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बिहार बीजेपी को सुशील मोदी ने दी पहचान, अब खुद की प्रतिष्ठा दांव पर!

2015 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी बिना किसी लोकल चेहरे को आगे किए और पीएम नरेंद्र मोदी के काम और नीतियों के दम पर उतरने को तैयार दिख रही थी लेकिन अगर देखा जाए तो बिहार बीजेपी में भी सबसे बड़ा कद सुशील मोदी का ही था.

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सुशील कुमार मोदी (फाइल फोटो)
सुशील कुमार मोदी (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • बिहार बीजेपी के लंबे वक्त तक चेहरा रहे हैं सुशील मोदी
  • 2015 में भी सबसे बड़ा कद सुशील मोदी का ही था
  • डिप्टी सीएम के पद से उनकी छुट्टी लगभग तय है

बिहार में सियासत फिर गरमा गई है. बीजेपी के कद्दावर नेता सुशील कुमार मोदी की डिप्टी सीएम पद से छुट्टी लगभग तय मानी जा रही है. अब बिहार में दो डिप्टी सीएम होने की बात कही जा रही है, जिनेक नाम भी तय माने जा रहे हैं.

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नीतीश के बेहद करीबी सुशील मोदी 2005 से उनके साथ मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश करते थे, लेकिन रविवार को नजारा कुछ और ही रहा, नीतीश कुमार राज्यपाल फागू चौहान से अकेले ही मिलने गए और अकेले ही सरकार बनाने का दावा पेश किया. बिहार की सिसायत में बीजेपी को नए आयाम पर लाने वाले सुशील मोदी वही चेहरा हैं जिनके रहते हुए इस बार के विधानसभा चुनाव में बीजेपी बड़े भाई की भूमिका तक पहुंच गई. 

इसी तरह 2015 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी बिना किसी लोकल चेहरे को आगे किए और पीएम नरेंद्र मोदी के काम और नीतियों के दम पर उतरने को तैयार दिख रही थी, लेकिन बिहार बीजेपी में भी सबसे बड़ा कद सुशील मोदी का ही था. वो एनडीए सरकार में उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री जैसी अहम भूमिका निभा चुके हैं और बिहार में बीजेपी का चेहरा माने जाते रहे हैं. 

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5 बार गिरफ्तारी हुई थी

सुशील कुमार मोदी का जन्म 5 जनवरी 1952 को पटना में हुआ था. पटना विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान सुशील मोदी छात्र राजनीति में सक्रिय थे और 1974 में जय प्रकाश नारायण के आह्वान पर छात्र आंदोलन में कूद पड़े. 1962 में वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सदस्य बने. 1983–86 के बीच सुशील मोदी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय महासचिव रहे.
 जेपी आंदोलन और आपातकाल के दौरान सुशील मोदी की 5 बार गिरफ्तारी हुई थी.

भागलपुर से जीते लोकसभा चुनाव

सुशील मोदी 1990 में सक्रिय राजनीति में आए और पटना सेंट्रल विधानसभा सीट से चुने गए. 1995 और 2000 में भी वे विधानसभा पहुंचे. 1996 से 2004 के बीच वे बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे. पटना हाई कोर्ट में उन्होंने लालू प्रसाद के खिलाफ जनहित याचिका डाली जिसका खुलासा चर्चित चारा घोटाले के रूप में हुआ था. 2004 में सुशील मोदी ने लोकसभा का चुनाव लड़ा और भागलपुर से विजयी रहे.

बीजेपी को 74 सीटें मिली

2005 में बिहार चुनावों में एनडीए को बहुमत मिला. नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने तो सुशील मोदी को उपमुख्यमंत्री की जिम्मेदारी मिली. साथ में वित्त मंत्रालय और कई अन्य विभागों की जिम्मेदारी संभाली थी. 2010 में एनडीए की फिर जीत हुई और नीतीश सरकार में सुशील मोदी फिर उपमुख्यमंत्री बने. वित्त मंत्री के रूप में जुलाई 2011 में सुशील मोदी को GST पर बनी राज्यों के वित्त मंत्रियों की समिति का चेयरमैन बनाया गया था. वहीं, 2020 के चुनाव में भी सुशील मोदी बीजेपी का सबसे बड़े चेहरा रहे. बीजेपी इस बार बड़े भाई की भूमिका है. जेडीयू इस बार 43 सीटों पर जीती है जबकि बीजेपी को 74 सीटें मिली हैं. 

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