कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक चल रही है. कांग्रेस नेतृत्व के लेकर उठे सवाल के बाद सोनिया गांधी ने पार्टी पद छोड़ने की पेशकश की है. कांग्रेस के अंदर जिस तरह का संकट दिखाई दे रहा है, हालात उससे भी कहीं ज्यादा गंभीर है. कांग्रेस के 23 दिग्गज नेताओं की ओर से भेजी गई चिट्ठी में सोनिया गांधी के नेतृत्व के बदलाव पर ही नहीं बल्कि राहुल गांधी के फैसलों पर उंगली उठाई गई है. साथ ही पार्टी के काम करने के तौर-तरीके में भी बदलाव लाने की मांग भी की गई है.
राहुल के फैसलों पर सवाल
दरअसल, कांग्रेस नेताओं की ओर से लिखी गई चिट्ठी में कई बातें कही गई हैं. इसमें हर दिन मुद्दों पर बातचीत के लिए संसदीय बोर्ड सिस्टम, नामांकन की बजाय कांग्रेस वर्किंग कमेटी के चुनाव, यूथ कांग्रेस और एनएसयूआई के चुनाव को खत्म करने और समय पर पीसीसी चयन के साथ अधिक कार्यात्मक जिला और ब्लॉक समितियों का गठन शामिल है. माना जाता है कि ये वो फैसले हैं, जिन्हें राहुल गांधी की मर्जी के मुताबिक किया गया है. हाल ही में यूपी, दिल्ली और कर्नाटक में प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति की गई है. इसके अलावा अजय माकन को राजस्थान का प्रभारी नियुक्त किया गया है. माना जाता है यह सभी नेता राहुल के करीबी माने जाते हैं.
CWC की बैठक पर सवाल
कांग्रेस वर्किंग कमेटी की हो रही बैठक पर कई पुराने कांग्रेसी नेता सवाल उठा रहे हैं. इंडिया टुडे से बात करते हुए एक कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि इस तरह कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक नहीं बुलाई जा सकती है. यह कांग्रेस के संविधान का उल्लंघन है. नेताओं ने इसे कांग्रेस संविधान के आर्टिकल XVIII (h) का उल्लंघन बताया.
कांग्रेस पार्टी के संविधान के मुताबिक, किसी भी कारण से आई आपात स्थिति जैसे पार्टी अध्यक्ष के इस्तीफे या आकस्मिक निधन पर पार्टी के वरिष्ठ राष्ट्रीय महासचिव को जिम्मेदारी मिल जाएगी. जब तक अंतरिम अध्यक्ष या स्थायी अध्यक्ष का चुनाव नहीं होता है, तब तक राष्ट्रीय महासचिव के पास जिम्मेदारी रहेगी. इन नेताओं का दावा है कि संविधान के अनुसार पिछले 365 दिनों में एआईसीसी की बैठक नहीं हुई है, जब से सोनिया गांधी ने अंतरिम अध्यक्ष के रूप में पदभार संभाला है.
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अंतरिम अध्यक्ष एक नियमित अध्यक्ष के चयन की देखरेख करने के लिए है, लेकिन अब एक साल के दौरान कोई कदम नहीं उठाया गया है. अंतरिम अध्यक्ष हमेशा नहीं रह सकता है. चिट्ठी पर हस्ताक्षर करने वाले एक अन्य नेता ने कहा कि हमारी चिट्ठी की कई नेता आलोचना कर रहे हैं. क्या पार्टी के भविष्य को बेहतर बनाने के उद्देश्य से पार्टी अध्यक्ष को लिखना अपराध है? बताया जा रहा है कि राहुल गांधी के अध्यक्ष पद छोड़ने से भी ज्यादा कांग्रेस का संकट इस बार गंभीर है.
दरअसल, राहुल गांधी ने कांग्रेस के विभिन्न मुद्दों को जिस तरह आक्रमक रुख अख्तियार कर रखा है, उससे पार्टी के वरिष्ठ नेता खुश नहीं है. इतना ही नहीं कांग्रेस के युवा और बुजुर्ग टीम के बीच छत्तीस के आंकड़े हैं. बुजुर्ग कांग्रेस नेताओं को लगता है कि राहुल गांधी जिनके भरोसे राजनीति करते हैं, वो पार्टी की जरूरतों को नहीं समझ रहे हैं. मोदी पर व्यक्तिगत हमले के भी कांग्रेस के सीनियर नेता खिलाफ हैं. कांग्रेस वर्किंग कमेटी की पिछली दो बैठकों में भी पार्टी के दिग्गजों को कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सीधे हमला करने से बचना चाहिए. यह संदेश सीधे राहुल गांधी के लिए था.
23 वरिष्ठ नेताओं से सलाह के बाद लिखी गई चिट्ठी
कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि नेतृत्व में बदलाव के लिए सात पेज की चिट्ठी भेजी गई है. इसमें 23 वरिष्ठ नेताओं के हस्ताक्षर हैं. इन नेताओं के विचार को जानने के बाद चिट्ठी लिखी गई. चिट्ठी की एक प्रतिलिपि बनाई गई थी, जिस पर 23 वरिष्ठ नेताओं के हस्ताक्षर के बाद उसे सोनिया गांधी को भेज दिया गया. हालांकि, सूत्रों का कहना है कि इस चिट्ठी में 23 ही नहीं 303 नेताओं के हस्ताक्षर हैं. 280 नेताओं के हस्ताक्षरों को रोक दिया गया है. कई लोगों ने डिजिटली हस्ताक्षर किया है. गांधी परिवार के वफादारों में से एक मणिशंकर अय्यर ने चिट्ठी का समर्थन किया है. चिट्ठी पर हस्ताक्षर करने वाले एक नेता ने कहा कि इस चिट्ठी का मकसद गांधी परिवार की आलोचना नहीं है.
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दो धड़े में बंटी कांग्रेस!
बताया जा रहा है कि इस चिट्ठी पर वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, कपिल सिब्बल, शशि थरूर, विवेक तन्खा, पृथ्वीराज चव्हाण, मनीष तिवारी, रेणुका चौधरी, अखिलेश प्रसाद, पीजी कुरियन, जितिन प्रसाद, संदीप दीक्षित, अरविंदर सिंह लवली, टीके सिंह समेत कई नेताओं के हस्ताक्षर हैं. हालांकि, इंडिया टुडे इसकी पुष्टि नहीं करता है.
हालांकि, चिट्ठी के सामने आने के बाद एक धड़ा गांधी परिवार के समर्थन में उतर आया है. पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, कर्नाटक के पूर्व सीएम सिद्धारमैया ने गांधी परिवार का समर्थन किया है. सीएम अमरिंदर सिंह ने रविवार को कहा कि सोनिया गांधी को अध्यक्ष बने रहना चाहिए, इसके बाद राहुल गांधी जिम्मेदारी संभालें.