कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव जैसै-जैसे नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे राजनीति घटनाक्रम तेजी से बदल रहे हैं. शुरुआत में अध्यक्ष पद की रेस में सिर्फ शशि थरूर और अशोक गहलोत का नाम सामने आया था. लेकिन राजस्थान में मचे राजनीतिक बवाल के बाद हो सकता है कि अशोक गहलोत को अध्यक्ष पद की रेस से बाहर कर दिया जाए. इस बीच थरूर के अलावा कुछ और चेहरे हैं जो सामने आए हैं.
थरूर के अलावा अध्यक्ष पद की रेस में मुकुल वासनिक, मल्लिकार्जुन खड़गे, दिग्विजय सिंह, केसी वेणुगोपाल का नाम फिलहाल सामने आ रहा है. ये सभी लोग चुनावी राजनीति से दूर हैं और ज्यादातर लोग गांधी परिवार के खास माने जाते हैं. इन सभी नेताओं की अपनी खूबियां और खामियां हैं जिनपर हम यहां बात करेंगे.
मुकुल वासनिक
वासनिक कांग्रेस के पुराने नेता हैं जिनके पास लंबा संगठनात्मक और प्रशासनिक अनुभव है. वासनिक अनुसूचित जाति से हैं. अनुसूचित जाति से बने महासचिवों में सबसे लंबे वक्त तक वही इस पद पर रहे. इसके साथ-साथ छात्र नेता के रूप में उन्होंने NSUI और यूथ कांग्रेस की अध्यक्षता भी की है. भाषा की बाध्यता भी उनके साथ नहीं है क्योंकि हिंदी, इंग्लिश के साथ-साथ मराठी पर भी उनकी पकड़ है.
सब ठीक होने के बावजूद वासनिक के नाम पर सबके रजामंद होने के चांस कम हैं. क्योंकि वह कांग्रेस के असंतुष्ट धड़े जी-23 गुट में शामिल रहे थे. इसी के साथ कार्यकर्ताओं पर उनकी पकड़ भी उतनी नहीं है. चुनावी राजनीति से भी वह लंबे वक्त से दूर हैं. आखिरी बार उन्होंने 2009 में महाराष्ट्र की राजटेक सीट से चुनाव लड़ा था, जिसमें वह हार गए थे. अगर मुकुल वासनिक कांग्रेस अध्यक्ष बने भी तो इसके चांस ज्यादा हैं कि उनका कंट्रोल गांधी परिवार के हाथ में रहे.
मल्लिकार्जुन खड़गे
कांग्रेस अध्यक्ष की रेस मे सीनियर नेता खड़गे का भी नाम शामिल है. उनका सबसे बड़ा प्लस प्वाइंट यही है कि वह गांधी परिवार के खास लोगों की लिस्ट में शामिल हैं. उनके पास लंबा संगठनात्मक और प्रशासनिक अनुभव भी है. वह 10 बार लगातार सांसद चुने गए हैं, जो कि अपने आप में रिकॉर्ड है. खड़गे दक्षिण भारत में कांग्रेस पार्टी का बड़ा नाम हैं.
बात खामियों की करें तो खड़गे पार्टी के बड़े नेता जरूर हैं लेकिन कर्नाटक के गुलबर्ग क्षेत्र से बाहर उनके साथ जनसमर्थन नहीं है. 80 साल के खड़गे खुद 2019 में लोकसभा चुनाव हार गए थे. खड़गे को अगर पार्टी अध्यक्ष की कुर्सी मिलती भी है तो उसका रिमोट कंट्रोल भी गांधी परिवार के हाथ में रह सकता है.
दिग्विजय सिंह
सीनियर नेता दिग्विजय सिंह भी कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने का इशारा दे चुके हैं. दिग्विजय के पास भी लंबा संगठनात्मक और प्रशासनिक अनुभव है. दो बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. वह भी गांधी परिवार के वफादारों की गिनती में आते हैं. कांग्रेस फिलहाल संघ और उनके हिंदुत्व के खिलाफ आवाज बुलंद कर रही है. इन्हीं के खिलाफ दिग्विजय सिंह भी लंबे वक्त से मुखर होकर बात करते रहे हैं.
