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यूपी उपचुनावों पर गरमाई सियासत, लेकिन बिहार-राजस्थान उपचुनाव भी क्यों है अहम?

उत्तर प्रदेश में मैनपुरी लोकसभा, रामपुर और खतौली विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव को लेकर सियासत गरमा गई है, लेकिन यूपी से ज्यादा बिहार, राजस्थान और छत्तीसगढ़ की एक-एक सीटों पर उपचुनाव को राजनीतिक तौर पर अहम माना जा रहा है. राजस्थान, छत्तीसगढ़ के उपचुनाव को 2023 में होने वाले चुनाव को सेमीफाइल माना जा रहा है?

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तेजस्वी यादव, अशोक गहलोत, भूपेश बघेल, नवीन पटनायक
तेजस्वी यादव, अशोक गहलोत, भूपेश बघेल, नवीन पटनायक

उत्तर प्रदेश के मैनपुरी लोकसभा, रामपुर और खतौली विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव के लेकर सियासी सरगर्मी तेज है. यूपी में भले ही तीन सीटों पर उपचुनाव हो रहे हों, लेकिन बिहार, राजस्थान और छत्तीसगढ़ की एक-एक सीट पर भी पांच दिसंबर को वोटिंग है. बिहार की कुढ़नी सीट पर नीतीश-तेजस्वी की जोड़ी की अग्निपरीक्षा है तो राजस्थान की सरदारशहर और छत्तीसगढ़ की भानुप्रतापपुर सीट के उपचुनाव को अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए लिटमस टेस्ट माना जा रहा है? 

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बिहार की कुढ़नी सीट पर उपचुनाव

बिहार की कुढ़नी विधानसभा सीट आरजेडी के विधायक अनिल सहनी को सजा होने के चलते खाली हुई है. यहां से बीजेपी से केदार गुप्ता मैदान में है तो महागठबंधन से मनोज कुशवाहा किस्मत आजमा रहे हैं. मुकेश सहनी वीआईपी पार्टी ने सवर्ण समाज से नीलाभ कुमार को प्रत्याशी बनाया है तो असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने गुलाम मुर्तजा अंसारी को उतारा है. ओवैसी के उतरने के बाद कुढ़नी सीट पर भी मुकाबला काफी दिलचस्प हो गया है और महागठबंधन के निशाने पर आ गए हैं, जिसके चलते गोपालगंज सीट तरह उलटफेर न हो जाए. 

कुढ़नी सीट के सियासी समीकरण देखें तो वैश्य वोटर सबसे ज्यादा हैं, जिसके चलते बीजेपी ने केदार गुप्ता पर दांव लगाया है. वैश्य वोटों के बाद मल्लाह, यादव, कोइरी काफी निर्णायक हैं. इसके अलावा मुस्लिम और दलित वोटर भी अहम भूमिका में हैं. कुढ़नी सीट पर भूमिहार वोटर बीजेपी से नाराज माने जा रहे हैं और मुकेश सहनी ने जिस तरह से भूमिहार कार्ड खेला है, उससे बीजेपी की चुनौती बढ़ गई है. इसी तरह से असदुद्दीन ओवैसी ने मुस्लिम प्रत्याशी उतारकर महागठबंधन के लिए टेंशन बढ़ा रखी है. 

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सरदारशहर का चुनाव 2023 का सेमीफाइल

राजस्थान की सरदारशहर विधानसभा सीट कांग्रेस के विधायक भंवरलाल शर्मा के निधन से रिक्त हुई है. 2023 के राजस्थान विधानसभा चुनावों से पहले यह राजस्थान की सत्ता का सेमीफाइनल माना जा रहा है. कांग्रेस भंवरलाल शर्मा के बेटे अनिल शर्मा को उपचुनाव में उतारा है. बीजेपी से अशोक कुमार पिंचा मैदान में है जबकि आरएलपी से लालचंद मूड ताल ठोक रहे हैं. इस तरह से त्रिकोणीय मुकाबला होने का आसार दिख रहा है. 2018 के बाद से हर उपचुनाव कांग्रेस जीत रही है. ऐसे में बीजेपी इस सीट को अपने कब्जा जमाकर 2023 की मजबूत दावेदार करनी चाहती है, तो कांग्रेस अपनी जीत के सिलसिले को बरकार रखना चाहती है. 

छत्तीसगढ़ में भानुप्रतापपुर उपचुनाव
छत्तीसगढ़ के भानुप्रतापपुर विधानसभा कांग्रेस के विधायक रहे मनोज मंडावी के निधन के चलते रिक्त हुई है. इस सीट पर कांग्रेस ने मनोज मंडावी की पत्नी सावित्री मंडावी को उतार रखा है तो बीजेपी ने  ब्रह्मानंद नेताम को उतारा है. नेताम यहां से विधायक रहे चुके हैं. आदिवासी बहुल इस सीट पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधा मुकाबला है. छत्तीसगढ़ में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए भानुप्रतापुर उपचुनाव को लिटमस टेस्ट माना जा रहा है. इसी के चलते दोनों ही पार्टियों ने अपनी-अपनी ताकत झोंक रखी हैं. 

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ओडिशा की पदमपुर सीट उपचुनाव 
ओडिशा की पदमपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव बीजेडी के विधायक रहे बिजय रंजन सिंह बरिहा के निधन के चलते हो रहा है. बीजेपी ने इस सीट पर बिजय रंजन की बेटी बर्षा सिंह बरिहा को उतारा है तो बीजेपी से प्रदीप पुरोहित और कांग्रेस से सत्यभूषण साहू किस्मत आजमा रहे हैं. बीजेपी ओडिशा में अपना सियासी आधार मजबूत करने की कवायद कर रही है. ऐसे में पदमपुर सीट को आगामी 2024 के विधानसभा और लोकसभा चुनाव के लिए लिटमस टेस्ट मानी जा रही है. बीजेपी और बीजेपी के बीच सीधी लड़ाई है, लेकिन कांग्रेस इसे त्रिकोणीय बनाने में जुटी है. 

यूपी की तीन सीटों पर उपचुनाव
उत्तर प्रदेश में मैनपुरी लोकसभा और रामपुर, खतौली विधानसभा सीट पर उपचुनाव हो रहे हैं. मैनपुरी सीट मुलायम सिंह के निधन से रिक्त हुई है, जहां सपा से डिंपल यादव मैदान में है तो बीजेपी से रघुराज शाक्य उतरे हैं. वहीं, आजम खान को सजा होने के चलते रामपुर विधानसभा सीट रिक्त हुई है, जहां से बीजेपी ने आकाश सक्सेना को उतारा है तो सपा से आसिम रजा ताल ठोक रहे हैं. ऐसे ही खतौली सीट बीजेपी के विधायक विक्रम सैनी को सजा होने के चलते रिक्त हुई है, जहां आरएलडी से मदन भैया तो बीजेपी के राजकुमारी सैनी के बीच सीधी लड़ाई है. बसपा और कांग्रेस ने उपचुनाव में अपने-अपने कैंडिडेट नहीं उतारे हैं, जिसके चलते मुकाबला काफी दिलचस्प हो गया है. 

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