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रायपुर में कांग्रेस की मीटिंग, क्या 26 साल बाद होने वाला है CWC का चुनाव?

कांग्रेस का छत्तीसगढ़ में 85वां राष्ट्रीय महाअधिवेशन होने जा रहा है. इस अधिवेशन की अहमियत इसलिए ज्यादा बढ़ गई है क्योंकि कयास लग रहे हैं कि इस बार 26 साल बाद CWC का चुनाव भी संभव है. इस चुनाव को लेकर पार्टी में बहस भी तेज हो गई है.

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कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे

कांग्रेस 2024 के लोकसभा चुनाव की रूपरेखा तय करने के लिए छत्तीसगढ़ के रायपुर में महाधिवेशन करने जा रही है. इस बैठक में सिर्फ लोकसभा चुनाव ही नहीं बल्कि मल्लिकार्जुन खड़गे की टीम का गठन का भी खाका खींचा जाएगा. ऐसे में सभी की निगाहें इस बात पर हैं कि कांग्रेस में सबसे पावरफुल मानी जाने जाने वाली कार्यसमिति यानी सीडब्ल्यूसी के लिए क्या 26 साल के बाद चुनाव होंगे या फिर मनोनीत किया जाएगा. इस बात को लेकर पार्टी के अंदर बहस भी तेज हो गई है. 

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कांग्रेस के 85वां राष्ट्रीय महाअधिवेशन रायपुर में 24 से 26 फरवरी तक चलेगा. तीन दिन तक चलने वाले महाअधिवेशन के लिए पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने टीम गठित कर दी है, जिसमें अलग-अलग नेता अलग विषय पर अपना प्रस्ताव पेश करेंगे. राजनीति, अर्थशास्त्र, अंतरराष्ट्रीय मामलों, कृषि, सामाजिक न्याय और युवाओं के रोजगार से जुड़े मुद्दों पर चर्चा संभव है. 

कांग्रेस की तीन दिवसीय बैठक ऐसे समय हो रही है जब मध्य प्रदेश, कर्नाटक, राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे अहम 6 राज्यों के विधानसभा चुनाव नजदीक हैं और अगले साल लोकसभा के चुनाव होने हैं. ऐसे में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे क्या सीडब्ल्यूसी के लिए चुनाव कराने का जोखिम भरा कदम उठा पाएंगे, क्योंकि राहुल गांधी पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र स्थापित करने का प्रयास कर रहे हैं. ऐसे में सीडब्ल्यूसी के चुनाव कराने की मांग पार्टी के अंदर से उठती रही है. 

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रायपुर में हो रहे अधिवेशन के पहले दिन यानि 24 फरवरी को उद्घाटन सत्र के साथ ही मल्लिकार्जुन खड़गे नए सीडब्ल्यूसी को नामित करने या फिर चुनाव कराने का आह्वान कर सकते हैं. खड़गे अगर सीडब्ल्यूसी के लिए चुनाव का ऐलान करते हैं तो फिर 26 साल के बाद चुनाव होगा. इसके अलावा सोनिया गांधी से लेकर राहुल गांधी और प्रियंका गांधी तक को चुनावी मैदान में किस्मत आजमानी पड़ सकती है. 

कांग्रेस के 29 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लगभग 1300 एआईसीसी प्रतिनिधियों की सूची, जिनके द्वारा सीडब्ल्यूसी का चुनाव किया जाता है. कांग्रेस की वर्किंग कमेटी यानी सीडब्ल्यूसी टॉप एग्जीक्यूटिव बॉडी है, जो पार्टी में सबसे ताकतवर मानी जाती है. कांग्रेस संविधान के तहत कार्य समिति के अध्यक्ष, संसदीय दल के नेता सहित सीडब्ल्यूसी में कुल 25 सदस्य हो सकते हैं. कार्य समिति के अध्यक्ष और संसदीय दल के नेता को छोड़कर 23 नेता सीडब्ल्यूसी में शामिल होते हैं, जिनमें 12 नेताओं को एआईसीसी को चुना जाता है और 11 सदस्य को पार्टी अध्यक्ष के द्वारा नामित किया जाता है. 

