सोशल मीडिया की जंग में अब तक बीजेपी से काफी पीछे चल रही कांग्रेस अब डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर अपनी ताकत बढ़ाने की कवायद में जुट गई है. कांग्रेस ने पांच लाख 'सोशल मीडिया वॉरियर' तैयार करने के मकसद से सोमवार को कैंपेन लॉन्च किया है. पार्टी ने बाकायदा इसके लिए एक हेल्पलाइन नंबर और एक डेडिकेटेड सोशल मीडिया पेज लांच किया है, जिससे लोगों को जुड़ने के लिए राहुल गांधी ने अपील भी की है. हालांकि, एक बड़ा सवाल है कि क्या कांग्रेस अपने सोशल मीडिया वॉरियर के जरिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बीजेपी को चुनौती दे पाएगी?
कांग्रेस सोशल मीडिया टीम में हेड रोहन गुप्ता ने बताया कि कांग्रेस के पांच लाख सोशल मीडिया वॉरियर्स देश के कोने-कोने में पार्टी का मैसेज पहुंचाने का काम करेंगे. इस काम को जमीन पर उतारने के लिए पार्टी जल्द ही 50 हजार पदाधिकारियों को रिक्रूट करेगी, जिनकी मदद के लिए बाकी 4.5 लाख सोशल मीडिया वॉरियर्स होंगे. कांग्रेस अपने कैंपेन के जरिए सोशल मीडिया के लिए काम करने के इच्छुक लोगों का डेटा इकट्ठा करेगी. एक बार सावधानीपूर्वक स्क्रूटनी के बाद उन लोगों के इंटरव्यू लिए जाएंगे और बाद में ट्रेनिंग भी दी जाएगी.
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तो 2012 में गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान ही सोशल मीडिया का प्रयोग कर अपनी चुनावी रणनीति का हिस्सा बना लिया था. उन्होंने इसके जरिए अपने जनाधार को बढ़ाने की शुरुआत कर दी थी. साल 2014 के चुनाव में पीएम मोदी की जीत में सोशल मीडिया की अहम भूमिका रही थी. बीजेपी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का बखूबी इस्तेमाल किया और सबसे ज्यादा ऐक्टिव रहने वाली राजनीतिक पार्टी के तौर पर अपनी पहचान बनाई. इतना ही नहीं मोदी सरकार के तमाम मंत्री और बीजेपी नेता सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं.
वहीं, कांग्रेस नेता और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को भारत में कंप्यूटर क्रांति लाने का श्रेय दिया जाता है. ट्विटर पर कांग्रेस नेता शशि थरूर सबसे पहले देश में एक्टिव होने वाले नेताओं में शामिल हैं. इसके बाद भी कांग्रेस सोशल मीडिया की ताकत को बेहतर तरीके से नहीं समझ सकी. यही वजह है कि राहुल गांधी ने काफी लंबे समय तक सोशल मीडिया से दूरी बनाकर रखी थी और जब वो फेसबुक और ट्विटर पर आए तो पहले वो @OfficeofRG के नाम से और बाद में @rahulgandhi से आए. हालांकि, अभी भी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सोशल मीडिया पर नहीं आए हैं.
सोशल मीडिया पर बीजेपी बनाम कांग्रेस
बीजेपी सोशल मीडिया पर ट्विटर, WhatsApp, फ़ेसबुक, इंस्टाग्राम के जरिए अपना प्रचार तो करती ही है. देश भर में बीजेपी की कोई भी कार्यक्रम या जनसभा को live दिखाने के लिए 'BJP Live' नाम से internet चैनल भी है. इसके साथ ही पार्टी का 'BJP for India' नाम से अपना यूट्यूब चैनल है. वहीं, कांग्रेस ने भी अब इन सारे सोशल मीडिया और डिडिटल प्लेटफॉर्म्स पर अपनी उपस्थिति दर्ज करायी है.
कांग्रेस और बीजेपी के सोशल मीडिया को देखते हैं तो बीजेपी का पलड़ा भारी नजर आता है. कांग्रेस पार्टी के आधिकारिक ट्विटर हैंडल (@INCIndia) पर फॉलोअर्स की संख्या सोमवार को 75 लाख थी जबकि बीजेपी के 1.53 करोड़ फॉलोअर्स हैं. इसी तरह से दोनों पार्टियों के फेसबुक पेज के लाइक को देखते हैं तो कांग्रेस के 56 लाख ही सदस्य हैं जबकि बीजेपी के पेज को 1.59 करोड़ लोग लाइक किए हुए हैं.
वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ट्विटर हैंडल पर फॉलोअर्स की संख्या 6.55 करोड़ है जबकि राहुल गांधी के 1.73 करोड़ ही फॉलोअर हैं. फेसबुक पेज पर लाइन करने वालों की तुलना करते हैं तो भी पीएम मोदी का पलड़ा भारी नजर आता है. नरेंद्र मोदी के फेसबुक पेज को 4.5 करोड़ लोग लाइक किए हुए हैं जबकि राहुल गांधी के पेज को महज 37 लाख ही फॉलो करते हैं. यही नहीं कांग्रेस पार्टी की वेबसाइट भी बीजेपी की वेबसाइट आने के करीब चार साल के बाद लॉन्च हुई है.
