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राज्य में किंग तो केंद्र में किंगमेकर... ससुर की सियासी विरासत पर खड़े हुए चंद्रबाबू नायडू की CM के रूप में ये चौथी पारी

चंद्रबाबू नायडू की पार्टी 16 लोकसभा सीटें जीतकर केंद्र में किंगमेकर के रूप में उभरी है तो वहीं सूबे में 135 सीटें जीतकर पूर्ण बहुमत के साथ सरकार चलाने का जनादेश भी हासिल किया है. चंद्रबाबू नायडू आंध्र प्रदेश चुनाव में किंग बनकर उभरे हैं. अपने ससुर एनटीआर की सियासी विरासत पर खड़े हुए चंद्रबाबू की बतौर सीएम ये चौथी पारी है.

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एन चंद्रबाबू नायडू
एन चंद्रबाबू नायडू

तेलगु देशम पार्टी (टीडीपी) 16 लोकसभा सीटें जीतकर दिल्ली के लिहाज से किंगमेकर की भूमिका में उभरी है तो वहीं प्रचंड जीत के साथ पार्टी आंध्र प्रदेश में बतौर किंग. आंध्र प्रदेश के चुनाव में चंद्रबाबू नायडू की अगुवाई वाली टीडीपी को 175 में से 135 सीटों पर जीत मिली. टीडीपी की गठबंधन सहयोगी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) आठ, पवन कल्याण की जन सेना पार्टी 21 सीटें जीतने में सफल रही.

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सूबे की सत्ताधारी पार्टी के रूप में चुनाव में उतरी जगन मोहन रेड्डी की अगुवाई वाली वाईएसआर कांग्रेस पार्टी 11 विधानसभा सीटों पर सिमट गई. आंध्र प्रदेश के विधानसभा चुनावों में प्रचंड जीत के बाद एनडीए विधायक दल की बैठक में चंद्रबाबू नायडू को नेता चुन लिया गया. चंद्रबाबू नायडू ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है और सूबे में टीडीपी राज का आगाज हो गया है.

कांग्रेस से शुरू किया था सियासी सफर

आंध्र प्रदेश की सत्ता के शीर्ष पर काबिज हुए चंद्रबाबू नायडू ने अपने सियासी सफर का आगाज कांग्रेस पार्टी से किया था. चंद्रबाबू नायडू ने 1978 में कांग्रेस के टिकट पर पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ा और जीते भी. 1980 से 1982 तक चंद्रबाबू तत्कालीन सरकार में मंत्री रहे. चंद्रबाबू के पास सिनेमैटोग्राफी विभाग का कार्यभार था और इसी दौरान उनकी तब तेलुगु सिनेमा के दिग्गज एनटी रामाराव (एनटीआर) से करीबी बढ़ी. नायडू की शादी 1981 में एनटीआर की बेटी भुवनेश्वरी के साथ हुई.

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एनटीआर ने बनाई पार्टी तो छोड़ दी थी कांग्रेस

साल 1982 में एनटीआर ने कांग्रेस के खिलाफ एक मजबूत विकल्प देने के लिए तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) नाम से पार्टी बनाने का ऐलान कर दिया. चंद्रबाबू ने भी कांग्रेस छोड़ दी और एनटीआर की पार्टी में शामिल हो गए. कांग्रेस छोड़ एनटीआर की पार्टी में शामिल होने के बाद भी चंद्रबाबू 1989 और 1994 में विधानसभा पहुंचे. 1994 के चुनाव में जीत के बाद आंध्र प्रदेश में टीडीपी की सरकार बनी और एनटीआर मुख्यमंत्री बने. एनटीआर सरकार में चंद्रबाबू को वित्त जैसे अहम विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई थी.

ससुर की विरासत पर खड़े हुए नायडू

चंद्रबाबू नायडू आज जिस टीडीपी के सर्वेसर्वा हैं, वह उनके ससुर एनटीआर की बनाई हुई है. अपने ससुर की विरासत पर खड़े चंद्रबाबू ने 1995 में एनटीआर का तख्तापलट कर दिया था. चंद्रबाबू टीडीपी विधायकों के समर्थन से अपने ससुर को हटाकर पहली बार मुख्यमंत्री बने और पार्टी की कमान भी अपने हाथों में ले ली. चंद्रबाबू नायडू के इस कदम के पीछे असल वजह क्या थी, ये वही जानें लेकिन चर्चा इस बात की होती है कि वह एनटीआर की दूसरी पत्नी लक्ष्मी पार्वती की पार्टी और सरकार में बढ़ती दखलंदाजी से नाराज थे.

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तीन बार के सीएम नायडू की ये चौथी पारी

अगस्त 1995 में टीडीपी अध्यक्ष बनने के बाद चंद्रबाबू नायडू ने 1 सितंबर 1995 को पहली बार आंध्र प्रदेश के सीएम की शपथ ली थी. चंद्रबाबू की अगुवाई में टीडीपी को 1999 में भी सरकार चलाने का जनादेश मिला. नायडू 2004 तक आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे. चंद्रबाबू नायडू 2004 में कांग्रेस की जीत तक आंध्र प्रदेश के सीएम रहे. 2004 और 2009 के आंध्र चुनाव में कांग्रेस जीती लेकिन पृथक तेलंगाना राज्य के गठन के बाद फिर से नायडू के सितारे बुलंदी तक पहुंचे. 2014 के चुनाव में जीत के साथ चंद्रबाबू की पार्टी 10 साल बाद सत्ता में लौटी. चंद्रबाबू तीसरी बार आंध्र प्रदेश के सीएम बने. 2019 में वाईएसआर कांग्रेस को जीत मिली और जगन सीएम बने.

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सरकार बनने पर ही विधानसभा में जाने की खाई थी कसम

चंद्रबाबू नायडू को जगन सरकार में जेल भी जाना पड़ा था. स्किल डेवलपमेंट स्कैम में गिरफ्तारी के बाद नायडू को 52 दिन जेल में बिताना पड़ा था. विधानसभा में सत्ताधारी पार्टी के विधायकों के व्यवहार से वह एकबार इतने खिन्न हो गए थे कि ये ऐलान कर दिया था कि अब सरकार बनाएंगे तभी विधानसभा में जाएंगे. नायडू ने चुनाव से पहले बीजेपी और पवन कल्याण की जन सेना पार्टी के साथ गठबंधन किया और अब उनकी अगुवाई वाला गठबंधन 175 में से 164 सीटें जीतकर एकतरफा बहुमत के साथ सत्ता पर काबिज हो गया है.

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