लोकसभा चुनाव में बीजेपी की पटखनी देने के लिए कांग्रेस बहुत जल्दी में नहीं, मगर बहुत सोच समझकर रणनीति को जमीन पर उतारने की तैयारी में है. यही वजह है कि पिछले कुछ दिनों में कांग्रेस की विपक्षी एकता को धार देने की कवायद में दिलचस्पी बढ़ी है. इतना ही नहीं, पार्टी अब बड़े और कड़े दोनों तरफ के फैसले लेने में हिचक भी नहीं रही है. अब खबर है कि कांग्रेस ने दिल्ली में नौकरशाहों को नियंत्रित करने वाले केंद्र सरकार के अध्यादेश के खिलाफ आम आदमी पार्टी (AAP) का समर्थन करने का संकेत दिया है.
शनिवार को कांग्रेस महासचिव (संचार) जयराम रमेश ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, कांग्रेस पार्टी ने हमेशा राज्यों में निर्वाचित सरकारों के संघीय ढांचे पर किसी भी हमले का विरोध किया है. वो आगे भी ऐसा करना जारी रखेगी. संसद के अंदर और बाहर दोनों जगह. सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस संसद में अध्यादेश पर अरविंद केजरीवाल सरकार का समर्थन कर सकती है.
AAP ने कांग्रेस से मांगा है समर्थन
दरअसल, कांग्रेस का यह बयान कई मायने में अहम है. इस बयान में कांग्रेस ने सीधे तौर पर दिल्ली अध्यादेश मुद्दे का जिक्र नहीं किया, लेकिन बड़े संकेत जरूर दिए हैं. यह बयान ऐसे वक्त आया है, जब कांग्रेस और अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली पार्टी के बीच असहमति की खबरें आ रही हैं. बता दें कि AAP विपक्षी दलों की बैठकों और आगामी रणनीति से पहले कांग्रेस को अध्यादेश को लेकर रुख स्पष्ट करने पर जोर दे रही है. पटना में विपक्ष की बैठक में भी केजरीवाल ने कांग्रेस से समर्थन देने की अपील की थी.
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मानसून सत्र में केंद्र को घेरने की तैयारी में कांग्रेस
सूत्रों का कहना है कि यह अध्यादेश संसद में लाया जाता है तो कांग्रेस विरोध कर सकती है और AAP को समर्थन देने का फैसला ले सकती है. कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने शनिवार को संसद के आगामी मानसून सत्र के दौरान उठाए जाने वाले विभिन्न मुद्दों पर चर्चा के लिए बैठक की. संसदीय रणनीति समूह ने बड़े मसलों पर राय-मशविरा किया.
जब अध्यादेश मुद्दे पर चर्चा के बारे में पूछा गया तो कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा- पार्टी ने लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित राज्य सरकारों के संवैधानिक अधिकारों और जिम्मेदारियों पर मोदी सरकार के हमलों के खिलाफ हमेशा लड़ाई लड़ी है.
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दिल्ली अध्यादेश पर चल रहा है विवाद
केंद्र सरकार 19 मई को दिल्ली सरकार की शक्तियों को कम करने के लिए एक अध्यादेश लेकर आई है. इसमें सेवाओं पर नियंत्रण का अधिकार भी शामिल है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश दिया था, जिसमें पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था और भूमि से संबंधित सेवाओं को छोड़कर दिल्ली में सेवाओं का नियंत्रण निर्वाचित सरकार को सौंपने का फैसला सुनाया था.
केंद्र सरकार के कदम के बाद अरविंद केजरीवाल ने देशव्यापी समर्थन मांगा. वे अलग-अलग राज्यों में पहुंचे और विपक्षी दलों के नेताओं से मिले और केंद्र सरकार के अध्यादेश का संसद में विरोध करने की अपील की. केजरीवाल का कहना है कि यह अध्यादेश देश के संघीय ढांचे को नष्ट कर देगा.
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कांग्रेस को लेकर आम आदमी पार्टी का रुख भी नरम
कांग्रेस को लेकर AAP का रुख भी नरम नजर आ रहा है. एक हफ्ते पहले राहुल गांधी की संसद सदस्यता को लेकर गुजरात हाईकोर्ट के फैसले पर AAP ने टिप्पणी की थी. AAP की ओर से कहा गया था- 'पूरे देश में दिख रहा है कि जो लोग भी विपक्ष में हैं, उन पर हर प्रकार के केस किए जा रहे हैं, उनके पीछे एजेंसियां लगाई जा रही हैं और सदस्यता भंग करने की कोशिशें हो रही है. जो भी केंद्र सरकार के विरोध में हैं, उन पर कोई ना कोई कार्रवाई चल रही है. हालांकि यह मामला कोर्ट में है. हम कोर्ट के निर्णय का सम्मान करते हैं. लेकिन जो भी कोर्ट हैं, वो चाहे सुप्रीम कोर्ट हो या लोअर कोर्ट, संविधान को बचाकर रखना कोर्ट की ही जिम्मेदारी है. संविधान का सम्मान और सिद्धांत बरकरार रहे, यह सबसे जरूरी है.'
