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राज्यसभा में स्पाइनल मस्कुलर बीमारी के साथ पैदा होने वाले 2,500 बच्चों का मुद्दा उठा, देश में दवा 23 करोड़ की!

राज्यसभा में आज स्पाइनल मस्कुलर बीमारी के साथ देश में हर साल पैदा होने वाले 2,500 बच्चों का मुद्दा उठा. जानें सदन में इसे लेकर क्या कहा गया...

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सांसद विवेक तन्खा (फाइल फोटो)
सांसद विवेक तन्खा (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • ‘गरीब बच्चों में ज्यादा इसके आनुवांशिक लक्षण’
  • ‘दवा की सही कीमत के लिए सरकार करे मोलभाव’

राज्यसभा में आज स्पाइनल मस्कुलर बीमारी के साथ देश में हर साल पैदा होने वाले 2,500 बच्चों का मुद्दा उठा. जानें सदन में इसे लेकर क्या कहा गया

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बच्चों को दो साल तक चलने-फिरने में परेशानी
राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान कांग्रेस सांसद विवेक तन्खा ने स्पाइनल मस्कुलर बीमारी का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि देश में हर साल 2,500 बच्चे इस बीमारी के साथ पैदा होते हैं. इससे प्रभावित बच्चों को पैदा होने के बाद दो साल तक चलने-फिरने में परेशानी होती है.

देश में दवा की कीमत 23 करोड़ रुपये
सांसद ने कहा कि इस बीमारी की एकमात्र दवा अमेरिका में बनती है. इसकी कीमत करीब 16 करोड़ रुपये पड़ती है. लेकिन समस्या और भी है. इस दवा पर 7 करोड़ रुपये का कर लगता है. इसलिए देश में इसकी कीमत 23 करोड़ रुपये पड़ती है.

गरीब बच्चों में आनुवांशिक लक्षण
सांसद विवेक तन्खा ने कहा कि इसके साथ एक समस्या और है कि इसके आनुवांशिक लक्षण अधिकतर गरीब तबकों के बच्चों में देखे गए हैं.

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सरकार करे मोल-भाव
राज्यसभा में सांसद ने कहा कि 2,500 बच्चों की संख्या बहुत होती है. ऐसे में सरकार अपने स्तर पर अमेरिका के साथ मोल-भाव करके इसे उचित कीमत पर हासिल कर सकती है. इतना ही नहीं केंद्र और राज्य सरकारें ऐसे बच्चों की मदद के लिए एक फंड बनाएं.

कर माफी भी दे सरकार
उन्होंने सरकार से इस तरह के मामलों में दवा पर कर छूट देने की मांग की. उन्होंने कहा कि कम से कम इस पर सरकार कर छोड़ सकती है.

CSR का हो इस्तेमाल
सांसद ने सरकार इस तरह के मामलों को कंपनियों के CSR से जोड़ने के लिए भी कहा. ताकि कंपनियां हर साल इस बीमारी के साथ पैदा होने वाले 2,500 बच्चों के लिए आगे आ सकें.

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