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बिहार के CM के लिए नीतीश से ज्यादा पॉपुलर हैं तेजस्वी, BJP तीसरे नंबर पर: सर्वे

बिहार में सत्ता परिवर्तन के बाद जमीन पर समीकरण कितने बदले हैं, ये जानने के लिए आजतक ने C-VOTER के साथ मिलकर सर्वे किया है. उस सर्वे तेजस्वी के लिए गुड न्यूज है तो नीतीश के लिए चिंताएं.

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बिहार के CM के लिए नीतीश से ज्यादा पॉपुलर हैं तेजस्वी
बिहार के CM के लिए नीतीश से ज्यादा पॉपुलर हैं तेजस्वी
स्टोरी हाइलाइट्स
  • हर वर्ग में लोकप्रिय निकले तेजस्वी
  • सीटों के मामले में एनडीए को नुकसान

बिहार में नीतीश कुमार ने सबसे बड़ा सियासी खेला कर दिया है. एक बार फिर महागठबंधन के साथ जा उन्होंने एनडीए को सत्ता से बेदखल कर दिया है. लेकिन सवाल तो ये उठता है कि इस सियासी उलटफेर का सबसे ज्यादा फायदा किसको मिला है? क्या एनडीए से अलग होना नीतीश कुमार का सही दांव रहा है? तेजस्वी के लिए इस सरकार में शामिल होने के क्या मायने हैं? अब ऐसे तमाम सवालों के साथ आजतक ने C-VOTER के साथ मिलकर एक सर्वे किया है. उस सर्वे में मुख्यमंत्री पसंद से लेकर वर्तमान स्थिति के नफा-नुकसान को लेकर जनता की राय जानी गई है.

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मुख्यमंत्री नीतीश, लोकप्रिय निकले तेजस्वी

सर्वे में सबसे बड़ा सवाल तो ये रहा कि बिहार में मुख्यमंत्री की पहली पसंद कौन है? इस सवाल के जवाब में 43 फीसदी लोगों ने तेजस्वी यादव को बेहतर मुख्यमंत्री माना है. ये आंकड़ा अपने आप में मायने रखता है क्योंकि इस महागठबंधन की सरकार में नीतीश को सीएम पद दिया गया है और तेजस्वी डिप्टी सीएम बन संतुष्ट हैं. लेकिन सी वोटर का आंकड़ा बताता है कि तेजस्वी की लोकप्रियता में उछाल देखने को मिला है. अब तेजस्वी अगर ज्यादा लोकप्रिय बने हैं, तो नीतीश कुमार को नुकसान होता दिख रहा है. सर्वे के मुताबिक वर्तमान में नीतीश को सिर्फ 24 प्रतिशत लोग मुख्यमंत्री की पहली पसंद मान रहे हैं. वहीं अगर बीजेपी का कोई भी चेहरा मुख्यमंत्री बने तो उसे 19 फीसदी लोग अपनी पसंद बता रहे हैं.

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महिला वोटरों की पहली पसंद कौन? 

लेकिन इस रेस में सबसे आगे तेजस्वी यादव ही चल रहे हैं. बड़ी बात ये है कि हर समुदाय में उन्होंने अपनी लोकप्रियता बढ़ाई है. एक ऐसी बढ़त हासिल कर ली है जो नीतीश कुमार के लिए भी एक बड़ा संदेश है. सर्वे में जब पुरुषों की राय ली गई तो वहां भी नीतीश को झटका ही लगा. बिहार के 41.8 फीसदी पुरुष सीएम पद के लिए तेजस्वी को अपनी पहली पसंद मान रहे हैं, वहीं नीतीश के खाते में सिर्फ 23.8 फीसदी वोट जा रहे हैं. बीजेपी यहां भी सबसे ज्यादा पीछे चल रही है और सिर्फ 19.6 प्रतिशत पुरुषों का समर्थन मिल रहा है. महिलाओं की बात करें तो यहां भी नीतीश के हाथ निराशा लग सकती है. जिस वोटर ने 2020 में सत्ता में वापसी करवा दी थी, इस समय उसका झुकाव भी तेजस्वी की तरफ ज्यादा हो रहा है. सर्वे के मुताबिक 44 फीसदी महिलाएं तेजस्वी को मुख्यमंत्री की पहली पसंद मान रही हैं. वहीं नीतीश को सिर्फ 23.3 फीसदी महिलाएं पसंद कर रही हैं. बीजेपी को 17.5 प्रतिशत वोट मिल सकते हैं.