वरिष्ठ पत्रकार राशीद किदवई ने बताया कि कांग्रेस में सबसे पावरफुल कमेटी मानी जाती है. सीडब्ल्यूसी के सदस्य को ही पार्टी कोषाध्यक्ष और राष्ट्रीय महासचिव नियुक्त किया जा सकता है. सीडब्ल्यूसी में नामांकित श्रेणी के प्रावधान का उद्देश्य महिलाओं, कमजोर वर्गों और अल्पसंख्यकों को स्थान देना है, जो अक्सर प्रतियोगिता आयोजित होने पर सीडब्ल्यूसी में जगह बनाने में विफल रहते हैं. 

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कांग्रेस के इतिहास में सीडब्ल्यूसी का चुनाव तीसरी बार होगा और सोनिया गांधी के ढाई दशक की लीडरशिप में पहली बार होगा. 75 सालों में सिर्फ दो बार ही सीडब्ल्यूसी के चुनाव हुए हैं, इन दोनों ही मौकों पर कांग्रेस पार्टी की कमान नेहरू-गांधी परिवार से बाहर के शख्स के पास रही. 1992 में कांग्रेस प्लेनरी सेशन तिरुपति में हुआ था और उस समय कांग्रेस अध्यक्ष रहे पीवी नरसिम्हा राव ने सीडब्ल्यूसी के इलेक्शन भी कराए थे. 

उन्हें उम्मीद थी कि चुनाव में उनके लोग जीत जाएंगे. इलेक्शन के बाद अर्जुन सिंह, शरद पवार और राजेश पायलट जैसे उनके विरोधी भी जीत गए. इसके बाद उन्होंने कमेटी को बर्खास्त कर दिया था और फिर नामित किया था. सीडब्ल्यूसी का चुनाव दूसरी बार 1997 में कलकत्ता अधिवेशन में हुआ था जब सीताराम केसरी पार्टी के अध्यक्ष थे. अर्जुन सिंह, शरद पवार, अहमद पटेल और गुलाम नबी आजाद जैसे नेता जीतकर आए थे और वो सदस्य शक्तिशाली नेताओं के रूप में उभरे. इसके बाद कांग्रेस दो गुटों में बटी तो अर्जुन सिंह, एन डी तिवारी, शीला दीक्षित ने कांग्रेस (तिवारी) नाम से पार्टी का गठन किया था. हालांकि, बाद में उन्होंने पार्टी का विलय कर दिया था जब सोनिया गांधी कांग्रेस की कमान संभाला था. 

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23 सीटों के लिए 50 दावेदार 

रशीद किदवई कहते हैं कि कांग्रेस की हाई प्रोफाइल कमेटी में सिर्फ 23 सीटें हैं, लेकिन उसके लिए 50 से अधिक दावेदार हैं. सीडब्ल्यूसी में अगर गांधी परिवार के तीन सदस्यों के लिए कोई मसौदा तैयार किया जाता है तो फिर उनकी संख्या घटकर 20 हो जाती है. दिग्गज नेताओं में भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कमलनाथ, जयराम रमेश, तारिक अनवर, अंबिका सोनी, दिग्विजय सिंह, मीरा सिंह, पवन बंसल, सिद्धारमैया, रमेश चेनिन्थेला, ओमन चांडी, मणिशंकर अय्यर, सलमान खुर्शीद, कुमारी शैलजा जैसे नेता हैं. जी-23 गुट से देखें तो शशि थरूर, मनीष तिवारी, आनंद शर्मा, पृथ्वीराज चव्हाण जैसे नेता हैं. इसके अलावा सचिन पायलट, दीपेंद्र हुड्डा, जितेंद्र सिंह, रणदीप सिंह सुरजेवाला जैसे नेता भी है. ऐसे में देखना है कि पार्टी के किन नेताओं की किस्मत बुलंद होती है.

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