केंद्र सरकार के कृषि बिल के बाद अब दूसरे विधेयक पर बवाल शुरू हो गया है. सरकार ने रविवार को विदेशी अंशदान विनियमन (संशोधन) विधेयक, 2020 लोकसभा में पेश किया था. इस बिल में प्रस्ताव है कि किसी भी एनजीओ के पदाधिकारियों को एफसीआरए लाइसेंस के रजिस्ट्रेशन के लिए आधार नंबर देना अनिवार्य होगा. साथ ही सरकारी कर्मचारियों के विदेश से धन हासिल करने पर रोक होगी.
इस बिल को गृह मंत्री अमित शाह की जगह केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने पेश किया जिसका कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने विरोध किया. मनीष तिवारी का कहना था कि पिछले 6 साल में इसका इस्तेमाल उन गैर सरकारी संगठनों (NGO) के खिलाफ किया जा रहा है जो सरकार के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं.
मनीष तिवारी ने कहा कि 2010-2019 के दौरान 19000 से अधिक एफसीआरए कैसिंल किए गए लेकिन सरकार जवाब देने में विफल रही कि कितने मामले अंतिम निष्कर्ष पर पहुंचे. कांग्रेस नेता ने विदेशी अंशदान विनियमन (संशोधन) विधेयक, 2020 के क्लॉज 6 और 7 को लेकर विरोध जताया.
वहीं तृणमूल कांग्रेस के सांसद सौगत रॉय ने कहा कि शिकंजा कसने की कोशिश की जा रही है. लोक सेवकों को अनुमति नहीं है. आधार अनिवार्य कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि एफसीआरए में संशोधन का मकसद सिर्फ कंट्रोल करना नहीं बल्कि उन्हें रोकना भी है. इन नियमों का केवल कुछ ही लोग पालन करने में सक्षम होंगे. ग्रामीण आदिवासी क्षेत्र इससे ज्यादा प्रभावित होंगे.