्यूज एजेंसी से बातचीत करते हुए कहा कि राहुल गांधी की बढ़ी हुई दाढ़ी ने यकीनन उन्हें गंभीर दिखने में मदद की है. वह अब ऐसे शख्स के रूप में नजर आ रहे हैं, जो ना तो इंदिरा गांधी का पोता है और ना ही राजीव गांधी का बेटा. वह अब राहुल गांधी हैं. आज के समय में लोग उन्हें किस तरह से देख रहे हैं, यह अधिक महत्वपूर्ण हैं.
विपक्ष ने एक कैंपेन के तहत उनकी छवि नॉन-सीरियस और राजनीति को हल्के में लेने वाले शख्स के तौर पर गढ़ी. वह कहते हैं कि राहुल ने बेशक पार्ट-टाइम नेता की अपनी छवि को पीछे छोड़ दिया है और अब वह एक अधिक गंभीर और परिपक्व नेता के तौर पर उभरकर सामने आए हैं.
इमेज एक्सपर्ट्स का कहना है कि ऐसा हो सकता है कि राहुल गांधी का दाढ़ी वाला लुक सोच-समझकर अख्तियार किया गया फैसला हो, जिससे आमजन को एक संदेश दिया जा सके.
राहुल की छवि मेकओवर का हिस्सा यात्रा
मीडिया फर्म एफसीबी ग्रुप इंडिया के सीईओ रोहित ओहरी कहते हैं कि भारत जोड़ो यात्रा उनकी इमेज मेकओवर का बहुत बड़ा पहलू है और उनकी बेतरतीब बढ़ी हुई दाढ़ी इसका प्रतीक है.
उन्होंने कहा कि राहुल गांधी की यह दाढ़ी समझदारी, उनकी मेहनत और कभी हार ना मानने वाले जज्बे का प्रतीक है. राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि राहुल गांधी ने कन्याकुमारी से कश्मीर तक की इस यात्रा के जरिये अपनी सहनशक्ति से सभी को वाकिफ कराया है. यह उनकी उस पुरानी छवि का अंत भी है.
राहुल में सहनशक्ति और परिपक्वता
कक्कड़ ने कहा कि लोगों ने कभी सोचा ही नहीं था कि राहुल गांधी इस यात्रा के दौरान गजब की सहनशक्ति और परिपक्वता का परिचय देंगे. लेकिन उन्होंने अपने उस रुख से लोगों को वाकिफ कराया, जो उन्हें विरासत में मिले थे. यह भारत जोड़ो यात्रा उनके इमेज मेकओवर के लिए बहुत जरूरी थी और आखिरकार उन्हें काफी हद तक एक्सेप्टेंस मिल गई है.
उन्होंने कहा कि देश में सभी नेताओं को इस बात का अहसास है कि लोगों के वोट कमाने का कोई शॉर्टकट नहीं है. जब तक आप सड़कों पर नहीं उतरते और अपना खून-पसीना नहीं बहाते, तब तक लोग आपसे प्रभावित नहीं होंगे.
भारत जोड़ो यात्रा की लगभग पूरी यात्रा के दौरान सफेद टीशर्ट पहने नजर आए राहुल ने सभी को हैरत में डाल दिया है. वह कहते हैं कि राहुल गांधी इस दाढ़ी के बूते ही एक परिपक्व शख्स में तब्दील हो गए हैं. हमारे देश में मूंछों और दाढ़ी को हमेशा से ही मर्दानगी से जोड़कर देखा गया है.
'राहुल ने पप्पू की छवि को खारिज किया'
उन्होंने कहा कि राहुल के नए अवतार का जवाब अब बीजेपी उनके भाषणों पर हमलावर होकर देने की कोशिश कर रही है. पहले उन्होंने ऐसा करने की कोशिश नही की थी क्योंकि उस समय वे राहुल की छवि पप्पू के तौर पर गढ़कर राजनीतिक कसौटी पर उन्हें खारिज कर चुके थे. यह फैक्ट है कि अगर आपका दुश्मन आपको एक गंभीर प्रतिद्वंद्वी समझता है तो आप 90 फीसदी सफलता हासिल कर लेते हो.
राहुल गांधी को अब हर कदम फूंकना रखना होगा. वह क्या बोलते हैं, क्या करते हैं, अब उनके हर कदम पर सबकी नजर होगी. उनके एक तरह से एक नई शुरुआत करनी होगी और भविष्य में सत्ता में आने पर कांग्रेस की गलतियों के लिए माफी मांगकर शुरुआत करनी होगी.
वह कहते हैं कि अब एक बड़ा सवाल है कि क्या राहुल गांधी यात्रा खत्म हो जाने के बाद शेव करेंगे या नहीं. ओहरी कहते हैं कि मुझे लगता है कि वह इस लुक को बरकार रखेंगे और शेव से दूरी बनाए रखेंगे.
राहुल की छवि को बदलने की स्ट्रेटेजी
इमेज कंसल्टिंग बिजनेस इंस्टीट्यूट की सह संस्थापक सुमन अग्रवाल कहती हैं कि राहुल गांधी का यह लुक इमेज मैनेजमेंट की भाषा में एक स्ट्रैटेजिक कदम है. उनका इरादा नेताओं की पुरानी रूढ़ीवादी छवि को तोड़ने और नेताओं के लिए एक नए लुक को अपनाने की है. आज की नई पीढ़ी अपनी शर्तो पर जीना चाहती है. बेतरतीब बाल और दाढ़ी यह दर्शाते हैं कि लुक पर ध्यान देने के बजाए मेरे पास जिंदगी में और भी जरूरी चीजें हैं. वह चाहते हैं कि लोग नए नजरिए से उनकी तरफ देखें और लुक मेकओवर इस स्ट्रैटेजी का अहम हिस्सा है.
बता दें कि राहुल गांधी ने जम्मू में प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर कहा था कि बीजेपी और आरएसएस ने सिस्टैमेटिक तरीके से उनकी छवि को गलत तरीके से पेश करने के लिए हजारों करोड़ रुपये लगाए. लेकिन सच्चाई हमेशा सामने आती है.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश भी यह कह चुके हैं कि राहुल गांधी की छवि को गलत तरीके से पेश करने की बीजेपी की कवायद पर भारत जोड़ो यात्रा से पानी फिर गया है. कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि यात्रा ने पार्टी कार्यकर्ताओं को जमीनी स्तर पर ऊर्जावान बना दिया. उत्तर भारत के राज्यों में राहुल गांधी का जिस तरह स्वागत हुआ है, वह बताता है कि बीजेपी ने जो नैरेटिव सेट किया था, वो बदल रहा है. राहुल गांधी राष्ट्रीय स्तर पर एक ऐसे नेता के रूप में उभरे हैं जो ईमानदार, दृढ़ संकल्प और करुणा के प्रतीक हैं.