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कांग्रेस के लिए अहम है जून का महीना, प्रशांत किशोर की एंट्री के साथ हो सकते हैं कई बदलाव

कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी विधानसभा चुनाव से पहले जोर-शोर से जुट गई हैं. अलग-अलग राज्यों के पार्टी नेताओं से मुलाकात कर पार्टी का हाल जान रही हैं.

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सोनिया गांधी और प्रशांत किशोर (फाइल फोटो)
सोनिया गांधी और प्रशांत किशोर (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • जून में कांग्रेस में हो सकते हैं कई बदलाव
  • उदयपुर में हो सकता है चिंतन शिविर

पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर को शामिल करने की तैयारी में है. इसके साथ ही अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी राजस्थान, हरियाणा, मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों में पार्टी की अंदरूनी लड़ाई को भी खत्म करने की कोशिश कर रही हैं. हालांकि प्रशांत किशोर ने कांग्रेस की राज्य इकाइयों में गुटबाजी पर कोई बात नहीं की है. दरअसल कांग्रेस में तो उनको इसलिए शामिल किया जा रहा है कि ताकि लोकसभा चुनाव 2024 में जीत का रास्ता खोजा सके. इसके साथी पार्टी से जुड़े कामों को देखने के लिए गांधी परिवार से इतर भी एक नेता मौजूद हो

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विधानसभा चुनावों के लिए सोनिया गांधी के एजेंडे में राजस्थान पहले नंबर पर है, जहां सचिन पायलट के अपने अलग दावे हैं. जानकारों का कहना है कि राजस्थान में पार्टी के अंदर की गुटबाजी खत्म करने के लिए उदयपुर में 'चिंतन शिवर सत्र' की योजना है. लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या मौजूदा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को AICC सचिवालय में वरिष्ठ पद संभालने के लिए कहा जाएगा? और इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि क्या 70 वर्षीय गहलोत इसे स्वेच्छा से स्वीकार करेंगे?

'मेरा इस्तीफा सोनिया गांधी के पास'
दिल्ली में सोनिया गांधी और सचिन पायलट के मुलाकात के बाद राजस्थान में कुछ हलचल देखी जाने लगी. इसका अंदाजा इस बात का लगा सकते हैं कि स्वभाव के विपरीत सीएम अशोक गहलोत ने मीडिया में  कुछ ऐसा बयान दे दिया. उन्होंने कहा कि  उनका इस्तीफा स्थायी रूप से कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के पास है. जब कांग्रेस मुख्यमंत्री को बदलने का फैसला करेगी, तो किसी को संकेत नहीं मिलेगा. इस पर (बदलते सीएम) पर कोई विचार-विमर्श नहीं किया जाएगा. कांग्रेस आलाकमान निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र है....

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सचिन ने सोनिया को दिया आश्वासन
दिलचस्प बात यह है कि सोनिया और कांग्रेस के शीर्ष नेताओं के सामने अपने प्रजेंटेशन में प्रशांत किशोर ने 2024 लोकसभा चुनाव के लिए विशेष रूप से राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में जीत पर जोर दिया था, जहां कांग्रेस सीधे तौर पर सरकार या विपक्ष में है. बड़ा सवाल यह है कि राजस्थान में कांग्रेस, गहलोत या सचिन पायलट किसके नेतृत्व में अधिक संसदीय सीटें जीत पाएगी? पार्टी के जानकार सूत्रों का कहना है कि राजस्थान के प्रभारी एआईसीसी महासचिव अजय माकन ने एक विस्तृत रिपोर्ट सौंप दी है. ऐसा माना जा रहा है कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जीत दिलाने के लिए पायलट ने सोनिया को किसी के भी साथ काम करने का आश्वासन दिया है. राजस्थान में जून 2022 में राज्यसभा की चार सीटों पर चुनाव होने वाले हैं. कांग्रेस के पास तीन सीटें जीतने का अच्छा मौका है. 24 अकबर रोड में चर्चा है कि राज्यसभा का नामांकन राजस्थान में चल रहे सियासी गतिरोध को समाप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.

अगर CM बदलेगा तो कब? 

कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के दिमाग में पंजाब में मुख्यमंत्री बदलने की घटना चल रही है. जहां विधानसभा चुनाव से केवल 114 दिन पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह को हटाकर चरणजीत सिंह चन्नी को सीएम बनाया गया था. एआईसीसी प्रमुख को इनपुट मिल रहे हैं कि अगर राजस्थान में वास्तव में मुख्यमंत्री बदलने की आवश्यकता है तो यह विधानसभा चुनावों से कम से कम डेढ़ साल पहले होना चाहिए. इस संदर्भ में भी मध्य मई से जून 2022 के बीच का समय महत्वपूर्ण हो जाता है.

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वहीं हरियाणा में भी पार्टी प्रदेश अध्यक्ष की तलाश कर रही है. मौजूदा हरियाणा कांग्रेस की अध्यक्ष कुमारी शैलजा पहले ही इस्तीफा दे चुकी हैं. ऐसा माना जा रहा है कि वर्तमान में हरियाणा विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा इस पद का विकल्प चुन सकते हैं. 

कमलनाथ ने की पद छोड़ने की पेशकश

मध्य प्रदेश में राज्य पार्टी इकाई के अध्यक्ष कमलनाथ ने भी कथित तौर पर मध्य प्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता के रूप में पद छोड़ने की पेशकश की है. कहा जाता है कि अनुभवी और साधन संपन्न कमलनाथ 2023 के राज्य विधानसभा चुनावों में एक बार फिर पार्टी का नेतृत्व करने के इच्छुक हैं और अपनी टीम में युवा नेताओं को आगे लाने के लिए तैयार हैं. राजस्थान की तरह ही जून 2022 में मध्य प्रदेश में भी राज्यसभा चुनाव हैं, यहां भी कांग्रेस की आंतरिक कलह को दूर किया जा सकता है. दो साल पहले जब कमलनाथ मुख्यमंत्री थे तब राज्यसभा चुनाव से पहले ही ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बगावत की थी और बीजेपी में शामिल हो गए थे.

 

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