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वोट किसी और के ज्यादा, सीटें किसी और को... जम्मू कश्मीर में गजब का रहा चुनाव नतीजा

जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनाव नतीजों में नेशनल कॉन्फ्रेंस सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है. केंद्र शासित प्रदेश में वोट और सीटें, दोनों मामलों में दो अलग-अलग दलों के नंबर वन रहने का ट्रेंड इस बार भी बरकरार रहा. ज्यादा वोट पाकर भी बीजेपी सीटों के मामले में नेशनल कॉन्फ्रेंस से पिछड़ गई.

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Omar Abdullah, Ravindra Raina
Omar Abdullah, Ravindra Raina

चुनावों में अमूमन ऐसा देखा जाता है कि ज्यादा वोट शेयर वाली पार्टी ही ज्यादा सीटें जीतती है. कभी-कभी ऐसी तस्वीर भी सामने आती है जब कोई पार्टी वोटों के लिहाज से आगे हो लेकिन सीटों के मामले में पीछे रह जाए. इस तरह के चुनावी आंकड़े किसी राज्य में कभी-कभार ही देखने को मिलते हैं लेकिन जब कहीं ये लगातार दो चुनाव में देखने को मिले तो इसे क्या कहेंगे? जम्मू कश्मीर के चुनावी नतीजों में इसी तरह की तस्वीर नजर आती है जहां ज्यादा वोट वाली पार्टी कोई है और ज्यादा सीटों वाली कोई और.

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जम्मू-कश्मीर के चुनाव में वोट शेयर के लिहाज से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सबसे बड़ी पार्टी है तो वहीं नेशनल कॉन्फ्रेंस सीटों के लिहाज से. दोनों दलों के वोट शेयर में गैप भी कोई छोटा नहीं, दो फीसदी से अधिक का है. बीजेपी को 25.64 फीसदी वोट मिले हैं और पार्टी 29 सीटें जीतने में सफल रही है. वहीं, नेशनल कॉन्फ्रेंस का वोट शेयर 23.43 फीसदी रहा.

दोनों दलों के वोट शेयर में 2.21 फीसदी का यह गैप सीटों के मामले में बड़ा हो जाता है. बीजेपी को मिली 29 सीटों के मुकाबले नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 13 अधिक 42 सीटें जीती हैं. दोनों दलों को मिले वोट की बात करें तो बीजेपी को विधानसभा चुनाव में कुल मिलाकर 14 लाख 62 हजार 225 वोट मिले हैं और नेशनल कॉन्फ्रेंस को 13 लाख 36 हजार 147. दोनों दलों के वोट में भी एक लाख 26 हजार 78 वोट का अंतर है. 

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2014 के चुनाव में भी हुआ था ऐसा

जम्मू-कश्मीर विधानसभा के पिछले चुनाव 10 साल पहले 2014 में हुए थे. तब भी चुनाव नतीजे कुछ ऐसे ही आए थे. 2014 के चुनाव में भी वोट शेयर और सीट संख्या, दोनों ही मामलों में दो अलग-अलग पार्टियां नंबर वन रही थीं. 2014 और 2024 के नतीजों में इन दो अलग-अलग शीर्ष पार्टियों की लिस्ट में एक नाम कॉमन है- बीजेपी.

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साल 2014 के जम्मू-कश्मीर चुनाव में भी बीजेपी वोट शेयर के लिहाज से सबसे बड़ी पार्टी थी. तब बीजेपी को 23.2 फीसदी वोट मिले थे लेकिन सीटें 25 ही आई थीं. मुफ्ती परिवार की पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) 22.9 फीसदी वोटों के साथ वोट शेयर के मामले में नंबर दो रही लेकिन सीटें उसे 28 मिली थीं.

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इस बार के चुनाव में भी कैटेगरी वाइज अलग-अलग शीर्ष दल का यह ट्रेंड बरकरार रहा. ऐसा दूसरे राज्यों में भी देखने को मिला है. साल 2018 के मध्य प्रदेश चुनाव में भी ऐसी ही तस्वीर देखने को मिली थी जब बीजेपी को ज्यादा वोट मिले थे लेकिन सीटें कांग्रेस की अधिक थीं. तब कांग्रेस ने कमलनाथ की अगुवाई में सरकार भी बनाई जो 15 महीने ही चल सकी थी.

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AAP से ज्यादा वोट पाकर भी शून्य पर सिमटे ये दल

11.97 फीसदी वोट शेयर के साथ 6 सीटें जीतने वाली कांग्रेस दोनों ही लिहाज से नंबर तीन पर रही है. एक रोचक तथ्य यह भी है कि आम आदमी पार्टी 0.52 फीसदी वोट शेयर के साथ एक सीट जीतने में सफल रही लेकिन उससे कहीं अधिक 0.96 फीसदी वोट शेयर वाली बहुजन समाज पार्टी, 1.16 फीसदी वोट शेयर वाली जेकेएनपीपी जैसी पार्टियों का खाता तक नहीं खुल सका.

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