पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में खराब प्रदर्शन के बाद रविवार को दिल्ली में कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) की बैठक हुई. पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने इसकी अध्यक्षता की. बैठक में फिलहाल सोनिया गांधी के नेतृत्व में ही आगे बढ़ने का फैसला लिया गया.
कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला ने बैठक की जानकारी देते हुए कहा कि सभी ने सोनिया गांधी के नेतृत्व में पार्टी को आगे बढ़ाने पर मुहर लगाई है. कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी कहा कि हमें सोनिया गांधी के नेतृत्व पर भरोसा है. लेकिन कई पार्टी नेताओं ने एक बार फिर राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाने की मांग जोर-शोर से उठाई.
CWC की बैठक के बाद कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला और डीके शिवकुमार ने राहुल को पार्टी की जिम्मेदारी सौंपने की मांग जोर-शोर से उठाई. रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि पार्टी का हर कार्यकर्ता चाहता है कि राहुल गांधी कांग्रेस का नेतृत्व करें. कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार ने कहा कि मेरे जैसे करोड़ों कांग्रेस कार्यकर्ता चाहते हैं कि राहुल गांधी तत्काल पूर्णकालिक तौर पर कांग्रेस अध्यक्ष का पद ग्रहण कर लें.
अप्रैल में होगा चिंतन शिविर का आयोजन
पांच राज्यों में मिली करारी शिकस्त के बाद कांग्रेस अप्रैल में चिंतन शिविर का आयोजन करने जा रही है. इसके बाद 20 अगस्त को कांग्रेस पार्टी में आंतरिक चुनाव होने वाले हैं, जिसके आधार पर ही अगले पार्टी अध्यक्ष का चुनाव किया जाएगा.
सोनिया ने पूछा- क्या गांधी परिवार की वजह से पार्टी कमजोर हो रही?
CWC की बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी नेताओं से सवाल किया कि क्या गांधी परिवार की वजह से पार्टी कमजोर हो रही है. उन्होंने कहा कि अगर आप लोगों को ऐसा लगता है तो गांधी परिवार किसी भी प्रकार का त्याग करने के लिए तैयार है. सोनिया ने आगे कहा कि हमारा पहला मकसद पार्टी को मजबूत करना है. इसके लिए वे किसी प्रकार का त्याग (पद छोड़ने संबंध में) करने को तैयार हैं.
सिर्फ राहुल दे सकते हैं मोदी को टक्कर: गहलोत
बता दें कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी रविवार को राहुल गांधी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के टक्कर का नेता बताया. उन्होंने कहा कि सिर्फ एक आदमी है, जो पीएम मोदी से लड़ रहा है और वो हैं राहुल गांधी. उन्होंने आगे कहा कि वे भाजपा की जीत को जीत नहीं मानते. भाजपा ने धर्म के नाम पर चुनाव जीता है. उन्होंने कहा कि इस तरह के उतार-चढ़ाव कांग्रेस ने पहले भी देखे हैं.