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कोरोना वैक्सीन की अलग-अलग कीमतों पर बोली कांग्रेस- मोदी सरकार ने मुनाफाखोरी की परमिशन दी

देश में कोवैक्सीन और कोविशील्ड की अलग-अलग कीमतों को लेकर कांग्रेस ने रविवार को केंद्र सरकार पर सवाल उठाए. कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि पूरी दुनिया में मोदी सरकार की वैक्सीन पॉलिसी सबसे ज्यादा भेदभाव करने वाली है.

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कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला. (फाइल फोटो-PTI)
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला. (फाइल फोटो-PTI)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • रणदीप सुरजेवाला ने वैक्सीन पॉलिसी पर सवाल उठाए
  • बोले, एक वैक्सीन की 5 अलग-अलग कीमतें मंजूर नहीं

देश में जहां कोरोना संक्रमण की रफ्तार बढ़ रही है, वहीं कोरोना वैक्सीन की अलग-अलग कीमतों को लेकर अब सियासत भी गरमा गई है. देश की दो वैक्सीन कोवैक्सीन और कोविशील्ड की अलग-अलग कीमतें होने की वजह से कांग्रेस ने रविवार को केंद्र सरकार पर हमला बोला. कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा कि पूरी दुनिया में मोदी सरकार की वैक्सीन पॉलिसी सबसे ज्यादा भेदभावपूर्ण है. उन्होंने कहा कि एक ही वैक्सीन की 5 अलग-अलग कीमतें मंजूर नहीं हैं.

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रणदीप सुरजेवाला ने कहा, "मोदी सरकार इस दुनिया की सबसे भेदभावपूर्ण वैक्सीन पॉलिसी लेकर आई है. महामारी के वक्त भी वैक्सीन से मुनाफाखोरी की मोदी सरकार ने इजाजत दे दी. मोदी सरकार ने वैक्सीन के लिए 18 से 45 साल की युवा आबादी को अपने हाल पर छोड़ दिया. मोदी सरकार ने 18 से 45 साल के युवाओं को कह दिया है कि उनके वैक्सीनेशन की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की नहीं है. उन्हें या तो खुद से वैक्सीन लगवानी होगी या फिर राज्य सरकार अपने संसाधनों से वैक्सीन लगवाएगी. लेकिन इसमें केंद्र की कोई जिम्मेदारी नहीं है." 

सुरजेवाला ने आगे कहा, "मोदी सरकार की वैक्सीन पॉलिसी ने सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक को अपने प्रोडक्शन की 50% वैक्सीन की कीमतें तय करने की इजाजत दे दी है. वो अपनी मर्जी से राज्य सरकारों और निजी संस्थानों को तय कीमतों पर वैक्सीन बेचेंगी. अब इन दोनों ही वैक्सीन कंपनियों ने भेदभाव रहित कीमतें जारी की हैं."

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उन्होंने दावा किया कि वैक्सीन से दोनों कंपनियों को 1.11 लाख करोड़ रुपए का मुनाफा होगा. उन्होंने कहा, "देश में 45 साल से कम उम्र की आबादी 74.35% के आसपास यानी करीब 101 करोड़ है. इन लोगों को वैक्सीन लगाने के लिए 202 करोड़ डोज की जरूरत होगी. इतनी आबादी को वैक्सीनेट करने का आधा खर्चा या तो राज्य सरकार उठाएगी या तो लोग खुद उठाएंगे. इससे सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक को 1,11,100 करोड़ रुपए का मुनाफा होगा."

दरअसल, भारत में इस वक्त दो वैक्सीन के इस्तेमाल को मंजूरी मिली है. पहली वैक्सीन है कोविशील्ड, जिसे सीरम इंस्टीट्यूट बना रहा है और दूसरी है कोवैक्सीन, जिसे भारत बायोटेक ने आईसीएमआर के साथ मिलकर बनाया है. देश में 1 मई से कोरोना वैक्सीनेशन का तीसरा फेज शुरू हो रहा है. इसके तहत 18 साल से ऊपर के सभी लोगों को वैक्सीन लगाई जाएगी. इससे पहले सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक ने अपनी वैक्सीन की कीमतें जारी की हैं. दोनों ही कंपनियों ने केंद्र सरकार, राज्य सरकार और निजी अस्पतालों के लिए वैक्सीन की अलग-अलग कीमतें तय की हैं. बस, इसी वजह से अब बवाल शुरू हो गया है.

कोविशील्ड बना रही सीरम इंस्टीट्यूट वैक्सीन का एक डोज केंद्र सरकार को 150 रुपए, राज्य सरकार को 400 रुपए और निजी अस्पतालों को 600 रुपए में देगी. जबकि भारत बायोटेक कोवैक्सीन का एक डोज केंद्र सरकार को 150 रुपए में, राज्य सरकार को 600 रुपए में और निजी अस्पतालों को 1,200 रुपए में देगी.

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कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने आगे कहा, "मोदी सरकार को ये पता होना चाहिए कि देश की 28% आबादी गरीबी रेखा से नीचे है. 2011 की जनगणना के मुताबिक 31 करोड़ आबादी एससी-एसटी है. 41% आबादी पिछड़े वर्ग से आती है. 81.35 करोड़ लोगों को राशन में सब्सिडी मिलती है. क्या ऐसे गरीब और वंचित लोगों को वैक्सीन फ्री मिलेगी या नहीं?"

सुरजेवाला यहीं नहीं रुके. उन्होंने मोदी सरकार पर और हमले किए. पीएम केयर्स फंड की तरफ से ऑक्सीजन प्लांट के लिए जारी फंड का कांग्रेस ने स्वागत किया. साथ ही उन्होंने ये भी कहा, "मोदी सरकार को बताना चाहिए कि वो पिछले एक साल से क्या कर रही थी? क्या वो विपक्षी सरकार को बेदखल करने, विधायकों को खरीदने और लोकतंत्र को नुकसान पहुंचाने में व्यस्त थी?"

 

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