कांग्रेस में नेतृत्व और संगठन में बदलाव के मुद्दे पर सोमवार को सीडब्ल्यूसी की बैठक में सात घंटों के मंथन के बाद आखिरकार यह तय हुआ कि फिलहाल पार्टी की कमान सोनिया गांधी के हाथों में ही रहेगी. साथ ही कहा गया है कि नए अध्यक्ष का चुनाव करने के लिए अगली बैठक जल्द ही बुलाई जाएगी. 6 महीने के भीतर कांग्रेस को नए अध्यक्ष का चुनाव करना है. ऐसे में हम आपको बताते हैं कि कांग्रेस में कैसे पार्टी के अध्यक्ष का चुनाव होता है और उसकी पूरी प्रक्रिया क्या किस प्रकार संपन्न होती है.
बता दें कि कांग्रेस पार्टी के संविधान में अपने अध्यक्ष के चुनाव की विस्तृत प्रक्रिया दी गई है. पार्टी की सर्वोच्च नीति निर्धारक इकाई कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में अध्यक्ष के चुनाव की तारीख तय की जाती है. इसके साथ ही कांग्रेस के अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए सबसे पहले पार्टी अपने किसी एक वरिष्ठ सदस्य को रिटर्निंग अधिकारी के तौर पर नियुक्त करती है, जो चुनाव प्रक्रिया को संपन्न कराने का काम करता है.
कांग्रेस अध्यक्ष की उम्मीदवारी के लिए ये शर्त
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य अध्यक्ष पद के उम्मीदवार के लिए प्रस्तावक की भूमिका अदा करते हैं. ऐसे ही कोई भी दस सदस्य अध्यक्ष पद के लिए किसी उम्मीदवार का नाम आगे कर सकते हैं. कांग्रेस के अध्यक्ष पद का चुनाव उन सभी व्यक्तियों के लिए खुला होता है, जिनके पास प्रदेश कांग्रेस कमेटी के 10 सदस्यों का समर्थन हो. बिना दस सदस्यों के समर्थन के कांग्रेस अध्यक्ष पद की उम्मीदवारी नहीं हो सकती है. पार्टी संविधान के अनुच्छेद 12 के अनुसार, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सभी सदस्य भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रतिनिधि होंगे.
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अध्यक्ष पद से उम्मीदवारों के सभी नामों को रिटर्निंग अधिकारी के सामने तय तारीख पर रखा जाता है. आम चुनावों की तरह ही कांग्रेस में भी नामांकन भरने के बाद उसे वापस लेने के लिए सात दिनों की मोहलत दी जाती है. इसके बाद रिटर्निंग अधिकारी अध्यक्ष पद के नामों को प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पास भेजते हैं.
कांग्रेस अध्यक्ष का कार्यकाल 5 साल होता है
अगर नाम वापस लेने के बाद अध्यक्ष पद के लिए केवल एक ही उम्मीदवार रहता है तो उसे अध्यक्ष मान लिया जाता है. वो कांग्रेस का पूर्णकालिक अध्यक्ष का कार्यभार ग्रहण करता है और कांग्रेस अध्यक्ष का कार्यकाल पांच साल का होता है. वहीं, अगर अध्यक्ष पद से लिए एक से ज्यादा उम्मीदवार होते हैं तो कांग्रेस वर्किंग कमिटी और प्रदेश कांग्रेस कमिटी के सभी सदस्य इसने चुनाव में हिस्सा लेते हैं, जिसकी प्रक्रिया बहुत जटिल है और आज तक कांग्रेस के इतिहास में इसकी नौबत आई ही नहीं. ऐसी हालत में कांग्रेस अध्यक्ष बनने के लिए कम से कम 50 फीसदी वोट हासिल करने होते हैं.
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वरिष्ठ पत्रकार रशीद किदवई बताते हैं कि सीडब्ल्यूसी के पास अस्थाई अध्यक्ष चुनने की भी शक्तियां हैं, जिसके तहत सोमवार को सोनिया गांधी का कार्यकाल अंतरिम अध्यक्ष के तौर पर एक साल के लिए बढ़ा दिया है. वो कहते हैं कि का एक बार जितेंद्र प्रसाद ने सोनिया गांधी के खिलाफ कांग्रेस के अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने की एक कोशिश की थी लेकिन उनको प्रदेश कांग्रेस कमेटी के दरवाजे बंद मिले थे. उसी वक्त ये साफ हो गया था कि 'चयन' की प्रक्रिया को 'चुनाव' में तबदील करने की कोशिश का कांग्रेस में क्या हाल होता है. यही वजह है कि कांग्रेस वर्किंग कमिटी पार्टी अध्यक्ष पद के लिए मनोनीत करने की प्रक्रिया को अपनाती रही है.