संसद में आगामी बजट सत्र हंगामेदार होने की संभावना है. कांग्रेस एनडीए सरकार को घेरने की तैयारी में है. विपक्ष इस बार चीन के मसले पर चर्चा की मांग करने वाला है. कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने शुक्रवार को चीन मुद्दे पर मोदी सरकार पर हमला भी किया है. खेड़ा ने कहा है कि 17 दौर की बातचीत के बाद भी लद्दाख में एलएसी पर यथास्थिति बहाल नहीं की जा सकी है.
खेड़ा ने कहा कि हम संसद के आगामी बजट सत्र में इस मुद्दे पर तत्काल चर्चा की मांग करते हैं. भारत की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता दांव पर है और इसे बनाए रखने के लिए हमें मिलकर हर संभव प्रयास करना चाहिए. उन्होंने कहा कि चीन को 'क्लीन चिट' बहुत हो गई, अब मोदी सरकार को चीन पर 'क्लीन' आने का समय आ गया है.
'कुल 65 पेट्रोलिंग पॉइंट में से 26 से नियंत्रण खोया'
बता दें कि हाल ही में दिल्ली में आयोजित तीन दिवसीय वार्षिक डीजीपी-आईजीपी सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने हिस्सा लिया था. डीजीपी कॉन्फ्रेंस में बताया गया है कि वर्तमान में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर 26 ऐसे पॉइंट हैं जहां पर भारतीय सेना पेट्रोलिंग नहीं कर रही है. यानी कुल 65 पेट्रोलिंग पॉइंट्स में से 26 पर भारतीय सेना अभी पेट्रोलिंग नहीं कर रही है.
कांग्रेस का कहना है कि चीन को लेकर पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर जो कुछ सामने आया है, वो पूरी तरह मोदी सरकार की उदासीनता को उजागर करता है. सिक्योरिटी रिसर्च पेपर में इस इलाके में भारतीय एरिया में चीन के अवैध कब्जे के बारे में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं. पेपर में जो खुलासे किए गए हैं, वो एक बार फिर उन सवालों के सच होने पर मुहर लगा रहे हैं जो कांग्रेस चीन के खिलाफ लगातार उठा रही है. इनमें...
1. भारत ने 65 पेट्रोलिंग पॉइंट्स (PP) में से 26 पर नियंत्रण खो दिया है. जो कि मई 2020 से पहले नहीं था और बाद में गलवान संघर्ष में 20 बहादुर जवान शहीद हो गए थे.
'चालाकी कर सकता है चीन'
पेपर में कहा गया है- 'वर्तमान में काराकोरम दर्रे से लेकर चुमुर तक 65 पेट्रोलिंग पॉइंट हैं, जिन्हें आईएसएफ (भारतीय सुरक्षा बल) द्वारा नियमित रूप से गश्त किया जाना है. 65 पॉइंट में से 26 (यानी 5-17, 24-32, 37, 51, 52, 62) में आईएसएफ (भारतीय सुरक्षा बल) द्वारा गश्त ना करने के कारण हमारी उपस्थिति कम हो गई है. रिपोर्ट के मुताबिक सबसे बड़ी चिंता इस बात की है कि अगर लंबे समय तक भारतीय सेना की इन पॉइंट्स पर पेट्रोलिंग नहीं हुई तो चीन बड़ी ही चालाकी से दावा कर देगा कि वो इन इलाकों में मौजूद है. इससे भारतीय सीमा की ओर आईएसएफ के नियंत्रण में सीमा में बदलाव होता है और ऐसे सभी पॉकेट्स में एक बफर जोन बनाया जाता है, जिससे अंत में भारत द्वारा इन क्षेत्रों पर नियंत्रण खो दिया जाएगा. इंच-इंच जमीन हड़पने की PLA (चीनी सेना) की इस चाल को सलामी स्लाइसिंग के नाम से जाना जाता है.
2. पीएलए ने डी-एस्केलेशन वार्ता में बफर क्षेत्रों का लाभ उठाया है और सबसे ऊंची चोटियों पर अपने बेहतरीन कैमरे लगाए हैं और भारतीय बलों की गतिविधियों पर नजर रख रही है. ये अजीबोगरीब स्थिति चुशुल में ब्लैक टॉप, हेलमेट टॉप पहाड़ों, डेमचोक, काकजंग, हॉट स्प्रिंग्स में गोगरा हिल्स और चिप चिप नदी के पास देपसांग मैदानों में देखी जा सकती है.
पेपर ने कहा- सितंबर 2021 तक जिला प्रशासन और सुरक्षा बलों के वरिष्ठ अधिकारी DBO सेक्टर में काराकोरम दर्रे (दौलत बेग ओल्डी से 35 किमी) तक आसानी से गश्त करेंगे. हालांकि, भारत द्वारा चेक पोस्ट के रूप में प्रतिबंध लगाए गए थे. भारतीय सेना दिसंबर 2021 से काराकोरम दर्रे की ओर इस तरह के किसी भी मूवमेंट को रोकने के लिए डीबीओ में ही है, क्योंकि पीएलए ने कैमरे लगाए थे और यदि पहले से सूचित नहीं किया गया तो वे भारतीय पक्ष से मूवमेंट पर तुरंत आपत्ति जताएंगे.
3. चांगथांग क्षेत्र (रेबोस) के खानाबदोश समुदाय के लिए बिना बाड़ वाली सीमाएं चरागाह के रूप में काम कर रही हैं और समृद्ध चरागाहों की कमी को देखते हुए वे परंपरागत रूप से PPs के करीब के क्षेत्रों में उद्यम करेंगे.
पेपर ने कहा- 2014 के बाद से ISF द्वारा रेबोस पर चराई मूवमेंट और क्षेत्रों पर प्रतिबंध लगाया गया है और इससे उनके खिलाफ कुछ नाराजगी हुई है. सैनिकों को विशेष रूप से रेबोस के आंदोलन को रोकने के लिए वेश में तैनात किया जाता है. पीएलए द्वारा उच्च पहुंच पर आपत्ति की जा सकती है और इसी तरह डेमचोक, कोयुल जैसे सीमावर्ती गांवों में विकास कार्य जो पीएलए की प्रत्यक्ष इलेक्ट्रॉनिक निगरानी के अधीन हैं, क्योंकि वे तुरंत आपत्तियां उठाते हैं.
कांग्रेस ने सरकार से पूछे ये सवाल-
1. 17 दौर की सैन्य वार्ता के बाद मोदी सरकार ने गलवान संघर्ष के लगभग 3 साल बाद भी यथास्थिति सुनिश्चित क्यों नहीं की है?
2. इस तथ्य को देखते हुए कि एक 'डीजीपी स्तर' के पेपर ने इस अति संवेदनशील मुद्दे को हरी झंडी दिखाई है, क्या मोदी सरकार देश को बताएगी कि उसने भारत के अधिकार को चीन के हवाले क्यों कर दिया है?
3. मोदी सरकार ने इस मुद्दे पर संसद में चर्चा कराने की हमारी मांग पर ध्यान नहीं दिया, क्या वह देश को अंधेरे में रखेगी या देश को चीन के अवैध कब्जे की सच्चाई बताएगी?