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बैलेट पेपर पर राहुल गांधी का नाम और दिल बना गए कांग्रेसी...अध्यक्ष चुनाव में ऐसे रद्द हुए 416 वोट

कांग्रेस का अध्यक्ष पद का चुनाव मल्लिकार्जुन खड़गे ने जीता जरूर है, लेकिन इस चुनाव में 416 ऐसे वोट भी रहे जो रद्द कर दिए गए. किसी बैलेट पेपर पर राहुल गांधी का नाम लिखा गया तो किसी पर दिल बना दिया गया. वजह अलग रहीं, लेकिन कई वोट इस वजह से रद्द कर दिए गए.

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शशि थरूर और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे (पीटीआई)
शशि थरूर और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे (पीटीआई)

कांग्रेस के नए अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे बन गए हैं. चुनावी प्रक्रिया के तहत उनके खाते में 7897 वोट गए हैं, वहीं उनके प्रतिद्वंदी शशि थरूर को 1072 वोट मिले हैं. अब कहने को खड़गे ने एक बड़ी जीत हासिल की है, जीत का मार्जिन भी खासा बड़ा है, लेकिन थरूर को 1000 से ज्यादा वोट मिलना भी कई पार्टी के लोगों को हैरान कर गया है. थरूर कैंप के नेता तो अब डंके की चोट पर कह रहे हैं कि शशि थरूर को कांग्रेस में अब हल्के में नहीं लिया जा सकता. वैसे जीत का ये मार्जिन जो अभी इतना बड़ा दिख रहा है, ये असल में कुछ कम या ज्यादा हो सकता था क्योंकि कुल 416 वोट तो रद्द ही कर दिए गए.

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जानबूझकर रद्द करवाए गए वोट?

रद्दा भी क्या किए गए, कहना चाहिए जानबूझकर रद्द करवाए गए. ऐसा इसलिए क्योंकि जिन वोटों को रद्द किया गया है, उन पर या राहुल गांधी का नाम लिख दिया गया या फिर कुछ पर दिल बने हुए थे. थरूर कैंप के एक नेता ने आजतक को बताया कि एक बैलेट पेपर पर शशि थरूर के नाम के आगे दिल और बाण बना दिया गया था. एक दूसरे बैलेट पेपर पर खड़गे के नाम के आगे स्वास्तिक बनाया गया था, वहीं थरूर के नाम पर टिक लगाया गया था. इसी तरह कुछ ऐसे बैलेट पेपर सामने आए जहां शशि थरूर और मल्लिकार्जुन खड़गे के नाम के साथ राहुल गांधी का नाम भी लिख दिया गया. संदेश देने का प्रयास हुआ कि दोनों खड़गे और थरूर में से अध्यक्ष पद के लिए कोई भी उपयुक्त नहीं है.

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थरूर को कहां मिले सबसे ज्यादा वोट?

थरूर कैंप तो यहां तक मानता है कि इस अध्यक्ष पद के चुनाव के दौरान मल्लिकार्जुन खड़गे को ज्यादा समर्थन मिला था. कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं ने आगे आकर खड़गे के पक्ष में प्रचार किया था. नॉमिनेशन वाले दिन भी खड़गे के साथ ही कई नेता साथ चले थे. दावा ये हो रहा है कि अगर खड़गे को उन नेताओं का समर्थन हासिल नहीं होता तो जमीन पर स्थिति कुछ और हो सकती थी, थरूर को और ज्यादा वोट मिल सकते थे. थरूर कैंप इस बात पर भी खुशी जाहिर कर रहा है कि उन्हें इस चुनाव में 12 प्रतिशत वोट मिले हैं. वहां भी उत्तर प्रदेश, झारखंड, केरल, जम्मू-कश्मीर में थरूर को सबसे ज्यादा समर्थन हासिल हुआ है. 

गांधी परिवार को क्या संदेश?

वरिष्ठ पत्रकार रशीद किदवई तो यहां तक मानते हैं कि शशि थरूर को मिले 1000 वोट भी गांधी परिवार को बड़ा संदेश है. मैसेज है कि पार्टी में सुधार करें. अगर 9000 में से 1072 लोग अपनी पसंद के व्यक्ति को वोट दे सकते हैं तो ऐसी संभावना है कि इसी सोच वाले कांग्रेस प्रतिनिधियों का नंबर और भी रहा होगा, लेकिन वो वोट देते समय नंबर दो पर टिक करने की हिम्मत नहीं जुटा पाए. ऐसे में ये संभावना है कि 2024 के बाद होने वाले चुनाव में यह आंकड़ा उलट भी सकता है. मतलब 8000 वोट गांधी परिवार के खिलाफ वाले उम्मीदवार को जा सकता है और गांधी समर्थित उम्मीदवार को 1072 वोट ही मिल सकते हैं.

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किदवई ये भी मानते हैं कि थरूर द्वारा खींचे गए वोटों की वास्तविक संख्या कांग्रेस के भीतर 'प्रो चेंज' तत्वों की एक झलक मात्र है. कुछ अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि वास्तविक भावनाओं को प्राप्त करने के लिए इसे दो या तीन से गुणा करने की आवश्यकता है. इस सोच के साथ सच्चाई और विश्वसनीयता का घेरा जुड़ा हुआ है. ऐसे में आने वाले चुनावों में शशि थरूर की सियासी पिच और ज्यादा मजबूत हो सकती है.

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