कांग्रेस के 23 दिग्गज नेताओं की ओर से भेजी गई चिट्ठी में सोनिया गांधी के नेतृत्व के बदलाव पर ही नहीं बल्कि राहुल गांधी के फैसलों पर उंगली उठाई गई थी. कांग्रेस के काम करने के तौर-तरीके में भी बदलाव लाने की मांग की गई है थी, जिसे लेकर सोमवार को कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक हुई. सीडब्ल्यूसी की बैठक में विरोध और समर्थन के बीच गांधी परिवार और मजबूत होकर उभरा है. सोनिया गांधी को पार्टी की कमान ही नहीं सौंपी गई बल्कि उन्हें संगठन में अपनी मर्जी की नियुक्तियों का भी अधिकार मिल गया है. इस तरह से सोनिया गांधी पार्टी में राहुल गांधी की सियासी पिच आसानी से तैयार कर सकेंगी.
दरअसल, कांग्रेस नेताओं की ओर से लिखी गई चिट्ठी में कई बातें कही गई हैं. इसमें हर दिन मुद्दों पर बातचीत के लिए संसदीय बोर्ड सिस्टम, नामांकन की बजाय कांग्रेस वर्किंग कमेटी के चुनाव, यूथ कांग्रेस और एनएसयूआई के चुनाव को खत्म करने और समय पर पीसीसी चयन के साथ अधिक कार्यात्मक जिला और ब्लॉक समितियों का गठन शामिल था. माना जाता है कि ये वो फैसले हैं, जिन्हें राहुल गांधी की मर्जी के मुताबिक सोनिया गांधी ने किए थे.
ये भी पढ़ें: 17 दिन की बगावत और 7 घंटे का मंथन, फिर भी वहीं खड़ी है कांग्रेस
हाल ही में उत्तर प्रदेश, दिल्ली और कर्नाटक में प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति की गई है. इसके अलावा अजय माकन को राजस्थान का प्रभारी नियुक्त किया गया है. इससे पहले कई राज्यों में संगठन में नियुक्तियां हुई थीं. ये सभी नेता राहुल के करीबी माने जाते हैं, जिन्हें हाल ही में संगठन की कमान सौंपी गई थी. राज्यसभा के चुनाव में भी कैंडिडेट का चयन राहुल के मर्जी के मुताबिक बताया जाता है. ऐसे में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का एक धड़ा अपने आपको पार्टी में उपेक्षित महसूस कर रहा था. ऐसे में इन नेताओं के सोनिया गांधी को पत्र लिखकर एक चुनौती पेश की थी, जिसमें गांधी परिवार हावी रहा.
सोनिया गांधी और राहुल गांधी की लीडरशिप पर उठाए गए सवाल के बाद जिस तरह से कांग्रेस के भीतर से व्यापक तौर पर सोनिया गांधी और राहुल गांधी का समर्थन दिखा. शायद ऐसे समर्थन की उम्मीद कांग्रेस के पत्र भेजने वाले नेताओं को भी नहीं रही होगी. पूर्व पीएम मनोहमन सिंह से लेकर पूर्व मंत्रियों, सभी राज्य के प्रभारियों, तीनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों, प्रदेश अध्यक्षों से लेकर आम कांग्रेसी नेता तक ने गांधी परिवार के प्रति अपनी भरोसा दिखाया.
ये भी पढ़ें: कांग्रेस में जयचंद कौन? CWC की बैठक में बवाल के बीच उठे कई सवाल, 6 बड़ी बातें
इस पूरी कवायद में एक बार फिर यह साबित होता दिखाई दिया है कि कांग्रेस कितनी भी कोशिश कर ले, वह गांधी परिवार से अलग नहीं जा सकती. यही वजह रही कि सोनिया गांधी को फिर से अध्यक्ष की कमान सौंप दी गई है. सीडब्ल्यूसी ने सर्वसम्मति से जो बयान जारी किया है, उसमें भी सोनिया गांधी के साथ राहुल गांधी के नेतृत्व की तारीफ की गई है.
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला कहा कि सरकार की विफलता और विभाजनकारी नीतियों के खिलाफ सबसे ताकतवर आवाज सोनिया गांधी और राहुल गांधी की है. राहुल गांधी ने भाजपा सरकार के खिलाफ जनता की लड़ाई का दृढ़ता से नेतृत्व किया है. बैठक के बाद पार्टी के वरिष्ठ नेता रणदीप सुरजेवाला ने एक बार फिर दोहराया कि सभी कांग्रेसजनों की इच्छा है कि राहुल गांधी अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभालें.
इसका सीधा संकेत है कि कांग्रेस अधिवेशन होने से पहले तक पार्टी अंतरिम अध्यक्ष के तौर सोनिया गांधी संगठन में जरूरी बदलावों को अंजाम दे सकती हैं. इस तरह से संगठन में राहुल गांधी की पसंद के नेताओं को जगह मिल सकती है. इसके लिए सीडब्ल्यूसी ने बकायदा सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित कर सोनिया गांधी को अधिकृत कर दिया है. ऐसे में अब पार्टी संगठन में राहुल गांधी की नई टीम भी तैयार हो जाएगी ताकि इस बार अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभालने के बाद वो अपने मुताबिक निर्णय और नियुक्तियां कर सकें और राहुल की राह में किसी तरह का कोई बैरियर न आए.