कांग्रेस के अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर को मोदी सरकार को घेरा है. उन्होंने कोरोना वैक्सीनेशन के 100 करोड़ डोज पूरे होने पर वैज्ञानिकों, डॉक्टरों और हेल्थकेयर वर्कर्स का धन्यवाद किया है. साथ ही उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि मोदी सरकार ने कोरोना की दूसरी लहर में 'आपराधिक लापरवाही' बरती, जिससे लोगों की जान गई. सोनिया गांधी ने ये सब बातें एक अखबार में लिखे आर्टिकल में कहीं हैं. सोनिया गांधी के आर्टिकल का टाइटल 'हम कैसे भूल जाएंगे वो दौर' है.
एक हिंदी अखबार में लिखे आर्टिकल में सोनिया ने 100 करोड़ वैक्सीनेशन होने पर वैज्ञानिकों, डॉक्टरों और हेल्थकेयर वर्कर्स के प्रति आभार जताया. साथ ही ये भी कहा कि ये सब दशकों के अथक परिश्रम से खड़ी की गई वैक्सीन उत्पादन क्षमता, वैज्ञानिकों के शोध कौशल और लगातार जुटाए गए संसाधनों की मदद से संभव हो सका. उन्होंने कहा कि विज्ञान और भारतीय प्रतिभा की ये सफलता 1970 के पेटेंट कानून के बिना संभव नहीं हो सकती थी.
उन्होंने आगे लिखा कि मोदी सरकार ने कोरोना महामारी से निपटने के लिए जो रवैया और नीति अपनाई, वो दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण थे. उन्होंने लिखा, देश में जब कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर अपने चरम पर थी और मोदी सरकार की 'आपराधिक लापरवाही' से लगातार जिंदगियां जा रही थीं. ऐसे में ये समझ से परे है कि कोई सरकार कैसे इतनी निष्क्रिय हो सकती है कि चेतावनियों के बावजूद महामारी से निपटने की सारी तैयारियां दरकिनार कर दे?
सोनिया गांधी ने केंद्र सरकार को घेरते हुए लिखा कि अगर आज हम 100 करोड़ डोज लगाने में सफल हुए हैं तो इसका श्रेय डॉक्टरों, नर्सों और वैक्सीन लगाने वाले स्वास्थ्यकर्मियों को जाता है, न कि सरकार में बैठे उन लोगों को जिन्होंने वैक्सीन की व्यवस्था और वितरण युद्धस्तर पर करने में नाकाम साबित हुए.
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'दूसरी लहर में गायब हो गए थे मोदी-शाह'
उन्होंने आगे पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को आड़े हाथ लेते हुए लिखा कि उस भयावह समय में प्रधानमंत्री और गृह मंत्री गायब हो गए थे, लेकिन जैसे ही स्थिति सुधरी, वो फिर सामने आ गए. ये ठीक वैसा ही था जैसे पहली लहर के समय हुआ था, जब अचानक लॉकडाउन की घोषणा कर दी गई थी और प्रवासी मजदूरों को उनकी हाल पर छोड़ दिया गया था. उन्होंने लिखा कि हमें पानी में बहते और घाटों पर हजारों की संख्या में पड़े शवों के निर्मम दृश्यों को हमेशा याद रखने की जरूरत है, ताकि दोबारा कोई सरकार ऐसी निर्दयता और लापरवाही करने की हिमाकत न कर सके.
सोनिया गांधी ने आगे और हमला बोलते हुए लिखा कि मोदी सरकार अब भी कोरोना के खिलाफ लड़ाई को इवेंट मैनेजमेंट का मौका समझ रही है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के जन्मदिन पर 2 करोड़ से ज्यादा टीका लगाने का लक्ष्य पूरा किया गया, लेकिन ये काम रोज क्यों नहीं किया जा सकता? क्योंकि जन्मदिन से पहले वैक्सीन की जमाखोरी की गई. उन्होंने लिखा कि वैक्सीनेशन का अभियान शुरू होने के 9 महीने बाद भी हम एक तिहाई से कम आबादी का पूर्ण टीकाकरण कर पाए हैं. 4 से 17 साल के बच्चों और किशोरों को टीका लगाने की कोई योजना नहीं है. बूस्टर शॉट लगाने के बारे में भी सरकार के पास कोई रणनीति नहीं है.
उन्होंने आगे लिखा कि प्रधानमंत्री इस बात पर जोर देते हैं कि वैक्सीन मुफ्त में उपलब्ध है, लेकिन वो ये नहीं बताते कि भारत में वैक्सीन हमेशा से ही मुफ्त लगती आई है. हमारे देश की 10 फीसदी आबादी अब भी वैक्सीन खरीदने में असमर्थ है, इसके बावजूद सरकार 25 प्रतिशत वैक्सीन प्राइवेट सेक्टर को आवंटित करती रही. इससे वैक्सीनेशन बढ़ने की बजाय कम होता रहा.
सोनिया गांधी ने आखिरी में लिखा कि हमारी आर्थिक स्थिति तब तक नहीं सुधरेगी, जब तक कोरोना पर नियंत्रण नहीं पाएंगे. इसके लिए हमें ज्यादा से ज्यादा संख्या में और मुफ्त वैक्सीन उपलब्ध करानी होगी.