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कांग्रेस की बैठक में असंतुष्ट नेताओं की जीत, लेकिन मांगों पर चाहते हैं मुहर

कांग्रेस में विरोध का झंडा उठाए नेताओं ने अध्यक्ष पद के लिए चुनाव की मांग दोहरा दी है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक, सोनिया गांधी पार्टी में आम सहमति से अगला अध्यक्ष चुनने की कोशिश कर रही हैं.

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राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (फोटो- PTI)
राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (फोटो- PTI)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • नई सियासी जंग के लिए तैयार होने की कवायद
  • सोनिया ने पार्टी के बड़े नेताओं के साथ की बैठक
  • मीटिंग में राहुल को अध्यक्ष बनाने की उठी मांग

कांग्रेस अपने अंतरकलह से निपटने और नए सियासी जंग के लिए तैयार होने की कवायद में जुटी है. सोनिया गांधी ने शनिवार को पार्टी के बड़े नेताओं को बैठक के लिए बुलाया था. इन नेताओं में कांग्रेस नेतृत्व के खिलाफ आवाज उठाने वाले भी शामिल थे. 

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पार्टी के सामने सवाल ये है कि सोनिया गांधी का उत्तराधिकारी कौन होगा. क्या राहुल गांधी नई जिम्मेदारी के लिए तैयार हैं. सूत्रों के मुताबिक, बैठक में सोनिया गांधी ने बीच का रास्ता निकालने की कोशिश की है. सोनिया आम सहमति से अध्यक्ष पद का फैसला चाहती हैं. इसके लिए विरोधी गुट की मांगो पर विचार करने के लिए पार्टी तैयार हो गई है. इसका मतलब ये भी हुआ कि कांग्रेस में विरोधी गुट के लिए आज का फैसला फौरी रूप से बड़ी जीत मानी जा रही है. 

चार महीने के लंबे इंतजार के बाद आखिरकार सोनिया गांधी कांग्रेस के असंतुष्ट खेमे से मिलने को तैयार हुईं. बैठक का एजेंडा उसी खत से लीक हुई बातों पर तय था. यानी पार्टी का अध्यक्ष कौन होगा. कब होगा और कैसे होगा. कांग्रेस में विरोध का झंडा उठाए नेताओं के एक दल ने 10 जनपथ को बता दिया कि अभी नहीं तो कभी नहीं. सोनिया गांधी के सरकारी निवास 10 जनपथ पर शनिवार सुबह बैठक शुरू हुई तो इसमें राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण, पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा, अंबिका सोनी, मनीष तिवारी, आनंद शर्मा, कमलनाथ के साथ कई वरिष्ठ नेता मौजूद रहे.

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बैठक में पूर्व पीएम मनमोहन सिंह और राहुल गांधी भी शामिल हुए. लेकिन सबकी नजर गुलाम नबी आजाद पर टिकी रही. गुलाम नबी आजाद उन 23 नेताओं में शामिल हैं जिन्होंने कांग्रेस में सक्रिय नेतृत्व और व्यापक संगठनात्मक बदलाव की मांग उठाई है. सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में आजाद ने खुलकर अपनी बात रखी. साफ-साफ बता दिया कि पार्टी में बड़ा बदलाव वक्त की मांग है. पार्टी को एक अदद चुनावी जीत की सबसे ज्यादा जरूरत है और पार्टी को एक फुल टाइम नेतृत्व की तलाश है.

यानी कांग्रेस में विरोध का झंडा उठाए नेताओं ने अध्यक्ष पद के लिए चुनाव की मांग दोहरा दी है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक, सोनिया गांधी पार्टी में आम सहमति से अगला अध्यक्ष चुनने की कोशिश कर रही हैं. सूत्रों के मुताबिक बैठक में फैसला लिया गया है कि जनवरी के अंत और फरवरी में कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव हो सकता है. लेकिन अध्यक्ष पद को लेकर आम सहमति बनाने की कोशिश भी होगी. पार्टी के फैसलों में विरोधी खेमे की मांग को अहमियत दी जाएगी. उनकी बात सुनी जाएगी. कांग्रेस में संगठनात्मक बदलाव होगा. पार्टी में आत्ममंथन के लिए चिंतिन शिविर होगा.

इन फैसलों से तीन बातें साफ है. पहली ये कि कांग्रेस लगातार चुनावी हार के बाद आत्ममंथन के लिए तैयार है. दूसरी ये कि फैसलों में विरोधी खेमे की मांगों को अहमियत दी जाएगी. तीसरी और सबसे अहम ये कि सोनिया गांधी पार्टी अध्यक्ष के तौर पर राहुल गांधी के लिए आम सहमति बनाने की कोशिश कर रही हैं.

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बैठक में राहुल गांधी को फिर से अध्यक्ष बनाने की मांग उठी. सूत्रों के मुताबिक राहुल गांधी ने साफ कर दिया कि पार्टी का अगला अध्यक्ष तो चुनाव से ही आएगा. और वो पार्टी में दी गई हर जिम्मेदारी उठाने के लिए तैयार भी हैं. राहुल के नाम को उस वक्त और बल मिला जब नए अध्यक्ष के पद के लिए विरोधी गुट ने भी अपनी सहमति जताई.

आगामी चुनावों में अच्छा प्रदर्शन करने की चुनौती

कांग्रेस अबतक के सबसे खराब दौर से गुजर रही है. लोकसभा चुनाव में हार के बाद से अबतक हार का सिलसिला जारी है.पार्टी के सामने चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करने की चुनौती है. पश्चिम बंगाल, असम, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. कांग्रेस हर हाल में इन चुनावों में अच्छा प्रदर्शन करने को बेताब है. यही वजह है कि नाराज चल रहे पार्टी नेताओं को साथ लेने की कोशिश की जा रही है, लेकिन सवाल अभी भी वही है कि कांग्रेस का अगला अध्यक्ष गांधी परिवार से होगा या बाहर से.

सोनिया गांधी अध्यक्ष का चुनाव तो चाहती हैं लेकिन वो राहुल गांधी के नाम पर पार्टी में आम सहमति बनाने की कोशिश कर रही हैं. विरोध गुट की मांगों पर अहमियत देना इसी रणनीति का हिस्सा है. उधर, सूत्रों के मुताबिक विरोधी गुट अपनी मांग को पूरा होते देखना चाहता है. यानी वेट एंड वॉच की नीति अपनाए हुए है.

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