कांग्रेस आलाकमान ने रविवार को साफ कर दिया है कि वह दिल्ली अध्यादेश के मुद्दे पर आम आदमी पार्टी का समर्थन करेगी. कांग्रेस के इसी वादे के साथ अरविंद केजरीवाल की पार्टी ने बेंगलुरु में होने वाले विपक्षी महाजुटान में शामिल होने के लिए हामी भर दी है. भले ही कांग्रेस आलाकमान ने AAP को समर्थन देने का ऐलान कर दिया हो, लेकिन पार्टी के नेताओं में इस फैसले को लेकर नाराजगी दिखने लगी है. दिल्ली कांग्रेस ने आलाकमान के इस फैसले पर विरोध जताते हुए केजरीवाल पर निशाना साधा है. दिल्ली और पंजाब कांग्रेस के नेता लगातार आलाकमान से केजरीवाल को समर्थन न देने की अपील कर रहे थे.
दिल्ली कांग्रेस के उपाध्यक्ष मुदित अग्रवाल ने कहा, अरविंद केजरीवाल विपक्ष की बैठक को बाधित करना चाहते थे. ऐसा लगता है कि वह मोदी जी के इशारे पर काम कर रहे हैं. उन पर विपक्षी बैठक को विफल करने के लिए बीजेपी का दबाव है. बैठक में शामिल होने वाले नेताओं को केजरीवाल पर कड़ी नजर रखनी चाहिए. उन्होंने कहा, जब बीजेपी ने कांग्रेस की सरकारें गिराईं, तब केजरीवाल ने ये नहीं कहा कि लोकतंत्र की हत्या हो रही है. यह अनिवार्य नहीं है कि AAP विपक्षी गठबंधन का हिस्सा होगी. हम अध्यादेश का विरोध केवल इसलिए कर रहे हैं क्योंकि संघीय ढांचे पर हमले का जवाब देना हमारा प्रमुख रुख रहा है.
दरअसल, दिल्ली में केजरीवाल सरकार बनाम उपराज्यपाल मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार के पक्ष में फैसला दिया था. इसमें निर्वाचित सरकार को अफसरों के ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार दिया गया था. इसके बाद केंद्र सरकार 'राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण' बनाने का अध्यादेश लेकर आई है. इस अध्यादेश को कानूनी अमलाजामा पहनाने के लिए छह महीने में संसद से पास कराना जरूरी है. ऐसे में केजरीवाल ने इस मुद्दे पर देशभर की विपक्षी पार्टियों के नेताओं से मिलकर समर्थन मांगा था.
दिल्ली-पंजाब के नेताओं ने समर्थन देने से किया था इनकार
केजरीवाल ने इस मुद्दे पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी से मुलाकात करने के लिए समय भी मांगा था. हालांकि, कांग्रेस की ओर से समय नहीं दिया गया था. तब दिल्ली और पंजाब कांग्रेस के नेताओं ने केजरीवाल को अध्यादेश पर समर्थन न देने की मांग की थी. दिल्ली कांग्रेस के नेताओं ने राहुल को संदेश भेजा था कि केजरीवाल पर भरोसा नहीं करना चाहिए और उनके साथ कोई गठबंधन नहीं करना चाहिए. इतना ही नहीं दिल्ली कांग्रेस ने अध्यादेश पर सुझाव दिया था कि या तो पार्टी को चुप रहना चाहिए या केजरीवाल का समर्थन नहीं करना चाहिए. इन नेताओं में अजय माकन और संदीप दीक्षित जैसे नाम शामिल थे.
वहीं, पंजाब कांग्रेस ने भी पार्टी आलाकमान को अध्यादेश पर केजरीवाल का समर्थन न करने के लिए कहा था. पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा के नेतृत्व में नेताओं ने पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात की थी और उन्हें स्थिति के बारे में बताया था. कांग्रेस नेताओं ने बताया ता कि राज्य में आप सरकार द्वारा पार्टी के नेताओं को टारगेट किया जा रहा है. पंजाब में कुछ कांग्रेसी नेताओं को गिरफ्तार किया गया है, जबकि कई के खिलाफ जांच जारी है. ऐसे में केजरीवाल को समर्थन नहीं देना चाहिए.
बीजेपी ने भी साधा निशाना
बीजेपी ने भी इस मुद्दे को उठाया है. बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने ट्वीट कर कहा, दिल्ली कांग्रेस ने आप को समर्थन देने का विरोध किया था. अधीर रंजन चौधरी पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के हत्यारे शासन के खिलाफ खड़े हैं. लेकिन दोनों राज्यों में कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने आप और टीएमसी के साथ समझौता किया है, लेकिन बदले में कोई फायदा नहीं हुआ.
आलाकमान के फैसले से कांग्रेसी नेता क्यों हैं बेचैन?
कांग्रेसी नेताओं के बेचैनी की कई वजह हैं. दरअसल, आम आदमी पार्टी का गठन ही कांग्रेस के खिलाफ आंदोलन से हुआ है. आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल शुरुआत से ही कांग्रेस आलाकमान पर हमलावर रहे हैं. इतना ही नहीं आम आदमी पार्टी ने अब तक जिन दो राज्यों (दिल्ली और पंजाब) में सत्ता हासिल की है, वहां कांग्रेस को ही बाहर का रास्ता दिखाया है. इसके अलावा गुजरात और गोवा में भी आम आदमी पार्टी ने विधानसभा चुनाव लड़ा था, ऐसे में सीधे तौर पर कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ा था. इसके अलावा आप जिन राज्यों में पैर पसार रही है, वहां भी वह सीधे तौर पर कांग्रेस का विकल्प बनती नजर आ रही है.