मुस्लिम समाज कहां जाने वाला है?

अगर लोकप्रियता को जातियों के आधार पर बांट दिया जाए, तो यहां भी तेजस्वी, नीतीश कुमार से आगे निकलते दिख रहे हैं. ओबीसी वर्ग में जब मुख्यमंत्री को लेकर सवाल पूछे गए तो पहली पसंद तेजस्वी यादव बने. उन्हें 44.6 फीसदी लोगों ने सीएम की पहली पसंद बताया. वहीं नीतीश को सिर्फ 24.7 फीसदी लोगों ने पसंद किया है. ओबीसी वर्ग में बीजेपी सीएम को 18.4 फीसदी लोगों की स्वीकृति मिल सकती है. बात जब मुस्लिम समुदाय की आती है, तो ये वर्ग भी खुलकर तेजस्वी के पक्ष में जाता दिख रहा है. सी वोटर के मुताबिक वर्तमान में 54 प्रतिशत मुस्लिम तेजस्वी को बेहतर सीएम मान रहे हैं, नीतीश को सिर्फ 30 फीसदी पसंद कर रहे हैं और बीजेपी तो इस रेस से ही बाहर चल रही है और वो 3.3 फीसदी पर सिमटती दिख रही है.

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आज चुनाव हुआ तो कितनी सीटें...

अब मुख्यमंत्री रेस में तो तेजस्वी भारी पड़े, बात अगर सीटों के आधार पर की जाए तो भी दिलचस्प आंकड़े निकलकर सामने आते हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में बिहार ने एनडीए के पक्ष में जमकर वोटिंग की थी. तब एनडीए को 54 प्रतिशत वोट मिले थे. लेकिन 2022 अगस्त में ये आंकड़ा घटकर 41 फीसदी पर पहुंच गया है. मतलब तीन साल के अंदर में एनडीए को 13 फीसदी का नुकसान होता दिख रहा है. वहीं जो नुकसान एनडीए को हो रहा है, उसका सीधा फायदा महागठबंधन उठा रहा है. इस गठबंधन को 2019 के लोकसभा चुनाव में 31 प्रतिशत वोट मिले थे.

लेकिन अब जब जमीन पर समीकरण  बदले हैं तो इसका फायदा भी महागठबंधन को होता दिख रहा है. इन्हें इस समय 46 फीसदी वोट मिलते दिख रहे हैं. यानी कि सीधे-सीधे 16 फीसदी का उछाल आ रहा है. जब इसी वोट प्रतिशत को सीटों के आधार पर देखते हैं, तो सी वोटर के मुताबिक एनडीए की टैली 14 पर आकर सिमट सकती है. ये पार्टी के लिए बहुत बड़ा झटका साबित हो सकता है क्योंकि 2019 में क्लीन स्वीप करते हुए 39 सीटों पर जीत दर्ज हुई थी. लेकिन नीतीश कुमार के पाला बदलते ही एनडीए को बड़ा नुकसान हो रहा है. वहीं अगर महागठबंधन की बात करें तो उसकी सीटों में उछाल हो सकता है. उसके खाते में 26 सीटें तक आ सकती हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में ये आंकड़ा सिर्फ एक सीट था, लिहाजा नीतीश के आते ही जमीन पर समीकरण पूरी तरह बदल रहे हैं.

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