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लोकसभा से संविधान (127वां) संशोधन बिल The Constitution (One Hundred and Twenty Seventh) Amendment Bill पारित हो गया है. मत विभाजन के लिए जरिए ये बिल संसद से पास हुआ है. इस बिल के पक्ष में 385 वोट पड़े, जबकि विरोध में कोई वोट नहीं पड़ा. यानी कम से कम दो-तिहाई बहुमत से बिल पारित हो गया.
इससे पहले बिल पर विस्तार से चर्चा की गई. चर्चा के दौरान सरकार की तरफ से बताया गया कि इस बिल के आने के बाद राज्य सरकारों को ओबीसी लिस्ट तैयार करने का अधिकार मिल जाएगा और मराठा आरक्षण जैसे मसलों पर राज्य सरकारें फैसला लेने के लिए स्वतंत्र होंगी. कांग्रेस समेत अन्य सभी विपक्षी दलों ने भी इस बिल का समर्थन किया है. साथ ही विपक्षी दलों ने आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से बढ़ाने की मांग भी सदन में रखी है.
इस सत्र में ये पहला ऐसा दिन था जब किसी बिल पर शांतिपूर्ण तरीके से चर्चा की गई. पूरे विपक्ष ने ओबीसी से जुड़े इस बिल का समर्थन किया. साथ ही कुछ दलों ने सरकार से ये मांग भी की है कि ओबीसी आरक्षण की 50 फीसदी की सीमा को बढ़ाने की व्यवस्था भी कराई जाए.
केंद्रीय मंत्री ने दिया विपक्ष के सवालों का जवाब
विपक्षी सांसदों के सवालों का जवाब देते हुए केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारत मंत्री वीरेंद्र कुमार ने कहा कि जिस तरह सदन ने बिल का समर्थन किया वो स्वागतयोग्य है. वीरेंद्र कुमार ने कहा कि बीजेपी की नीति और नीयत साफ है. कांग्रेस को जवाब देते हुए वीरेंद्र कुमार ने बताया कि जब 102वां संशोधन लाया गया था, तब भी कांग्रेस ने उसका समर्थन किया था. इसलिए अब कांग्रेस के पास सवाल उठाने का नैतिक अधिकार नहीं है. उन्होंने मराठा आरक्षण पर जवाब देते हुए कहा कि ये राज्य का विषय है और अब केंद्र ने उन्हें इस पर फैसला लेने के लिए स्वतंत्र कर दिया है.
कांग्रेस ने किया बिल का समर्थन
लोकसभा में कांग्रेस के नेता सदन अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि 2018 में 102वां संविधान संशोधन लाया गया. आपने ओबीसी कमीशन बनाया लेकिन आपने राज्यों के अधिकारों का हनन किया. बहुमत की बाहुबली से आप सदन में मनमानी कर रहे हैं. प्रदेशों से जब आवाज उठने लगी और अधिकारों को न छीनने की आवाज उठाई जाने लगी तो आप इस रास्ते पर मजबूरन आए. चौधरी ने कहा कि हम इस बिल का समर्थन करते हैं और इसके साथ ही हम मांग करते हैं कि 50 फीसदी की बाध्यता पर कुछ किया जाए. कुछ प्रदेशों में इससे भी ज्यादा है. तमिलनाडु में 69 फीसदी आरक्षण है.
आम आदमी पार्टी ने रखी किसानों की बात
आम आदमी पार्टी के सांसद भगवंत मान ने अपनी पार्टी की तरफ से संविधान संशोधन बिल का समर्थन किया. भगवंत मान ने कहा कि जब भी सरकार गरीब और पिछड़ों की भलाई के लिए कोई कदम उठाती है, AAP उसमें सरकार का समर्थन करती है. भगवंत मान ने कहा कि पंजाब में ज्यादातर आबादी ओबीसी है, वो लोग खेती से जुड़े हुए हैं. इसलिए कृषि कानून वापस लिए जाएं ताकि ओबीसी को असली खुशी मिले वरना उनका सब खत्म हो जाएगा.
अकाली दल सांसद हरसिमरत कौर बादल ने संविधान संशोधन का समर्थन किया. इसके साथ ही उन्होंने कृषि कानूनों के खिलाफ आवाज भी उठाई. उन्होंने कहा कि सरकार सबका साथ, सबका विकास की बात करती है लेकिन काले कानूनों के चलते इतने किसान मर रहे हैं उनकी चिंता सरकार को नहीं है.
सपा-बसपा ने क्या कहा
सपा सांसद अखिलेश यादव ने संविधान संशोधन बिल का समर्थन किया. अखिलेश यादव ने कहा कि देश में दलितों-पिछड़ों को सबसे ज्यादा बीजेपी ने गुमराह किया है. अखिलेश ने कहा कि जब तक 50 फीसदी की लिमिट नहीं बढ़ाई जाएगी तब तक कैसे फायदा मिलेगा. अखिलेश ने मांग की है कि जातिगत जनगणना के आंकड़े साझा किए जाएं. अखिलेश ने कहा कि एक-दो पिछड़े मंत्री बनने से भला नहीं होगा, आरक्षण की लिमिट बढ़ानी होगी. अखिलेश ये भी कहा कि सपा सरकार यूपी में जाति जनगणना करके दिखाएगी.
