बिहार में सियासी बदलाव के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लोगों के मिजाज और राज्य की सियासी नब्ज की थाह लेने के लिए समाधान यात्रा चार जनवरी से शुरू की थी, जो गुरुवार को बेगुसराय में समाप्त हो गई है. नीतीश ने 44 दिनों में 38 जिलों का दौरा कर लोगों को विकास योजनाओं की सौगात देने के साथ ही लोगों की राय जानने और जनता से सीधे संवाद स्थापित करने की कवायद की. सीएम नीतीश ने समाधान को सफल बताया तो बीजेपी ने कहा कि इससे किसी भी समस्या का समाधान नहीं हुआ. ऐसे में सवाल उठता है कि डेढ़ महीने की यात्रा में आखिर नीतीश क्या हासिल कर पाए?
नीतीश कुमार बिहार की सियासत के मंझे हुए खिलाड़ी हैं और पहली बार यात्रा पर नहीं निकले थे. वो जब-जब सियासी चक्रव्यूह में घिरे तो सीधे जनता के बीच पहुंच गए. नीतीश कुमार अपने राजनीतिक जीवन में हर बार अपने खिलाफ बन रहे सियासी माहौल को मात देने में सफल रहे हैं. एनडीए से नाता तोड़कर महागठबंधन में एंट्री की, तब वे शराब के मुद्दे से लेकर कानून व्यवस्था पर घिरे हुए थे. बीजेपी ही नहीं बल्कि महागठबंधन में भी उनके खिलाफ लगातार आवाज उठने लगी थी. कुढ़नी सीट उपचुनाव में जेडीयू हार गई थी. बीजेपी ने इस सीट को महागठबंधन से छीन लिया था.
विरोध के उठते सुर को दबाने और सूबे में बदले सियासी माहौल में जनता की नब्ज की थाह लेने के लिए सीएम नीतीश कुमार ने समाधान यात्रा शुरू की, जिसे मिशन-2024 से जोड़कर देखा जा रहा है. नीतीश ने जिले-जिले घूमकर विकास की सौगात से नवाजा और लोगों से सीधे बात की तो विरोधियों के हमले भी झेलने पड़े तो कहीं-कहीं पर जनता के गुस्से का भी सामना करना पड़ा. कटिहार में लोगों की नाराजगी इसीलिए झेलनी पड़ी, क्योंकि जनता को सीएम से मिलने नहीं दिया जा रहा था. ऐसे में लोगों ने मोदी-मोदी के नारे लगाए जबकि मुजफ्फरनपुर में लोगों ने नारा लगाया, 'हमारा पीएम कैसा हो.... नीतीश कुमार जैसा हो.'
माना जा रहा था कि महागठबंधन में नीतीश कुमार की एंट्री के बाद आरजेडी और जेडीयू की ताकत के आगे बीजेपी को बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन गोपालगंज और कुढ़नी विधानसभा सीट पर महागठबंधन को हार का सामना करना पड़ा. नीतीश के लिए सियासी तौर पर बड़ा झटका था. इतना ही नहीं बीजेपी अब बिहार में अपने दम पर खड़े होने की कवायद में है, जिसका जिम्मा केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने संभाल रखा है. ऐसे में नीतीश कुमार अपने राज्य और पार्टी दोनों को ही दुरुस्त करने के लिए समाधान यात्रा शुरू की.
नीतीश कुमार ने अपनी डेढ़ महीने की यात्रा के दौरान राज्य की समस्याएं देखीं और जिनका समाधान भी तलाशते नजर आए. बिहार में जीविका दीदियों से मिलने वाले फीडबैक को खासा महत्व देते हैं. बिहार में जीविका योजना से करीब डेढ़ करोड़ महिलाएं जुड़ी हुई हैं, जिनके साथ नीतीश हर जिले में मुलाकात कर रहे थे और शराबबंदी से लेकर तमाम सरकारी योजनाओं की फीडबैक लेते दिखे. अलग-अलग जिले में महिलाओं से बातचीत कर उनकी समस्याओं के साथ-साथ सरकारी योजनाओं पर राय-मशवरा किया. इस तरह से नीतीश बीजेपी के साइलेंट वोट माने जाने वाली महिला वोटर्स का भरोसा जीतने की कवायद करते दिखे.
बता दें कि नीतीश कुमार की समाधान यात्रा लोगों की निजी समस्या के समाधान के लिए नहीं थी. इसलिए कई जगहों पर यात्रा के दौरान उनका विरोध भी देखा गया. औरंगाबाद में समाधान यात्रा के दौरान नीतीश कुमार पर कुर्सी का एक हिस्सा फेंका गया था. समाधान यात्रा के दौरान ही कई जगह पर विरोध का भी सामना करना पड़ा. बीजेपी नेता और केंद्रीय गृहराज्य मंत्री नित्यानंद ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि नीतीश की समाधान यात्रा के दौरान किसी भी समस्या का समाधान नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जब किसी से मिले ही नहीं, तो समाधान किसका और क्या किए? सीएम नीतीश पर हमला बोलते हुए नित्यानंद राय ने कहा कि आज की तारीख में वे सबसे बड़ा समस्या हैं.
हालांकि, नीतीश कुमार ने अपनी यात्रा को सफल बताया. उन्होंने कहा कि पूरे बिहार में नये-नये तरीके से काम हो रहा है. लोगों के पास जाकर उनकी बात सुनते हैं तो समस्या का समाधान हो रहा है. जन समस्याओं को सुनकर उसका समाधान किया जा रहा है. आगे भी जो जरूरी होगा वो करेंगे. सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि चार जनवरी से हमने समाधान यात्रा की शुरुआत की थी. उसमें हमने देखा कि जो काम कर रहे हैं वो कितना सफल है. उसी काम का प्रोसेस देखना इस यात्रा का उद्देश्य था. सीएम ने कहा कि प्रधानमंत्री बनने की हमारी इच्छा नहीं है. लोग जब नारा लगाते हैं, सवाल उठाते हैं तो हम उन्हें रोकते भी हैं.
नीतीश कुमार समाधान यात्रा के जरिए बिहार की समस्या का समाधान तलाश रहे थे तो महागठबंधन से भी आवाज उठने लगी है. नीतीश कुमार के सहयोगी सीपीआई माले के राष्ट्रीय महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने अपनी ही महागठबंधन सरकार पर हमला बोला. उन्होंने कहा कि नीतीश को सुशासन बाबू कहा जाता है, लेकिन सुशासन राज में अपराधी कानून की धज्जियां उड़ा रहे हैं. हत्याएं हो रही हैं, यह दुखद है. शिक्षकों और अभ्यर्थियों पर लाठीचार्ज हो रहा. महागठबंधन सरकार ने जो वादे किए उसको पूरा करना चाहिए. पेपर लीक, विश्वविद्यालयों में सेशन लेट है, यह सब ठीक नहीं है. हम लोग आंदोलन करते रहेंगे. इतना ही नहीं, जीतनराम मांझी ने भी सवाल उठाया था कि नीतीश की समाधान यात्रा में गरीब लोगों से मिल नहीं पा रहे हैं तो उसके जवाब में उन्होंने गरीब यात्रा शुरू की है. उपेंद्र कुशवाहा भी लगातार नीतीश कुमार पर जेडीयू को कमजोर करने का आरोप लगा रहे हैं. इस तरह से नीतीश कुमार भले ही समाधाना यात्रा पर निकले थे, लेकिन क्या वह महागठबंधन की समस्या का समाधान नहीं तलाश पा रहे हैं?
ये भी देखें