राजस्थान के उदयपुर में कांग्रेस के चिंतन शिविर के पहले दिन पार्टी के नेताओं ने नई कांग्रेस बनाने का दम भरा है. जिस परिवारवाद की तोहमत कांग्रेस झेलती आई है उसी को लेकर एक अहम फैसला किया गया है. कांग्रेस में अब एक परिवार से एक ही शख्स को टिकट दिया जाएगा यानी 'एक परिवार एक टिकट'. इसके अलावा एक पद पर 5 साल की सीमा और युवाओं को आधी हिस्सेदारी जैसे बदलाव करने का संकल्प कर कांग्रेस के कायाकल्प की कोशिश की जाएगी. वहीं इस बीच बीजेपी ने भी दुखती रग में हाथ रखने का मौका नहीं छोड़ा और पूछा कि ये नियम क्या गांधी परिवार पर लागू होंगे?
एक परिवार-एक टिकट लेकिन...
कांग्रेस नेता अजय माकन ने पार्टी में बड़े बदलाव का संकेत देते हुए ऐलान किया कि एक परिवार से एक टिकट पर लगभग सहमति बन चुकी है. लेकिन इसके साथ ही उन्होंने एक 'ऑफर' भी जोड़ा कि अगर परिवार के दूसरे सदस्य ने भी 5 साल पार्टी के लिए काम किया है तो उसको भी टिकट दिया जा सकता है.
आखिर ये ढील किसके लिए?
अजय माकन के इस ऐलान के साथ ही 'एक परिवार एक टिकट' की मंशा पर सवाल खड़े हो गए. क्योंकि प्रियंका गांधी वाड्रा साल 2019 में पार्टी के महासचिव बनीं और हिसाब से साल 2024 में कांग्रेस के लिए काम करते उनके 5 साल पूरे हो जाएंगे. तो क्या यह 5 साल की सीमा या ढील सिर्फ गांधी परिवार के वजह से तय की गई है? इस पर कांग्रेस की प्रवक्ता रागिनी नायक का कहती हैं, 'मैं चाहती हूं कि प्रियंका गांधी चुनाव लड़ें... मैं चाहूंगी कि प्रियंका गांधी लोकसभा जाएं... वह उत्तर प्रदेश से बाहर आएं और बड़े रोल में आएं... वह हमारी नेता हैं.
युवाओं पर जोर
चिंतन शिविर में इसके अलावा और भी बड़े प्रस्ताव पेश हुए जिसमें एक पद पर 5 साल की सीमा और 3 साल का इंतज़ार ज़रूरी होगा. वहीं युवाओं को फोकस में रखते हुए 50 साल की नीचे की आयु के लिए 50% का आरक्षण भी निर्धारित करने का प्रस्ताव है. वहीं इन फैसलों पर बीजेपी की चुटकी पर कांग्रेस के एक और वरिष्ठ नेता राजीव शुक्ला कहते हैं', चिंतन शिविर कांग्रेस का है पर चिंता ज्यादा बीजेपी को हो रही है'.
...कर्ज अदा करने का समय
बता दें कि 3 दिन के इस चिंतन शिविर के आखिरी दिन कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक होगी जो सभी प्रस्तावों पर विचार विमर्श करके मुहर लगाएगी. वहीं इससे पहले आज कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने चेतावनी देते हुए नेताओं को पार्टी का कर्ज अदा करने की बात दोहरा है. उन्होंने कहा, 'पार्टी ने आपको बहुत कुछ दिया है यह वक्त है पार्टी को अपना कर्ज अदा करने का है.'
8 साल की नाकामी और तीन दिन
दरअसल कांग्रेस इस चिंतन शिविर के जरिए एक बदलाव की कोशिश में लगी है. 3 दिन में 8 साल की नाकामी और भविष्य की चुनौतियों से निपटने की कोशिश है. कवायद इस बात की है कि यह चिंतन शिविर विरोधियों को निशाना साधने का एक और मौका ना दे. इस चिंतन शिविर के पीछे कहीं अहसास है कि कांग्रेस पार्टी के लिए अब 'करो या मरो' की स्थिति आ गई है. कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती परिवारवाद के आरोप से निपटने की है सवाल वही कि आखिर कागज पर बने नियमों को वह जमीन पर लागू कैसे करेगी.