बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक तरफ हो जहां बीजेपी के खिलाफ विपक्षी एकजुटता की मुहिम को आगे बढ़ा रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ बिहार में अपनी पार्टी की राजनीतिक की जमीन को भी वह मजबूत रखना चाहते हैं. नीतीश कुमार ने लोकसभा चुनाव की तैयारी के लिहाज से आज अपने पार्टी के खास नेताओं की बैठक बुलाई है.
दरअसल, जेडीयू के पूर्व सांसदों और पूर्व विधायकों विधान पार्षदों को नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री आवास पर बुलाया है और इन नेताओं के साथ वह लोकसभा चुनाव के पहले रायशुमारी करेंगे. रविवार सुबह 11 बजे से मुख्यमंत्री आवास में बैठक का सिलसिला शुरू हो चुका है जो शाम तक जारी रहेगा.
नीतीश कुमार के बुलावे पर पार्टी के पूर्व सांसद और पूर्व विधायक मुख्यमंत्री आवास पहुंचे हैं. इन नेताओं को इस बात की खुशी है कि लंबे अरसे बाद उनके नेता ने बातचीत के लिए बुलाया है. हालांकि, बैठक के एजेंडे के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं दी गई है.
माना जा रहा है कि नीतीश कुमार लोकसभा चुनाव के पहले बिहार की राजनीतिक जमीन के बारे में इन नेताओं से चर्चा कर वाकिफ होना चाहते हैं. आपको याद दिला दें कि पिछले दिनों नीतीश कुमार ने अपने पार्टी के विधायकों और सांसदों को भी इसी तरह बैठक के लिए बुलाया था. तब नीतीश कुमार ने विधायकों और सांसदों से वन टू वन मीटिंग की थी.
मीटिंग के बाद जेडीयू के सांसदों और विधायकों ने बताया था कि नीतीश कुमार उनके क्षेत्र से जुड़ी समस्याओं के बारे में फीडबैक ले रहे थे. अब पार्टी के पूर्व सांसदों विधायकों और विधान पार्षदों की बारी है. जाहिर है कि नीतीश चुनाव से पहले अपनी पार्टी के नेताओं से बातचीत कर उन्हें भरोसे में भी लेना चाहते हैं और जमीनी हकीकत का अंदाजा भी लगाना चाहते हैं.
अठावले के बयान ने गर्म की सियासी हवा
उधर, केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास अठावले ने बड़ा दावा करके सियासी हलचल मचा दी है. अठावले ने बिहार के सीएम नीतीश कुमार को लेकर बड़ा दावा किया कि नीतीश कुमार हमारे हैं. हमारे पास कभी भी आ सकते हैं. उनसे जब पूछा गया कि क्या वह नीतीश कुमार से मिलेंगे? इस पर अठावले ने कहा कि वे इस बार उनसे नहीं मिल सकते. हालांकि, वैसे बीजेपी कई बार बोल चुकी है कि वह किसी भी हाल में अब नीतीश कुमार को साथ नहीं लेगी.
दरअसल, रामदास अठावले ने कहा, ''हम उनकी (नीतीश) गैरमौजूदगी को महसूस करते हैं. उन्हें विपक्ष की मुंबई बैठक से दूर रहना चाहिए. जब वह अटलजी की सरकार में रेल मंत्री थे, तबसे हम साथ हैं. हम अब भी उनका सम्मान करते हैं. अगर उन्हें आरजेडी में जाना ही था, तो एनडीए में वापस क्यों आए? वह एनडीए में वापस आ गए. बिहार के लोग हमारे लोग हैं. नीतीश हम सभी के मित्र हैं. हमने उन्हें सीएम बनाया, जबकि उनकी पार्टी के पास विधानसभा में केवल 44 सीटें थीं.''