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कांग्रेस बोली- कृषि बिल और MSP पर देश को भ्रमित न करें प्रधानमंत्री

कांग्रेस नेताओं ने कहा कि प्रधानमंत्री पद पर बैठे व्यक्ति को किसान और देश को भ्रमित नहीं करना चाहिए. कांग्रेस ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री ऐसे वक्त में झूठ बोल रहे हैं जब देश कोरोना से जंग लड़ रहा है और चीन हमारी सीमा में घुसा जा रहा है.

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रणदीप सुरजेवाला
रणदीप सुरजेवाला
स्टोरी हाइलाइट्स
  • सरकार पर एमएसपी खत्म करने का आरोप
  • कांग्रेस ने पूछा- मंडियां खत्म होंगी तो कैसे जिएगा किसान
  • क्या FCI किसानों को खेत में जाकर एमएसपी देगी?

कृषि बिल के खिलाफ कांग्रेस पार्टी ने शुक्रवार को संसद भवन के बाहर मीडिया को संबोधित किया. इस कार्यक्रम में पार्टी के नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला, गौरव गोगोई, राजीव सातव, जसबीर सिंह गिल, हीबी इडेन और डॉ. अमर सिंह मौजूद थे. मीडिया संबोधन में कांग्रेस नेताओं ने कृषि विधेयक को लेकर मोदी सरकार पर हमला बोला और इसे किसान विरोधी बताया. गुरुवार को दो कृषि बिल लोकसभा से पारित हो गए हैं. इसके बाद विपक्षी पार्टियों ने बिल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन और तेज कर दिया है.

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मीडिया को संबोधित करते हुए कांग्रेस नेताओं ने कहा कि प्रधानमंत्री पद पर बैठे व्यक्ति को किसान और देश को भ्रमित नहीं करना चाहिए. कांग्रेस ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री ऐसे वक्त में झूठ बोल रहे हैं जब देश कोरोना से जंग लड़ रहा है और चीन हमारी सीमा में घुसा जा रहा है. रणदीप सिंह सुरजेवाला ने सवाल किया कि मोदी सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) क्यों खत्म कर रही है? प्रधानमंत्री और कृषि मंत्री दोनों बोल रहे हैं कि एमएसपी आगे भी जारी रहेगा, लेकिन जब मंडियां खत्म हो जाएंगी तो एमएसपी कौन देगा. क्या एफसीआई किसानों को खेत में जाकर एमएसपी देगी? 

सुरजेवाला ने कहा कि प्रधानमंत्री बोल रहे हैं कि किसान अब कहीं भी अपने उत्पाद बेच सकता है. देश में 86.2 फीसदी किसान 6 एकड़ से कम जोत रखने वाले हैं, 60 फीसदी किसान ऐसे हैं जिनके पास 2 एकड़ से कम खेत है. अब सवाल है कि ऐसे किसान बाजार तक कैसे पहुंच पाएंगे. सवाल है कि बड़े-बड़े कॉरपोरेट से हमारे छोटे किसान कैसे पार पाएंगे? कांग्रेस नेताओं ने सवाल उठाया कि जब एपीएमसी नहीं रहेगा तब छोटे किसान, मंडी में काम करने वाले श्रमिक और ट्रांसपोर्टर अपना पेट कैसे चलाएंगे. मंडी के शुल्क से गांवों में विकास होता है. मंडियां खत्म होंगी तो आगे क्या होगा.

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मीडिया को संबोधित करते हुए गौरव गोगोई ने कहा, ''बिल में ऐसा एक क्लॉज नहीं है, जिससे किसानों को संरक्षण मिल सके, सारे क्लॉज जो हैं, वो ये हैं कि कॉर्पोरेट लोग कैसे आज की तारीख में बिना किसी रेगुलेशन के, बिना किसी सुपरविजन के कैसे इंडियन फार्मर को और एक्सप्लॉइट करें.'' इसके बाद डॉ. अमर सिंह ने कहा, ''बिहार में 2006 में नीतीश कुमार जी ने एपीएमसी एक्ट, एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केट एक्ट जो है वो हटा दिया था. अब बिहार की हालत देखो, न कोई प्राईवेट इंवेस्टमेंट आया, न तो एमएसपी मिली. किसान की हालत बद से बदतर हो गई. ये झूठ बोलने में माहिर हैं.'' रणदीप सुरजेवाला के मुताबिक, कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि अध्यादेश की आड़ में मोदी सरकार असल में ‘शांता कुमार कमेटी’ की रिपोर्ट लागू करना चाहती है, ताकि एफसीआई के माध्यम से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद ही न करनी पड़े और सालाना 80,000 से एक लाख करोड़ रुपये की बचत हो. 

इसी के साथ कांग्रेस देश भर में कृषि बिल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने की तैयारी में है. विरोध प्रदर्शन सड़कों पर होने के साथ वर्चुअल तरीके से भी होगा. सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस इस विरोध प्रदर्शन में विपक्षी दलों को लामबंद करने के लिए उनसे बात कर रही है. कांग्रेस की अपील है कि समान विचारधारा की पार्टियां एकजुट हों और सड़कों पर सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया जाए. बता दें, कांग्रेस के अलावा कई विरोधी दल कृषि बिल के खिलाफ हैं और इसे राज्यसभा में पारित नहीं होने देने का मन बना रहे हैं. समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी इसके खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बिल को किसान विरोधी बताते हुए इसे राज्यसभा से पारित नहीं होने देने की अपील की है.

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