क्या सोनिया गांधी कांग्रेस के अंतरिम अध्यक्ष का पद छोड़ देंगी. क्या कांग्रेस को नया अध्यक्ष मिलेगा. क्या कांग्रेस को गांधी परिवार से बाहर का कोई अध्यक्ष मिलेगा. ये वो तमाम सवाल हैं जो फिलहाल कांग्रेस को लेकर चर्चा में हैं. ये चर्चा इसलिए क्योंकि कांग्रेस के नेताओं ने ही लीडरशिप पर सवाल खड़े किए हैं और बड़े बदलाव की मांग की है.
क्या है पूरा मामला
एक तरफ कांग्रेस आलाकमान जहां राजस्थान के सियासी संकट को दूर करने में जुटा था, वहीं दूसरी तरफ पार्टी के ही वरिष्ठ नेताओं की जमात लीडरशिप में बदलाव का एक लैटर तैयार कर रही थी. 10 अगस्त को अंतरिम अध्यक्ष के रूप में सोनिया गांधी का एक साल पूरा हो रहा था. लिहाजा, कांग्रेस अध्यक्ष को लेकर भी पार्टी में चर्चा थी. इसी बीच 17 अगस्त को कांग्रेस से निष्कासित नेता संजय झा ने दावा किया कि करीब 100 नेताओं ने सोनिया गांधी को पत्र लिखकर नेतृत्व में बदलाव की मांग की है. संजय झा के इस दावे से राजनीतिक घमासान मच गया और कांग्रेस के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने इस दावे को सिरे से खारिज कर दिया.
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हालांकि, कांग्रेस के खंडन से अटकलों पर विराम नहीं लगा और पत्र पर चर्चा शुरू हो गई. कयासों के बीच कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा का एक पुराना बयान भी सामने आया जिसमें गैर-गांधी परिवार के कांग्रेस अध्यक्ष होने की वकालत की गई थी. इसके बाद से कांग्रेस में खेमेबंदी नजर आने लगी. कुछ नेता खुले तौर पर सोनिया गांधी या राहुल गांधी को ही कांग्रेस की कमान दिए जाने की बात कहने लगे. जबकि दूसरी तरफ तमाम बड़े नेता बदलाव के लिए पहले ही पत्र लिखकर अपनी मंशा साफ कर चुके थे.
पत्र लिखने वालों में इन नेताओं के नाम
बताया जा रहा है कि सोनया गांधी को ये पत्र दो हफ्ते पहले लिखा गया है. 23 नेताओं के हस्ताक्षर के साथ ये लेटर लिखा गया बताया जा रहा है. हालांकि, सूत्रों का ये भी कहना है कि सिर्फ 23 नहीं, बल्कि देशभर के कुल 303 कांग्रेस नेताओं ने डिजिटल माध्यम से इस पत्र पर सहमति जताई है. बताया जा रहा है कि गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, कपिल सिब्बल, शशि थरूर, जितिन प्रसाद, मुकुल वासनिक, भूपेंद्र सिंह हुड्डा, मिलिंद देवड़ा, रेणुका चौधरी, अखिलेश प्रसाद, पीजे कुरियन, संदीप दीक्षित, टीके सिंह, कुलदीप शर्मा, विवेक तन्खा, पृथ्वीराज चव्हाण, मनीष तिवारी और अरविंदर सिंह लवली जैसे वरिष्ठ नेता पार्टी नेतृत्व में बदलाव चाहते हैं.
गांधी परिवार के समर्थन में ये नेता
गुलाम नबी आजाद, भूपेंद्र सिंह हुड्डा और पृथ्वीराज चव्हाण जैसे पूर्व मुख्यमंत्रियों ने कांग्रेस में फेरबदल का समर्थन किया है, वहीं कांग्रेस के तीनों मौजूदा मुख्यमंत्री डटकर गांधी परिवार के साथ खड़े नजर आ रहे हैं. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सार्वजनिक तौर पर गांधी परिवार के प्रति अपना विश्वास जताया है.
कैप्टन अमरिंदर ने कहा है कि जब तक सोनिया गांधी चाहें, कांग्रेस अध्यक्ष पद पर बनी रहें और उनके बाद राहुल गांधी ये जिम्मेदारी संभालें. जबकि भूपेश बघेल ने कहा है कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी हर चुनौती में उम्मीद की किरण हैं, हम सब उनके साथ हैं. अशोक गहलात ने कहा है कि उन्हें विश्वास है सोनिया गांधी अपने जिम्मेदारी को जारी रखेंगी. गहलोत ने कहा कि अगर सोनिया गांधी पद छोड़ती हैं तो फिर राहुल गांधी को कमान संभालनी चाहिए. राजस्थान के डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने भी राहुल गांधी के समर्थन में आवाज उठाई है.
समर्थन में अन्य नेता
एमपी के पूर्व सीएम कमलनाथ
कर्नाटक के पूर्व सीएम सिद्धरमैया
पूर्व मंत्री राजीव शुक्ला
पुड्डुचेरी के सीएम वी नारायणसामी
सांसद अधीर रंजन चौधरी
पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार
पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत
सुष्मित देब
गांधी परिवार के समर्थन में प्रस्ताव
गांधी परिवार के समर्थन में कई प्रस्ताव भी पास किए हैं. कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने कहा है कि पूरी पार्टी सोनिया गांधी के साथ है. असम कांग्रेस के अध्यक्ष रिपुन बोरा ने राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाने की मांग रखी है. राजस्थान प्रदेश कांग्रेस ने भी कहा है कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी के अलावा नेतृत्व का कोई विकल्प नहीं हो सकता है. तमिलनाडु कांग्रेस ने ट्वीट किया है कि माता सोनिया जी की लीडरशिप जारी रहनी चाहिए. आंध्र प्रदेश कांग्रस ने भी सोनिया गांधी या राहुल गांधी के नाम पर ही भरोसा जताया है.
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यूथ कांग्रेस ने एक प्रस्ताव पास कर सोनिया गांधी को पार्टी की कमान जारी रखनी की मांग की है. यूथ कांग्रेस के प्रस्ताव में कहा गया है कि अगर सोनिया गांधी पद छोड़ती हैं तो राहुल गांधी को नेतृत्व संभालना चाहिए.
अब आगे क्या?
पार्टी में अंदरूनी रार के बीच आज कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक हो रही है. माना जा रहा है कि बैठक में सोनिया गांधी से अध्यक्ष पद पर बने रहने की मांग की जा सकती है. अगर, सोनिया गांधी इनकार करती हैं तो राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाने की मांग हो सकती है. हालांकि, सूत्रों की माने तो राहुल गांधी अपने 1 साल पुराने स्टैंड पर कायम हैं और वह किसी भी सूरत में अध्यक्ष पद स्वीकार नहीं करेंगे. ऐसी स्थिति में राहुल गांधी के इनकार पर किसी वरिष्ठ पार्टी नेता को अध्यक्ष बनाने पर विचार किया जा सकता है. पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को अंतरिम अध्यक्ष बनाने पर विचार चल रहा है. इसके साथ ही मल्लिकार्जुन खड़गे और सुशील कुमार शिंदे भी अंतरिम अध्यक्ष पद की रेस में हैं.
अब देखना है कि बैठक में क्या फैसला होता है.
(राहुल श्रीवास्तव और मौसमी सिंह के इनपुट के साथ)