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मेयर-डिप्टी मेयर प्रत्याशी के जरिए AAP ने साधा 2024 का निशाना, सिख और मुस्लिम वोटबैंक पर नजर

आम आदमी पार्टी ने दिल्ली नगर निगम में मेयर के लिए शैली ओबेरॉय और डिप्टी मेयर के लिए आले मोहम्मद इकबाल को प्रत्याशी बनाया है. मेयर और डिप्टी मेयर से जरिए आम आदमी पार्टी ने पंजाबी और मुस्लिम समुदाय को संदेश दिया है तो स्टैंडिंग कमेटी के सदस्य प्रत्याशी के सहारे दलित और सिख समुदाय को साधने की कवायद की है.

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शौली ओबेरॉय, अरविंद केजरीवाल, आले मोहम्मद इकबाल
शौली ओबेरॉय, अरविंद केजरीवाल, आले मोहम्मद इकबाल

दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) चुनाव में पूर्ण बहुमत से जीतने के बाद आम आदमी पार्टी ने मेयर और डिप्टी मेयर पद के लिए अपने पत्ते खोल दिए हैं. मेयर के लिए शैली ओबेरॉय और डिप्टी मेयर के लिए आले मोहम्मद इकबाल को प्रत्याशी बनाया गया है. साथ ही एमसीडी स्टैंडिंग कमेटी के सदस्यों के नामों का ऐलान कर दिया है. आम आदमी पार्टी ने मेयर और डिप्टी मेयर के जरिए 2024 के चुनाव के लिए सियासी समीकरण को मजबूत करने का दांव चला है. 

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आम आदमी पार्टी ने अपने कोर वोकबैंट पंजाब समुदाय को मजबूती से जोड़े रखने के लिए शैली ओबेरॉय को मेयर प्रत्याशी बनाने का दांव चला है. वहीं, दिल्ली में दूर होते मुस्लिमों के विश्वास जीतने के लिए अरविंद केजरीवाल ने दिग्गज नेता शोएब इकबाल के बेटे आले मोहम्मद इकबाल को डिप्टीमेयर के लिए कैंडिडेट बनाया है. स्टैंडिंग कमेटी के सदस्य के लिए अमिल मलिक, रामंदिर सिंह कौर, मोहनी जीनावाल और सारिका चौधरी को प्रत्याशी बनाया है. पंजाबी और मुस्लिम ही नहीं बल्कि दलित, सिख समुदाय को भी सियासी संदेश दिया है. 

शैली के जरिए पंजाबी वोटर को संदेश
दिल्ली की सियासत में पंजाबी वोटर काफी निर्णायक भूमिका में है. एक वक्त बीजेपी का यह परंपरागत वोटर रहा है, लेकिन 2013 के बाद आम आदमी पार्टी का कोर वोटबैंक बना गया है. एमसीडी के चुनाव में पंजाबी समुदाय ने आम आदमी पार्टी को जबरदस्त तरीके से मतदान है, जिसके चलते मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पंजाब समाज से आने वाली शैली ओबेरॉय को मेयर का प्रत्याशी बनाया है. शैली ईस्ट पटेल नगर से पार्षद का चुनाव जीतकर एमसीडी पहुंची हैं.

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दिल्ली विश्वविद्यालय में अस्टिटेंट प्रोफेसर रही शैली ओबेरॉय को मेयर कैंडिडेट बनाकर जहां एक तरफ दिल्ली के पढ़े लिखे तबके को सियासी संदेश दिया है तो दूसरी तरफ पंजाबी समुदाय को भी साधे रखने की कवायद की गई है. यही नहीं बीजेपी की रणनीति को भी काउंटर करने की रणनीति है, क्योंकि बीजेपी दिल्ली में एक बार फिर से पंजाबी समुदाय की तरफ लौटी है. 

दरअसल, दिल्ली एमसीडी चुनाव में मिली हार के बाद बीजेपी अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद पार्टी ने वीरेंद्र सचदेवा को दिल्ली बीजेपी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर एक बार फिर से अपने पुराने पंजाबी वोटर्स को साधने की कोशिश की है. दिल्ली की सियासत में पंजाबी वोटर काफी निर्णायक हैं. पंजाबी नेता बीजेपी मदनलाल खुराना के अगुवाई में 1993 चुनाव जीतकर दिल्ली की सत्ता में आई थी, लेकिन उसके बाद से दोबारा से उसे विधानसभा में जीत नहीं मिली. दिल्ली के नगर निगम से भी बाहर हो गई है तो पंजाबी समुदाय पर भरोसा जताया है. 

