कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) की बैठक में कई प्रस्ताव पास किए गए हैं. पार्टी ने किसानों के समर्थन में प्रस्ताव पास कर सरकार से कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की है. CWC ने कोरोना की वैक्सीन को लेकर वैज्ञानिकों और डॉकटरों का शुक्रिया अदा किया और लोगों से टीका लगवाने की अपील की. इसके अलावा बैठक में रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ अर्नब गोस्वामी के व्हाट्सएप चैट लीक मामले में ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (JPC) जांच की मांग की गई.
कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्लूसी) का मानना है कि तीनों कृषि कानून राज्यों के संवैधानिक अधिकारों का अतिक्रमण करते हैं और देश में दशकों से स्थापित खाद्य सुरक्षा के तीन स्तंभों- न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी), सरकारी खरीद एवं राशन प्रणाली यानि पीडीएस को खत्म करने की शुरुआत है.
सीडब्लूसी का यह भी मानना है कि इन तीनों कृषि कानूनों की संसदीय समीक्षा तक नहीं की गई और विपक्ष की आवाज को दबाकर उन्हें जबरदस्ती थोप दिया गया. खासकर, राज्यसभा में इन तीनों कानूनों को ध्वनि मत द्वारा अप्रत्याशित तरीके से पारित कराया गया, क्योंकि सदन में सरकार के पास जरूरी बहुमत नहीं था. कांग्रेस कार्यसमिति की मांग है कि मोदी सरकार इन तीनों कृषि विरोधी कानूनों को फौरन निरस्त करे.
'व्हाट्सएप चैट लीक मामले की JPC जांच हो'
कांग्रेस कार्यसमिति देश की सुरक्षा से खिलवाड़, ऑफिशियल सीक्रेट्स अधिनियम के उल्लंघन एवं उच्चतम पदों पर बैठे इसमें शामिल लोगों की भूमिका की तय समय सीमा में संयुक्त संसदीय समिति द्वारा जांच कराए जाने की मांग करती है. जो लोग राजद्रोह के दोषी हैं उन्हें कानून के सामने लाया जाना चाहिए और उन्हें सजा मिलनी चाहिए.
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पार्टी का कहना है कि इस मामले में महत्वपूर्ण और संवेदनशील सैन्य अभियानों की गोपनीयता का घोर उल्लंघन हुआ है. चौंकाने वाली बात यह है कि इन खुलासों के कई दिन बाद भी प्रधानमंत्री और केंद्र सरकार पूरी तरह चुप्पी साधे हुए हैं. सच्चाई यह है कि उनकी चुप्पी, उनकी मिलीभगत, अपराध में साझेदारी एवं प्रथम दृष्टि से दोषी होने का सबूत हैं, लेकिन जिम्मेदारी व जवाबदेही सुनिश्चित करने की निरंतर उठ रही मांग को दबाया नहीं जा सकता.