सदस्यता जाने पर भी राहुल गांधी का किया था समर्थन
मार्च में जब राहुल गांधी की संसद सदस्यता चली गई थी तब भी AAP सरकार ने कोर्ट के फैसले पर असहमति जताई थी और केंद्र सरकार का विरोध किया था. अरविंद केजरीवाल ने कोर्ट के फैसले पर ट्वीट किया था. उन्होंने लिखा था- 'गैर बीजेपी नेताओं और पार्टियों पर मुकदमे करके उन्हें खत्म करने की साजिश हो रही है. हमारे कांग्रेस से मतभेद हैं, मगर राहुल गांधी जी को इस तरह मानहानि मुकदमे में फसाना ठीक नहीं. जनता और विपक्ष का काम है सवाल पूछना. हम अदालत का सम्मान करते हैं पर इस निर्णय से असहमत हैं.'
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कांग्रेस ने आप को बैठक के लिए भेजा निमंत्रण
आम आदमी पार्टी से सांसद संजय सिंह ने आजतक से बातचीत में बताया था कि आप को विपक्षी एकता बैठक के लिए कांग्रेस का निमंत्रण मिला है, इसका कांग्रेस को जवाब भेजा गया है. उन्होंने कहा कि इस निमंत्रण के जवाब में कांग्रेस से दिल्ली अध्यादेश का सार्वजनिक रूप से विरोध करने का आग्रह किया गया है. उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी ने पटना में विपक्ष की बैठक के दौरान भी कांग्रेस से दिल्ली अध्यादेश का विरोध करने का आग्रह किया था. आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस को पत्र लिखकर फिर से दिल्ली अध्यादेश का सार्वजनिक रूप से विरोध करने का आग्रह किया है. उन्होंने कहा कि अब मानसून सत्र दो सप्ताह से भी कम समय में शुरू होने वाला है.
पटना की बैठक में क्या हुआ था?
कांग्रेस और राहुल गांधी की सदस्यता मामले में आम आदमी पार्टी जो समर्थन दे रही है, वह उसकी उस नीति का हिस्सा ज्यादा लग रहा है, जिसके तहत आम आदमी पार्टी जल्द से जल्द अध्यादेश के खिलाफ अधिक से अधिक समर्थन जुटा सके और इसे चुनौती दे सके. जून में जब पटना में विपक्षी एकता की मुहिम को धार देने के लिए नीतीश कुमार की अध्यक्षता में बैठक हुई तब भी आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल वहां अपना यही एजेंडा लेकर पहुंचे थे. हालांकि पटना की बैठक में न तो विपक्षी एकता की मुहिम पर ही कोई बात स्पष्ट हो पाई और न ही कांग्रेस ने अध्यादेश के खिलाफ अरविंद केजरीवाल को स्पष्ट समर्थन ही दिया था.
AAP और कांग्रेस में तनाव क्यों है?
विपक्षी एकजुटता को लेकर बैठक से ठीक पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर हमला बोला था. केजरीवाल ने आरोप लगाया था कि दिल्ली में अध्यादेश को लेकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और राहुल गांधी के बीच डील हो गई है. बता दें कि इससे पहले सीएम केजरीवाल ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ ही राहुल गांधी से भी मुलाकात के लिए वक्त मांगा था. हालांकि, तब तक कांग्रेस नेताओं की ओर से सीएम केजरीवाल को मुलाकात के लिए वक्त नहीं दिया गया था.
पटना की बैठक के ठीक पहले इस तरह के बयान को दबाव की राजनीति से जोड़कर देखा गया था, केजरीवाल की मंशा यह बताई गई थी कि बैठक के दौरान दूसरी पार्टियां कांग्रेस पर अध्यादेश को लेकर नरम रुख अपनाने के लिए दबाव बनाएंगी. हालांकि तब भी कांग्रेस की ओर से केजरीवाल के लिए मनमुताबिक जवाब नहीं आया था. इसे ही लेकर दोनों पार्टियों में एकता वाली मुहिम की कोशिशों के बीच भी तनाव पसरा हुआ है.
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सीएम केजरीवाल अध्यादेश की खिलाफत को विपक्षी एकता का लिटमस टेस्ट जैसा प्रयोग साबित करने की कोशिश कर रहे हैं. इसी बीच आम आदमी पार्टी ने एक बार फिर तनाव को परे रखकर राहुल गांधी का समर्थन करते हुए गुजरात हाईकोर्ट के फैसले पर असहमति जताई है और केंद्र सरकार का विरोध किया है.