माना जा रहा है कि बीजेपी की पंजाबी समुदाय को साधने रणनीति को फेल करने के लिए केजरीवाल ने शैली ओबेरॉय को आगे बढ़ाया है. सेंट्रल दिल्ली के इलाके में आम आदमी पार्टी का प्रदर्शन बहुत अच्छा रहा है और पार्टी के दिग्गज नेता राघव चड्डा भी पंजाबी समुदाय से आते हैं. इस तरह पंजाबी समुदाय को सहेजकर रखने के लिए हर दांव चल रहे हैं. राघव चड्डा को फिर चाहे राज्यसभा भेजने की बात हो या फिर शैली ओबेरॉय को मेयर का प्रत्याशी. 

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दूर जाते मुस्लिमों को सहेजने की कोशिश
दिल्ली एमसीडी के चुनाव में मुस्लिम मतदाता आम आदमी पार्टी से छिटककर कांग्रेस की तरफ गया है. पुरानी दिल्ली के क्षेत्र को छोड़कर बाकी इलाके में मुस्लिमों ने कांग्रेस को वोट किया है. ओखला, सीलमपुर, मुस्तफाबाद, शास्त्री पार्क जैसे मुस्लिम इलाके में मुसलमानों ने कांग्रेस के प्रति भरोसा जताया है. आम आदमी पार्टी ने मुस्लिमों के सियासी मूड को देखते हुए उन्हें अब साधने की कवायद में जुट गई है. मटिया महल से विधायक शोएब इकबाल के बेटे आले मोहम्मद इकबाल को डिप्टी मेयर का कैंडिडेट बनाया है. एमसीडी चुनाव में सबसे ज्यादा वोटों से आले मोहम्मद इकबाल जीत दर्ज की है और उन्हें डिप्टीमेयर के लिए दांव खेला है. 

डिप्टीमेयर की नहीं स्टैंडिंग कमेटी के सदस्य के तौर पर एक मुस्लिम पार्षद को जगह दी गई है. श्रीराम कालोनी से पार्षद बने मोहम्मद आमिल मलिक को स्टैंडिंग कमेटी के सदस्य का प्रत्याशी बनाया है. इतना ही नहीं आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह और केजरीवाल सरकार में मंत्री गोपाल राय ने मुसलमानो के सबसे बड़े रहनुमा मौलाना अरशद मदनी से मुलाकात के लिए पहुंचे हैं. ऐसे में साफ तौर पर समझा जा सकता है कि एमसीडी चुनाव में छिटके मुस्लिमों का दोबारा से विश्वास जीतने के लिए कोशिश में जुट गई है. 

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दिल्ली विधानसभा चुनाव में मुसलमानों ने एकतरफा आम आदमी पार्टी को वोट दिया था और पांचों मुस्लिम विधायक उसके बने थे. कांग्रेस खाता भी नहीं खोल सकी थी. सीएए-एनआरसी पर केजरीवाल की खामोशी, दिल्ली दंगे पर चुप्पी, मरकज व तब्लीगी जमात पर एक्शन से मुस्लिम समुदाय आम आदमी पार्टी से नाराज थे, जिसके चलते यमुनापार और ओखला जैसे  मुस्लिम इलाके में आम आदमी पार्टी को मात खानी पड़ी. लोकसभा चुनाव में भी मुस्लिम ऐसे ही नाराज रहे तो आम आदमी पार्टी के लिए मुश्किल खड़ी हो सकती थी, जिसके चलते अब उन्हें साधने के लिए हर जतन किए जा रहे हैं. 

सिख और दलित वोटों को संदेश 
आम आदमी पार्टी ने मेयर और डिप्टीमेयर के जरिए पंजाबी व मुस्लिमों को साधने की कवायद की है तो स्टैंडिंग कमेटी के सदस्यों को जरिए सिख और दलित मतदाताओं के भी विश्वास जीतने का दांव चला है. आम आदमी पार्टी ने आमिल मलिक के अलावा फतेह नगर से पार्षद रामिंदर कौर, सुंदर नगरी से मोहिनी जीनावाल और दरियागंज से पार्षद सारिका चौधरी को स्टैंडिंग कमेटी के सदस्य का प्रत्याशी बनाया है. रामंदिर कौर सिख समुदाय से आती हैं तो जीनावाल दलित हैं. इस तरह से दिल्ली के सिख और दलित समुदाय को भी सहेजकर रखने की कवायद की गई है.

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