वहीं, बसपा सांसद रितेश पांडे ने कहा कि आरक्षण ने पिछड़े और एससी-एसटी लोगों को बहुत मदद की है. रितेश पांडे ने कहा कि सरकार एक तरफ ओबीसी समुदाय के उत्थान का ढिंढोरा पीट रही है और दूसरी तरफ जितनी भी सरकारी नौकरियां हैं वो कम की जा रही हैं. उन्होंने कहा कि वोट लेने के लिए ओबीसी समुदाय को गुमराह किया जा रहा है.
जेडीयू ने कहा- जातिगत जनगणना हो
बिहार से जेडीयू सांसद राजीव रंजन सिंह ने कहा कि सरकार की नीयत साफ है, जब रिव्यू पिटीशन रद्द हो गई तो सरकार संशोधन लेकर आई है. इस मसले पर सरकार की नीयत साफ है. लेकिन हमारी सरकार से एक मांग है कि ओबीसी को आप पूर्णत: न्याय नहीं दिला पाएंगे, जब तक जातिगत जनगणना नहीं होगी. हमारी मांग है कि 2022 में जातिगत जनगणना कराई जाए. जेडीयू ने संविधान संशोधन बिल का समर्थन किया.
अपना दल की तरफ से सांसद अनुप्रिया सिंह पटेल ने लोकसभा में ओबीसी बिल का समर्थन किया. साथ ही उन्होंने कहा कि ओबीसी जातियों की गणना की जाए. इस बिल के आने से उन पिछड़ी जातियों को न्याय मिलेगा, जिनकी पहचान भी नहीं हो पा रही थी.
वहीं, झारखंड मुक्ति मोर्चा ने भी संविधान संशोधन बिल का समर्थन किया, साथ ही पार्टी के सांसद विजय कुमार हांसदाक ने कहा कि जब प्राइवेटाइजेशन हो रहा है तो आरक्षण का क्या होगा. उन्होंने केंद्र सरकार को घेरते हुए कहा कि जो बेटा अपनी संपत्ति बेचता है वो नालायक कहलाता है, अब आप अंदाजा लगा लीजिए कि आप लायक हैं या नहीं.
-डीएमके सांसद दयानिधि मारन ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि आप सारे अधिकार पीएम और गृहमंत्री के पास रखना चाहते हैं, इसलिए ऐसे हालात पैदा हुए हैं. वीपी सिंह ने मंडल आयोग लागू किया और बीजेपी ने उनकी कुर्सी ही छिनवा दी. दयानिधि मारन ने ओबीसी बिल को चुनाव से जोड़ते हुए कहा कि मैं उम्मीद करता हूं कि यूपी चुनाव हर साल हो, ताकि ज्यादा ओबीसी मंत्री बनाए जाएं. तमिलनाडु की तरह ओबीसी आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से बढ़ाकर 69 फीसदी की जाए.
निर्दलीय सांसद सांसद नवनीत राणा ने कहा कि केंद्र सरकार ने ये बिल लाकर ऐतिहासिक निर्णय लिया है. मैं महाराष्ट्र सरकार से अपील करूंगी कि दो दिन का अविधेशन बुलाकर ओबीसी समुदाय के साथ न्याय कीजिए.
-RLP सांसद हनुमान बेनीवाल ने कहा कि हम इस संविधान संशोधन बिल का समर्थन करते हैं. लेकिन अगर किसान और महंगाई पर चर्चा का समय मिल जाता तो अच्छा होता. हनुमान बेनीवाल ने कहा कि पिछले 6 महीने से किसान आंदोलित हैं और ये सभी ओबीसी लोग हैं, इसलिए किसान बिल वापस ले लें.
मुसलमानों को आरक्षण नहीं, सिर्फ खजूर मिलेगा- ओवैसी
AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि सरकार ने ये बिल लाकर शाहबानो की परंपरा को बरकरार रखा है. ये सरकार ओबीसी के लिए नहीं है. ओवैसी ने कहा कि जो मुसलमानों की बैकवर्ड कास्ट हैं उन्हें तेलंगाना में आरक्षण मिलता है लेकिन केंद्र में नहीं मिलता. ओवैसी ने कहा कि महाराष्ट्र में मुसलमानों की वो 50 कास्ट जो पिछड़ी हैं उनकी कोई बात नहीं करता, सिर्फ मराठा आरक्षण की बात की जाती है. हमें सिर्फ इफ्तार की दावत और खजूर मिलेगा, आरक्षण नहीं मिलेगा.
टीडीपी सांसद के. राम मोहन नायडू ने अभी जो बिल लाकर किया जा रहा है इसका समर्थन करते हैं लेकिन अभी ओबीसी समाज के लिए काफी कुछ किया जाना बाकी है.