भारत जोड़ो यात्रा के बीच कांग्रेस में अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए अधिसूचना जारी हो गई है. इसी के साथ कांग्रेस दफ्तर में भी हलचल तेज हो गई है. अपने राजनीतिक अस्तित्व की जमीन तलाशने में जुटी कांग्रेस के लिए यह हलचल स्वाभाविक है. बीजेपी लगातार वंशवाद की राजनीति को लेकर कांग्रेस और राहुल गांधी पर निशाना साधती रही है. लेकिन राहुल का अध्यक्ष न बनने का फैसला इन हमलों पर न सिर्फ विराम की तरह होगा, बल्कि इससे यह भी साफ हो गया है कि देश की सबसे पुरानी पार्टी का अध्यक्ष 24 साल बाद गैर गांधी होगा.
कांग्रेस के बागियों का ग्रुप यानी G23 लगातार पार्टी में फुल टाइम अध्यक्ष की वकालत करता रहा है. ऐसे में अब पार्टी गैर गांधी अध्यक्ष की ओर बढ़ रही है. माना जा रहा है कि अध्यक्ष पद के लिए मुकाबला राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और केरल के सांसद शशि थरूर के बीच होना है. दोनों विपरीत व्यक्तित्व वाले हैं. हालांकि, गहलोत के कद और अनुभव को देखते हुए उन्हें शशि थरूर से मुकाबले में आगे माना जा रहा है. इसके साथ ही गहलोत गांधी परिवार के करीबी और कांग्रेस के वफादारों में माने जाते हैं, जबकि कांग्रेस के कुछ नेता शशि थरूर को 'अंतर्राष्ट्रीय व्यक्ति' की छवि वाले मानते हैं.
थरूर के सामने क्या दिक्कतें?
शशि थरूर ने जब से अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने का संकेत दिया, तब से उनकी आलोचना भी हो रही है. सबसे कड़ी आलोचना उनके घरेलू राज्य केरल से हुई. इतना ही नहीं केरल कांग्रेस के नेता ने कहा कि थरूर को चुनाव नहीं लड़ना चाहिए, वे केरल से हैं, तो क्या हुआ, KPCC सिर्फ उसका साथ देगी, जिसका गांधी परिवार समर्थन करेगा. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता के सुरेश ने भी थरूर पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि थरूर 'अंतर्राष्ट्रीय व्यक्ति' हैं. सर्वसम्मत से उम्मीदवार होना चाहिए. हम अभी भी राहुल गांधी से कांग्रेस अध्यक्ष बनने की अपील कर रहे हैं. अगर राहुल अध्यक्ष नहीं बन रहे, तो मुझे लगता है कि चुनाव हो तो ज्यादा अच्छा है.
उधर, कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने भी शशि थरूर पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि एक तरफ कार्यकर्ताओं और जमीन से जुड़े हुए अशोक गहलोत हैं, जिन्हें 3 बार केंद्रीय मंत्री, 3 बार मुख्यमंत्री, 5 बार सांसद, 5 बार विधायक रहने का अनुभव हो, जिन्होंने सीधी टक्कर में मोदी-शाह को पटखनी दी हो, जिनका 45 वर्ष का निष्कलंक राजनीतिक जीवन हो. वहीं, दूसरी ओर शशि थरूर साहब हैं, जिनका पिछले 8 सालों में पार्टी के लिए एक ही प्रमुख योगदान है-कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी जी को तब चिट्ठियां भेजी जब वह अस्पताल में भर्ती थीं, इस कृत्य ने मेरे जैसे पार्टी के करोड़ों कार्यकर्ताओं को पीड़ा पहुंचाई.
यह विडंबना है कि एक तरफ कांग्रेस स्वतंत्र और निष्पक्ष आंतरिक चुनाव का दावा कर रही है. वहीं, थरूर की निंदा भी की जा रही है. यह उन लोगों के साथ किए गए व्यवहार की एक कड़वी याद है, जिन्होंने अतीत में गांधी परिवार को चुनौती देने का साहस किया था.
थरूर अंतरराष्ट्रीय ख्याति वाले प्रख्यात वक्ताओं में गिने जाते हैं और अंग्रेजी भाषा पर उनकी अच्छी पकड़ है. उन्होंने कांग्रेस से राजनीतिक करियर की शुरुआत 2009 से ही की है. जबकि गहलोत इससे 30 साल पहले से ही कांग्रेस में रहकर राजनीति कर रहे हैं.
और भी उम्मीदवारों के उतरने की चर्चा
कांग्रेस के कई नेताओं का मानना है कि थरूर एक समझौतावादी उम्मीदवार हैं और नामांकन वापस लेने की आखिरी तारीख 30 सितंबर से पहले नाम वापस ले सकते हैं. उधर, चर्चाएं पूर्व केंद्रीय मंत्री और सांसद मनीष तिवारी के भी चुनाव लड़ने की हैं.