कांग्रेस नेता दानिश अली ने असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा पर टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि अगर कोई झूठ का अवॉर्ड दिया जा सकता है तो मैं चाहूंगा कि नरेंद्र मोदी सरकार वो अवॉर्ड असम के मुख्यमंत्री को दिया जाए.
दरअसल, असम के मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को दावा किया कि उनके राज्य में मुस्लिम आबादी हर 10 साल में करीब 30 प्रतिशत बढ़ रही है. और आने वाले दिनों में असम एक मुस्लिम बहुसंख्यक राज्य बन जाएगा. साथ ही उन्होंने बताया कि राज्य में पिछले 10 सालों में हिंदुओं की आबादी करीब 16 प्रतिशत बढ़ी है. दानिश अली ने इसी को लेकर पलटवार किया है.
'CM को इतना अंजान नहीं होना चाहिए'
दानिश अली ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि अगर कोई झूठ का अवॉर्ड दिया जा सकता हो तो मैं चाहूंगा कि नरेंद्र मोदी सरकार झूठ का वो अवॉर्ड असम के मुख्यमंत्री को दिया जाए. वो रात-दिन सिर्फ लोगों को बांटने का काम करते हैं, झूठ फैलाने का काम करते हैं....मुख्यमंत्री का इतना अंजान नहीं होना चाहिए वो जानबूझकर कहना चाह रहे हैं...सेंसस का डाटा सबके सामने है.
उन्होंने आगे कहा कि 1951 की जनगणना के मुताबिक, करीब 25 फीसदी मुसलमानों की आबादी असम में थी. 2011 की जनगणना के मुताबिक, मुसलमानों की आबादी 34.22 फीसदी असम में थी... ये क्यों बढ़ी इसके पीछे जो असलियत है वो नहीं बयान कर रहे हैं. 1951 के आधार पर जो उस वक्त का असम इकट्ठा था यानी कि उसमें से चार राज्य और बन गए... नगालैंड, मिज़ोरम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय ये सब असम का हिस्सा थे.
अब वो अलग राज्य बन गए है... अब ये जाहिर-सी बात है उनमें नॉन-मुस्लिम पॉप्युलेशन मेजॉरिटी थी. उनमें 4 राज्य अलग बन गए तो मुस्लिम पॉप्युलेशन उसकी तुलना में बढ़ती हुई दिखाई दी... मैं तो सीरियसली रिकेमेंड करूंगा कि झूठ का सबसे बड़ा अवॉर्ड हमारे देश में अगर कोई हो तो असम के मुख्यमंत्री को दिया जाना चाहिए.
'कितना बांटोगे लोगों को'
साथ ही दानिश अली ने कांवड़ यात्रा के दौरान कांवड़ मार्ग में पड़ने वाली सभी खाने-पीने की दुकानों-ढाबों और ठेकों पर मालिक और काम करने वाले के नाम लिखने के निर्देश की भी आलोचना की. उन्होंने कहा कि हमारा पश्चिमी उत्तर प्रदेश गंगा-जमुना की तहजीब वाला इलाके हैं. लोगों को कितना बांटोंगे, हमारे यहां कोई गांव में कांवड़ लेकर आता है तो सब लोग उसका स्वागत करते हैं. चाहे वो हिंदू हो या मुस्लिम.
उन्होंने यह भी कहा कि 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी की राजनीतिक जमीन खिसक गई है. इस लिए वो लोगों के इस तरीके के सांप्रदायिक माहौल में धकेलना चाहते हैं, लेकिन जनता समझ चुकी है.