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किसान आंदोलन: कानून वापसी नहीं तो घर वापसी भी नहीं, सरकार को राकेश टिकैत की दो टूक

राकेश टिकैत ने कहा, "8 जनवरी 2021 को सरकार के साथ हमारी फिर से मुलाकात होगी. इस दौरान तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने पर और MSP दोनों मुद्दों पर 8 तारीख को बात होगी. हमने सरकार को बता दिया है कि कानून वापसी नहीं तो घर वापसी नहीं."

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भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत (फोटो- पीटीआई)
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत (फोटो- पीटीआई)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • कानून वापसी नहीं तो घर वापसी भी नहीं-राकेश टिकैत
  • आगे भी आंदोलन जारी रहेगा- किसान संगठन
  • 8 जनवरी को एक बार फिर बातचीत की मेज पर बैठेंगे

सोमवार को किसान संगठनों और सरकार के मंत्रियों के बीच आठवें दौर की वार्ता खत्म होने के बाद भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने सरकार को दो टूक कहा कि जब तक सरकार ये तीनों कानून वापस नहीं लेती है, तब तक हमारी घर वापसी नहीं होगी. 

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राकेश टिकैत ने कहा, "8 जनवरी 2021 को सरकार के साथ हमारी फिर से मुलाकात होगी. इस दौरान तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने पर और MSP दोनों मुद्दों पर 8 तारीख को बात होगी. हमने सरकार को बता दिया है कि कानून वापसी नहीं तो घर वापसी नहीं."

बता दें कि किसान आंदोलन का 39वां दिन गुजर गया है. सरकार और किसान संगठनों के बीच 8 राउंड की वार्ता हो चुकी है, लेकिन अबतक इसका कोई नतीजा नहीं निकला है. किसान कृषि कानून को वापस करवाने की मांग पर अडिग हैं. 

भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि मीटिंग में किसानों ने एक सुर में कहा कि जब तक सरकार कानून वापस नहीं लेती है, तबतक कोई बातचीत नहीं होगी. राकेश टिकैत ने कहा कि पिछली बार के मुकाबले इस बार सरकार के रुख में सकारात्मक बदलाव दिख रहा था. उन्होंने कहा कि सरकार ने कहा है कि अगले चार दिन में हम आपस में सलाह मशविरा करके 8 जनवरी को फिर से बातचीत की टेबल पर आएंगे. 

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राकेश टिकैत के मुताबिक किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा और 8 जनवरी को एक बार फिर कानून को रद्द करने के मुद्दे पर ही बातचीत होगी. 

 

भारतीय किसान यूनियन के नेता युद्धवीर सिंह ने कहा कि हमनें सरकार को स्पष्ट कह दिया है कि कानून पर चर्चा करने का अब कोई मतलब नहीं है क्योंकि हम पूरी तरह से कानून वापसी चाहते हैं. सरकार हमें संशोधन की ओर ले जाना चाहती है, लेकिन इसें हम स्वीकार नहीं करेंगे. 

बता दें कि सरकार ने किसानों की मांग पर विचार करने के लिए एक संयुक्त कमेटी गठित करने का भी प्रस्ताव दिया था. लेकिन किसानों ने इसे भी खारिज कर दिया. 

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