नागरिकता संशोधन कानून यानी सिटीजन अमेंडमेंट एक्ट (CAA) एक बार फिर चर्चा में आ गया है. चर्चा में आने की वजह गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) का बयान है. बंगाल दौरे पर पहुंचे अमित शाह का कहना है कि कोरोना महामारी खत्म होते ही सीएए को लागू कर दिया जाएगा. इस पर अब सियासी तकरार बढ़ गया है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने कहा कि बीजेपी को सीएए के नाम पर लोगों को मूर्ख नहीं बनाना चाहिए.
दरअसल, अमित शाह गुरुवार को पश्चिम बंगाल के सिलिगुड़ी में थे. यहां उन्होंने कहा, 'तृणमूल कांग्रेस सीएए के बारे में भय फैला रही है कि ये कभी लागू नहीं होगा. मैं आज कह कर जाता हूं कि कोरोना की लहर समाप्त होते ही सीएए को हम जमीन पर उतारेंगे और हमारे भाइयों को नागरिकता देंगे.' उन्होंने आगे कहा, 'ममता दीदी, आप तो यही चाहते हो कि घुसपैठ चलती रहे और बंगाल में जो शरणार्थी आए हैं, उनको नागरिकता नहीं मिले. मगर तृणमूल कांग्रेस कान खुलकर सुनले सीएए वास्तविकता था, है और हमेशा रहेगा.'
#WATCH TMC is spreading rumours about CAA that it won't be implemented on ground, but I would like to say that we'll implement CAA on ground the moment Covid wave ends...Mamata Didi wants infiltration...CAA was, is & will be a reality:Union Home minister Amit Shah in Siliguri, WB pic.twitter.com/E1rYvN9bHM
— ANI (@ANI) May 5, 2022
शाह के इस बयान पर ममता बनर्जी ने जवाब दिया. ममता बनर्जी ने कहा कि सीएए का मुद्दा उठाकर बीजेपी भारतीय नागरिकों का अपमान कर रही है. उन्होंने कहा, 'अमित शाह केवल बंगाली और हिंदी भाषी समुदाय के बीच, हिंदू-मुसलमानों के बीच दरार पैदा करना चाहते हैं. प्लीज आग से न खेलें.' ममता बनर्जी ने कहा कि वोटिंग का अधिकार रखने वाला हर व्यक्ति भारत का नागरिक है.
अमित शाह के बयान के बाद नागरिकता संशोधन कानून पर एक बार फिर से सियासत तेज हो गई है. सीएए जनवरी 2020 से प्रभावी हो गया है, लेकिन अभी तक इसके नियम नहीं बने हैं, जिस वजह से ये लागू नहीं हो पा रहा है.
दिसंबर 2019 में जब नागरिकता संशोधन कानून संसद से पास हुआ था, तब भी टीएमसी और कांग्रेस समेत कई राजनीतिक पार्टियों ने इसका विरोध किया है. विरोध करने वालों का कहना है कि इस कानून से एक धर्म विशेष को टारगेट किया जा रहा है. हालांकि, सरकार का कहना है कि सीएए में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता देने का प्रावधान है, इससे भारत में रह रहे लोगों पर कोई असर नहीं होगा.
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नागरिकता संशोधन कानून पर राजनीतिक दलों की राय
- कांग्रेसः सीएए पास होने के बाद देशभर में इसके विरोध में प्रदर्शन हुए. कांग्रेस की यूथ विंग NSUI लगभग सभी प्रदर्शनों में शामिल रही. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने इसके खिलाफ धरना दिया था. पिछले साल असम चुनाव के दौरान एक रैली में राहुल गांधी ने कहा था कि अगर हमारी सरकार बनती है तो राज्य में सीएए को लागू होने नहीं देंगे.
- टीएमसीः ममता बनर्जी पहली मुख्यमंत्री थीं, जिन्होंने सीएए को बंगाल में लागू न करने की बात कही थी. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनौती देते हुए कहा था कि वो खुलेआम सीएए का विरोध कर रहीं हैं और अगर हिम्मत है कि तो उनकी सरकार को बर्खास्त करके दिखाएं. ममता बनर्जी ने संयुक्त राष्ट्र की देखरेख में नागरिकता संशोधन कानून पर जनमत संग्रह कराने की बात भी की थी.
- शिवसेनाः लोकसभा में शिवसेना ने इस बिल के समर्थन में वोटिंग की थी. हालांकि, राज्यसभा में वोटिंग के दौरान दूरी बना ली थी. बाद में जब सीएए को लेकर विरोध प्रदर्शन तेज हुए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि ये कानून लाकर बीजेपी वीर सावरकर का अपमान कर रही है.
- जेडीयूः संसद में जेडीयू ने इस बिल का समर्थन किया था और इसके पक्ष में वोटिंग की थी. लेकिन बाद में जब इसका विरोध शुरू हुआ तो जेडीयू ने इससे किनारा कर लिया. जेडीयू नेताओं ने खुलेआम कहा कि पार्टी से गलती हो गई. इतना ही नहीं, सीएए के खिलाफ नहीं बोलने पर जेडीयू के नेताओं ने पार्टी लीडरशिप की आलोचना भी की.
- AIMIM: असदुद्दीन ओवैसी ने इस बिल का संसद में जमकर विरोध किया. उन्होंने एक बार ट्वीट किया था कि NRC के आने से जो गैर-मुस्लिम बाहर हुए हैं, उन्हें CAA के जरिए नागरिकता दे दी जाएगी, लेकिन मुस्लिम बाहर हो जाएंगे. उन्होंने पिछली साल नवंबर में धमकी दी थी कि अगर सीएए-एनआरसी को हटाया नहीं गया तो यूपी की सड़कों को दिल्ली का शाहीन बाग बना देंगे.
क्या है नागरिकता संशोधन कानून?
नागरिकता संशोधन कानून दिसंबर 2019 में संसद के दोनों सदनों से पास हो चुका है. जनवरी 2020 से ये प्रभावी हो चुका है, लेकिन नियम नहीं बन पाने के कारण इसे अभी तक लागू नहीं किया गया है. नागरिकता संशोधन कानून में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है. इस कानून के जरिए 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आ चुके इन तीन देशों के गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता दी जाएगी. इस कानून के जरिए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाइयों को नागरिकता देने का प्रावधान है.