दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) ने मंगलवार को दावा किया कि राजधानी में ऑक्सीजन की कमी से कितनी मौतें (Deaths Due to Lack of Oxygen) हुईं, इसको लेकर केंद्र सरकार (Central Government) ने राज्य सरकार से कोई डेटा नहीं मांगा है. सिसोदिया ने कहा कि केंद्र की ओर से भले ही हमसे कोई जानकारी नहीं मांगी गई हो, लेकिन हम खुद उनको अपना जवाब देंगे.
सिसोदिया ने कहा, "आज के अखबारों में मैंने खबर पढ़ी कि केंद्र सरकार कह रही है कि उसने राज्य सरकारों से पूछा है कि उनके यहां ऑक्सीजन की कमी से कितनी मौत हुई है? अखबारों की रिपोर्ट बता रही है कि 12 राज्यों ने कहा कि कोई मौत नहीं हुई और एक राज्य ने कहा कि उनके यहां हुई है."
केंद्र से हमें कोई चिट्ठी नहीं मिली
उन्होंने आगे कहा, "थोड़े दिन पहले मैंने अखबारों में पढ़ा था कि केंद्र सरकार ने 13 अगस्त तक राज्य सरकारों को समय दिया है और पूछा है कि बताएं ऑक्सीजन की कमी की वजह से कितनी मौत हुई है? मैं लगातार अपने अधिकारियों से पूछ रहा हूं कि केंद्र सरकार के यहां से कोई चिट्ठी आई है? लेकिन हमें आज तक ऐसी कोई चिट्ठी नहीं आई."
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उन्होंने दावा किया कि उन्हें केंद्र सरकार की ओर से कोई चिट्ठी नहीं मिली, जिसमें ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों की जानकारी मांगी गई हो. उन्होंने कहा कि जब राज्यों से जानकारी मांगी ही नहीं, तो वो कहां से देंगे. सिसोदिया ने कहा, "दिल्ली में ऑक्सीजन का संकट हुआ था लेकिन बिना जांच के हम ये नहीं कह सकते कि कितनी मौत हुई. हमने जांच के लिए कमेटी बनाई थी उसको एलजी साहब से कहकर रुकवा दिया."
उन्होंने आखिर में कहा, "दिल्ली सरकार ने तय किया है कि बेशक केंद्र सरकार ने हमसे पूछा नहीं लेकिन हम केंद्र सरकार को अपना जवाब बनाकर भेजेंगे और उसको ही केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट, संसद और जनता के सामने रखे."
क्या है पूरा मामला?
असल में संसद के मॉनसून सत्र (Monsoon Session) के दौरान कोरोना की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी से मौत की जानकारी मांगी गई थी. इस पर स्वास्थ्य मंत्रालय (Health Ministry) की ओर से राज्यसभा में बताया गया था कि ऑक्सीजन की कमी से कितनी मौतें हुई हैं, इसको लेकर राज्य सरकारों ने कोई डेटा नहीं दिया है. इसके बाद बवाल खड़ा हो गया था. बाद में केंद्र सरकार ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अपने यहां ऑक्सीजन की कमी से हुई मौत का ब्योरा देने को कहा था.