खामियों की बात करें तो 2019 में दिग्विजय सिंह खुद 2019 में भोपाल से चुनाव हार गए थे. बयानों की उनकी मुखरता कुछ मौकों पर बैकफायर भी कर देती है, जिससे पार्टी को भी कई बार दिक्कतों का सामना करना पड़ा है. मौजूदा दौर में दिग्विजय का जनसमर्थन भी सिमटता दिखता है. परिवारवाद के आरोपों का सामना भी दिग्विजय कर रहे हैं. उनपर बेटे और भाई को राजनीति में सेट करने के आरोप लगते रहे हैं.
केसी वेणुगोपाल
लिस्ट में केसी वेणुगोपाल का नाम भी है. वह फिलहाल कांग्रेस पार्टी के महासचिव हैं. वह राहुल गांधी के खास माने जाते हैं और दक्षिण भारत के राज्यों में उभरते नेता माने जाते हैं. वहीं खामियों की बात करें तो वेणुगोपाल के पास अभी पर्याप्त जन आधार नहीं है. हिंदी भाषा पर भी उनकी पकड़ नहीं है. यह बात भी उनके खिलाफ जा सकती है. इसके अलावा केरल कांग्रेस में गुटबाजी को बढ़ावा देने तक का आरोप उनपर लग चुका है.
शशि थरूर
कांग्रेस अध्यक्ष पद चुनाव में केरल के तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर का नाम सबसे ज्यादा चर्चा में है. शुरुआत में बात हो रही थी कि चुनाव अशोक गहलोत बनाम शशि थरूर हो सकता है. थरूर की दावेदारी मजबूत भी है. करिश्माई व्यक्तित्व वाले थरूर तीन बार लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं. देश के साथ-साथ विदेश में थरूर की पहुंच है. संयुक्त राष्ट्र के साथ मिलकर भी कुछ प्रोजेक्टस पर काम कर रहे हैं. मंत्री के तौर पर थरूर ने काम किया है इसलिए उनके पास प्रशासनिक अनुभव भी है.
थरूर के साथ सबसे बड़ी दिक्कत यही है कि वह असंतोष धड़े जी-23 का हिस्सा थे. गहलोत जबतक फ्रेम में थे, तबतक माना जा रहा था कि थरूर को इस चुनाव में गांधी परिवार का समर्थन नहीं मिलेगा क्योंकि उनकी पसंद गहलोत हैं. पार्टी में वह ज्यादा पुराने भी नहीं है. 2009 में ही थरूर कांग्रेस में आए थे. विवादों से नाता, हिंदी पर कम पकड़ भी उनके खिलाफ जा सकता है.
अध्यक्ष पद चुनाव की बात करें तो फिलहाल नॉमिनेशन शुरू हो चुके हैं. 30 सितंबर तक यह प्रक्रिया चलेगी. कांग्रेस पार्टी की तरफ से केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण के अध्यक्ष मधुसुधन मिस्त्री ने बताया है कि अबतक शशि थरूर और पवन बंसल ने नॉमिनेशन फॉर्म लिया है. अब सामने आया है कि थरूर 30 सितंबर को नॉमिनेशन दाखिल करेंगे. दूसरी तरफ पवन बंसल के बारे में कहा जा रहा है कि उनको समर्थक के रूप में किसी और के लिए यह फॉर्म लिया है.
आजतक से बातचीत में पवन बंसल ने कहा भी है कि वह फॉर्म उनके लिए नहीं था. वह बोले फॉर्म इसलिए लिया था ताकि पिछली बार चंडीगढ़ का एक फॉर्म निरस्त हो गया था, ऐसी गड़बड़ दोबारा ना हो, इसलिए मैंने जाकर वह फॉर्म चंडीगढ़ पीसीसी को दे दिया था कि वह पहले से ही चेक कर लें. वह बोले कि मैं चुनाव नहीं लड़ रहा हूं.