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'अखिलेश और स्वामी प्रसाद को फांसी दो', रामचरितमानस विवाद पर बोले BJP विधायक

समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य इन दिनों रामचरितमानस पर अपने विवादित बयानों को लेकर लगातार सुर्खियों में बने हुए हैं. वहीं बीजेपी विधायक नंद किशोर गुर्जर ने कहा कि समाजवादी पार्टी के नेताओं के द्वारा जानबूझकर हिंदू धर्म और संस्कृति को बदनाम किया जा रहा है.

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अखिलेश यादव और स्वामी प्रसाद मौर्य (फाइल फोटो - PTI)
अखिलेश यादव और स्वामी प्रसाद मौर्य (फाइल फोटो - PTI)

उत्तर प्रदेश के लोनी से बीजेपी विधायक नंद किशोर गुर्जर ने रामचरितमानस विवाद को लेकर समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव और स्वामी प्रसाद मौर्य को सरेआम फांसी देने की मांग की है. नंद किशोर गुर्जर ने कहा कि उनमें दूसरे धर्मों के बारे में बोलने की हिम्मत नहीं है. उन्होंने मांग की कि ऐसे लोगों पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए और सार्वजनिक रूप से फांसी दी जानी चाहिए.

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बीजेपी एमएलए ने कहा कि लोगों का जनादेश उनके खिलाफ है. यह चुनाव हारने की बौखलाहट हैं . इन्हें अपना भविष्य अंधकार में नजर आ रहा है. वे आगामी चुनाव हारने के डर से ऐसी बीतें कर रहे हैं. 

नंदकिशोर गुर्जर ने कहा कि समाजवादी पार्टी के नेताओं के द्वारा जानबूझकर हिंदू धर्म और संस्कृति को बदनाम किया जा रहा है. साथ ही कहा कि उन्होंने हिंदू समाज को कमजोर समझ लिया है. साथ ही कहा कि उन्होंने हिंदू समाज को कमजोर समझ लिया है.

 

राज्य मंत्री ने भी की थी फांसी की मांग

इससे पहले अलीगढ़ में उत्तर प्रदेश सरकार के राज्य मंत्री रघुराज सिंह ने स्वामी प्रसाद मौर्य के लिए फांसी की मांग की है. राज्य मंत्री ने कहा था कि स्वामी प्रसाद मौर्य जनता दल से कांग्रेस, कांग्रेस से बसपा, बसपा से भाजपा, फिर सपा में गए हैं. वह कल कहीं भी जा सकते हैं. इन्हें तत्काल पार्टी से निकालना चाहिए नहीं, तो अखिलेश बाबू की पार्टी भगवान राम की विरोधी मानी जाएगी. उन्होंने कहा था कि मैं सलाह दूंगा कि तत्काल उनको निष्कासित करें. उसके बाद सीएम योगी मामले की जांच कराकर मौर्य को जेल में डाल देंगे. ये बेईमान लोग हैं, जो देश का खाते हैं और विदेश का गाते हैं. तत्काल प्रभाव से मौर्य को बर्खास्त करना चाहिए.

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क्या कहा था स्वामी प्रसाद ने?

समाजवादी पार्टी के एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा था कि धर्म के नाम पर जाति के अपमान का विरोध किया जाना चाहिए. सपा नेता ने कहा था कि ऐसे कई करोड़ लोग हैं, जिन्होंने रामचरितमानस नहीं पढ़ी है. उन्होंने कहा था कि ब्रिटिश काल में दलितों को पढ़ने और लिखने का अधिकार दिया और महिलाओं को ब्रिटिश राज के तहत साक्षर होने का अधिकार मिला. साथ ही स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा था कि तुलसीदास की रामचरितमानस में कुछ अंश ऐसे हैं, जिनपर हमें आपत्ति है. क्योंकि किसी भी धर्म में किसी को भी गाली देने का कोई अधिकार नहीं है. तुलसीदास की रामायण की चौपाई है. इसमें वह शुद्रों को अधम जाति का होने का सर्टिफिकेट दे रहे हैं.

(रिपोर्ट- मयंक गौर)

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