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बीजेपी आगामी लोकसभा चुनाव और कुछ राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर अपनी तैयारी तेज कर दी है. उसने आगामी चुनावों को देखते हुए गुरुवार को राजस्थान, बिहार, दिल्ली और ओडिशा में पार्टी चीफ की घोषणा कर दी है. राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने राजस्थान में सांसद सीपी जोशी, बिहार में एमएलसी सम्राट चौधरी, दिल्ली में वीरेंद्र सचदेवा और ओडिशा में पूर्व मंत्री मनमोहन सामल को नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त कर दिया है. इन नए चेहरों को लेकर कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं. समझते हैं कि इन चेहरों से बीजेपी को क्या फायदा हो सकता है.
सीपी जोशी
बीजेपी ने राजस्थान में सतीश पूनिया को हटाकर चित्तौड़गढ़ से दूसरी बार सांसद बने सीपी जोशी को नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया है. पूनिया के कार्यकाल को एक्सटेंशन दिया गया था, लेकिन इस साल प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने उन्हें हटाकर नया सियासी दांव चला है. सीपी जोशी ब्राह्मण समाज का बड़ा चेहरा हैं. उन्हें गैर विवादास्पद चेहरा माना जाता है. बीजेपी ने उन्हें जिम्मेदारी सौंपकर सामाजिक समीकरण साधने की कोशिश की है. इसके अलावा संगठन में चल रही खींचतान को भी खत्म करने की कोशिश की जाएगी. सीपी जोशी की आरएसएस में अच्छी पकड़ है. जोशी चित्तौड़गढ़ में पहली बार 2014 में फिर 2019 में लोकसभा चुनाव जीते. जोशी बीजेवाईएम के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं, इसलिए उन्हें संगठन का भी अनुभव है.
सम्राट चौधरी
बीजेपी ने बिहार में संजय जायसवाल की जगह सम्राट चौधरी को कमान सौंपी है. सम्राट बिहार सरकार में तीन बार कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं. वह पहले आरजेडी में थे फिर जेडीयू में शामिल हुए. अब बीजेपी में हैं. सम्राट कुशवाहा समाज से आते हैं. प्रदेश में यादव के बाद सबसे ज्यादा कुशवाहा का वोट बैंक है. नीतीश कुमार के लव-कुश समीकरण को तोड़ने में सम्राट अहम भूमिका निभा सकते हैं. सम्राट के जरिए बीजेपी पिछड़ा-अतिपिछड़ा वर्ग के वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश करेगी. सम्राट के पिता पूर्व मंत्री शकुनी चौधरी की बिहार में काफी राजनीतिक पैठ है. वह नीतीश कुमार और लालू यादव के बेहद खास रहे हैं.
वीरेंद्र दिल्ली में पिछले तीन महीने से कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष की भूमिका निभा रहे थे. दिल्ली नगर निगम चुनाव में हार के बाद आदेश गुप्ता ने इस पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद उन्हें यह जिम्मेदारी सौंपी गई थी. इस दौरान उनके नेतृत्व में पार्टी विपक्षी पार्टियों खासकर आम आदमी पार्टी पर काफी हमलावर रही. उनका परिवार पाकिस्तान से आने के बाद चांदनी चौक में बस गया था. उन्होंने यहीं से अपनी राजनीति की शुरुआत की. वह 1988 से राजनीति में एक्टिव हैं. उन्होंने मंडल स्तर से लेकर जिला अध्यक्ष तक की भूमिका निभाई. ऐसा माना जा रहा है कि बीजेपी सचदेवा के जरिए पंजाबी मतदाताओं को साधने की कोशिश करेगी. उन्हें संगठन की बेहतरीन समझ है. वह पार्टी ग्राउंड लेवल तक मजबूत करेंगे. संगठन में अच्छी पकड़ होने के कारण ही उन्हें कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण का प्रमुख भी बनाया जा चुका है. वह पत्रकारिता से राजनीति में आए.
मनमोहन सामल
बीजेपी ने ओडिशा में समीर मोहंती की जगह मनमोहन सामल को पार्टी की कमान सौंपी है. विधानसभा चुनाव से पहले इस बदलाव को कई मायने निकाले जा रहे हैं. ओडिशा के तटीय इलाकों में सामल एक बड़ा राजनीतिक चेहरा हैं. सामल की आदिवासी समाज पर अच्छी पकड़ है. बीजेपी उनके जरिए क्षेत्रीय संतुलन बनाने की कोशिश करेगी. वह केंद्रीय नेतृत्व के करीबी हैं. मनमोहन सामल ओडिशा सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं. इसके अलावा बीजेपी-बीजेडी गठबंधन की सरकार के समय में वह यूनिट प्रेसिडेंट भी रह चुके हैं.