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MP-छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के जातिगत जनगणना कार्ड से निपटने के लिए BJP का 'ट्रिपल-M' फॉर्मूला!

कांग्रेस ने राजस्थान से लेकर मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में सत्ता में आने पर जातिगत जनगणना कराने का वादा किया है. कांग्रेस के इस दांव की काट के लिए बीजेपी 'ट्रिपल-M' फॉर्मूले पर बढ़ती दिख रही है. क्या है ये फॉर्मूला?

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह (फाइल फोटो)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह (फाइल फोटो)

राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में इस बार जातिगत जनगणना का शोर है. कांग्रेस ने हर चुनावी राज्य में सत्ता में आने पर जातिगत जनगणना कराने का वादा किया है. 'ग्रैंड ओल्ड पार्टी' ने जातिगत जनगणना का वादा अपने घोषणा पत्र में तो किया ही, पार्टी की रैलियों में भी इसकी गूंज सुनाई दी.

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राजस्थान में 25, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में 17 नवंबर को वोटिंग होनी है. राजस्थान और मध्य प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग यानी ओबीसी की आबादी अनुमानों के मुताबिक 50 फीसदी के करीब है. छत्तीसगढ़ में ओबीसी आबादी 44 फीसदी के करीब होने के अनुमान हैं. जातिगत जनगणना के दांव से कांग्रेस ओबीसी मतदाताओं को अपने पाले में लाने की कोशिश में है. वहीं, मतदान की तिथि करीब आते ही भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) भी इसे लेकर एक्टिव मोड में आ गई है.

बीजेपी, कांग्रेस के जातिगत जनगणना के दांव की काट के लिए 'ट्रिपल एम' फॉर्मूला आजमाती नजर आ रही है. बीजेपी का सीएम फेस घोषित किए बगैर चुनाव मैदान में उतरने का फैसला हो या घोषणा पत्र का नया नाम या गृह मंत्री अमित शाह जैसे वरिष्ठ नेताओं का चुनावी रैलियों में संबोधन. सबकुछ इसी फॉर्मूले के इर्द-गिर्द होता नजर आ रहा है.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)

क्या है बीजेपी का 'ट्रिपल एम' फॉर्मूला? 

बीजेपी का ट्रिपल एम फॉर्मूला है- मोदी, मंत्रियों की संख्या और मंडल कमीशन. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद भी ओबीसी से ही आते हैं और पार्टी इसे चुनाव प्रचार में जोर-शोर से बता रही है. बीजेपी के नेता चुनावी रैलियों में जगह-जगह ये जिक्र कर रहे हैं कि नरेंद्र मोदी ओबीसी वर्ग से ही आते हैं.

शाह ने मंडल को लेकर कांग्रेस को घेरा

इंदौर के देपालपुर में एक चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने जो बातें कहीं, वह काफी हद तक बीजेपी की इसी रणनीति की ओर इशारा मानी जा रही हैं. गृह मंत्री शाह ने पीएम मोदी की पृष्ठभूमि का जिक्र किया और केंद्र सरकार में ओबीसी वर्ग से आने वाले मंत्रियों की संख्या भी गिनाईं.

गृह मंत्री अमित शाह (फाइल फोटो)
गृह मंत्री अमित शाह (फाइल फोटो)

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार में 35 फीसदी से अधिक मंत्री ओबीसी वर्ग के हैं. पिछड़ा आयोग को संवैधानिक मान्यता देने के साथ ही शैक्षणिक संस्थाओं में 27 फीसदी आरक्षण देने का काम मोदी सरकार ने किया. अमित शाह ने मंत्रियों की संख्या, ओबीसी को लेकर सरकार की उपलब्धियां गिनाईं ही, मंडल कमीशन का जिक्र करते हुए कांग्रेस पर हमला भी बोला.

ये भी पढ़ें- 'कांग्रेस ने मंडल आयोग की रिपोर्ट को दबाए रखा', इंदौर में OBC मामले में अमित शाह ने घेरा

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उन्होंने कांग्रेस पर मंडल कमीशन की रिपोर्ट कई साल तक दबाए रखने और इसका विरोध करने का आरोप लगाया. अमित शाह ने सवालिया लहजे में ये भी कहा कि कांग्रेस ने ओबीसी के लिए क्या किया है? कहा जा रहा है कि शाह की रणनीति जातिगत जनगणना के मुद्दे पर मुखर कांग्रेस को ओबीसी पिच पर ही घेरने की थी.

सीएम फेस के पीछे भी ओबीसी पॉलिटिक्स!

विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने बगैर किसी को चेहरा बनाए उतरने का ऐलान किया तो इसके पीछे भी ओबीसी पॉलिटिक्स की पिच को ही वजह बताया जा रहा है. राजनीतिक विश्लेषक अमिताभ तिवारी ने कहा कि मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान ओबीसी चेहरा जरूर हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भूपेश बघेल और अशोक गहलोत के मुकाबले पार्टी के पास कोई बड़ा ओबीसी चेहरा नहीं है. बीजेपी के सीएम फेस घोषित किए बगैर चुनाव मैदान में उतरने की रणनीति के पीछे भी ये एक प्रमुख कारण है.

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (फाइल फोटो)
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (फाइल फोटो)

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बार-बार चेहरा बताने की चुनौती दे रहे थे तो इसके पीछे भी कहा जा रहा है कि बीजेपी को ओबीसी पिच पर लाने की रणनीति ही थी. कहा तो ये भी जा रहा है कि राजस्थान और छत्तीसगढ़ में ओबीसी पिच पर पार्टी कमजोर ना पड़े, इसीलिए बीजेपी ने घोषणा पत्र भी मोदी की गारंटी नाम से जारी किया.

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हर राज्य में मोदी के नाम पर चुनाव लड़ने की रणनीति हो या मोदी साथे राजस्थान, मध्य प्रदेश के मन में मोदी जैसे नारे. इन सबको भी ओबीसी पॉलिटिक्स से जोड़कर ही देखा जा रहा है. अब जातिगत जनगणना की काट के लिए बीजेपी का ये फॉर्मूला कितना सफल रहता है, यह तो चुनाव परिणाम आने पर ही पता चलेगा.

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