बीजेपी से क्यों पीछे कांग्रेस
कांग्रेस सोशल मीडिया विभाग के राष्ट्रीय संयोजक सरल पटेल ने aajtak.in को बताया कि निश्चित तौर पर सोशल मीडिया पर बीजेपी की सक्रियता के काफी बाद हमारी पार्टी सक्रिय हुई है, लेकिन जिस तरह से लोगों ने हाल के दिनों में हमारे साथ तेजी से जुड़ें हैं और हमारे कैंपेन को समर्थन किया है. इसलिए इसका विस्तार कर रहे हैं. हालांकि, सरल पटेल कहते हैं कि बीजेपी आईटी सेल की तरह हम किसी को ट्रोल करने का काम नहीं करते हैं और न ही किसी को पैसे देकर अपने पक्ष में ट्वीट कराते हैं. हमारी पार्टी लोगों से जुड़े हुए मुद्दे को उठाने के लिए 'सोशल मीडिया वॉरियर्स' के लिए अभियान शुरू कर रही है, जिसे बीजेपी के ट्रोल आर्मी की तरह नहीं देखना चाहिए.
कांग्रेस नेता सोशल मीडिया पर ढल नहीं सके
वरिष्ठ पत्रकार यूसुफ अंसारी कहते हैं कि कांग्रेस ने सोशल मीडिया की ताकत को काफी पहले समझ लिया था, लेकिन बीजेपी की तरह वो काम नहीं कर सकी. बीजेपी ने सोशल मीडिया के लिए अपने लोगों को तैयार किया और उन्हें बकायदा ट्रेनिंग दी है, जिसमें उनके कॉडर की अहम भूमिका रही है. वहीं, कांग्रेस के लोग सोशल मीडिया पर न तो सक्रिय हुए और न ही बदली हुई राजनीति में अपने आपको ढालने के लिए तैयार हुए. इसके पीछे मुख्य कारण कांग्रेस नेतृत्व का रहा है, जो खुद भी सोशल मीडिया से दूर रहा और अभी भी तमाम नेता अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं करा पाएं हैं. कांग्रेस को सोशल मीडिया से पहले पूर्णकालिक नेतृत्व को लेकर फैसला करना चाहिए.
वहीं, ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस से पहले सोशल मीडिया पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी. ममता बनर्जी ने तो बाकायदा इसके लिए आईटी एक्सपर्ट लोगों को अपनी टीम में शामिल किया था, जबकि अरविंद केजरीवाल ने सोशल मीडिया के जरिए बड़ा आंदोलन खड़ा किया था और बाद में आम आदमी पार्टी का गठन किया तो उन्होंने इसे एक राजनीतिक हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया है. इसके बाद देश के दूसरे नेताओं ने शोसल मीडिया के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए दस्तक दी है.
वहीं, वरिष्ठ पत्रकार शकील अख्तर कहते हैं कि कांग्रेस मीडिया केंद्रित पार्टी नहीं रही है, लेकिन मौजूदा दौर में जिस तरह से सोशल मीडिया की ताकत बढ़ी है. वो कहते हैं कि कोरोना महामारी के समय कांग्रेस पार्टी डिजिटल कैंपेन को लेकर सोशल मीडिया- फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब पर काफी सक्रिय रही है. कांग्रेस पार्टी द्वारा 'स्पीक्सअप' नाम से एक कैंपेन शुरू किया गया था जिसमें कांग्रेस पार्टी के अलग-अलग नेता अलग-अलग मुद्दों पर पार्टी की राय रखते थे. इस कैंपेन की सफलता को देखकर कांग्रेस ने सोशल मीडिया वॉरियर्स बनाने का अभियान शुरू किया है.
कांग्रेस सोशल मीडिया टीम ऐसे करती है काम
यूपी कांग्रेस सोशल मीडिया कोऑर्डिनेटर रनीश जैन कहते हैं कि बीजेपी की तरह कांग्रेस काडर बेस पार्टी नहीं है, जिसके लिए दोनों की तुलना नहीं की जा सकती है. उनका कहना है कि 2013 में कांग्रेस की सोशल मीडिया पर उपस्थिति सीमित थी, लेकिन अब जैसे-जैसे सोशल मीडिया का प्रसार बढ़ा है कांग्रेस ने भी अपने आप को मजबूत किया है. सोशल प्लैटफॉर्म पर कांग्रेस मजबूती के साथ अपनी बात रखने के लिए बाकायदा टीम का गठन कर रही है, जिसमें आम लोगों को भी जोड़ने की कवायद की जा रही है.
कांग्रेस सोशल मीडिया टीम की कमान रोहन गुप्ता के हाथ में है. उनके साथ नेशनल कन्वीनर के तौर पर रुचिरा चतुर्वेदी, हसीबा अमीन, सरल पटेल, प्रवीण और डॉ. विपिन यादव शामिल हैं. प्रत्येक कन्वीनर 4 स्टेट के प्रभारी के तौर पर जिम्मेदारी निभा रहे हैं. इनके सहयोग के लिए एक-एक नेशनल कोऑर्डिनेटर होते हैं. ऐसे ही राज्यों में प्रत्येक चेयरपर्सन/स्टेट कोऑर्डिनेटर नियुक्त किए गए हैं. इसी तरह से चुनाव के दौरान लोकसभा, विधानसभा , जिलावार अलग-अलग समितियां राज्य के अनुरूप बनाई जा रही है.